एक पुरानी कथा में गांधीजी ने अपने तीन प्रिय बंदरों को बुरा न देखने, बुरा न बोलने और बुरा न सुनने का उपदेश दिया। जब भेडियों को पता चला कि गांधीजी बंदरों को इंसान बनाने की कोशिश कर रहे हैं, तो उन्होंने गांधीजी की हत्या कर दी। फिर भी, तीनों बंदर गांधीजी के उपदेश फैलाने का संकल्प लेते हैं और राजघाट पर बैठ जाते हैं। एक व्यक्ति इन बंदरों को देखकर प्रेरित होता है और जब वह एक अबला की इज्जत लूटते देखता है, तो वह आँखें बंद कर के आगे बढ़ जाता है, यह सोचकर कि "बुरा मत देखो।" इसके बाद, जब वह एक बॉडी बिल्डर से टकराता है जो गालियाँ दे रहा है, तो वह भी गांधीवाद को अपनाते हुए मुँह और कान ढक लेता है। वह अपनी इस सफलता पर गर्वित होता है और खुद को सच्चा गांधीवादी मानता है। इसी दौरान, अन्य लोग उसे बताते हैं कि अगर यही गांधीवाद है, तो वे भी बचपन से यही करते आए हैं। अंत में, सब मिलकर एक गांधीवादी संघ बनाने का निर्णय लेते हैं। पक्का गांधीवादी Girish Pankaj द्वारा हिंदी लघुकथा 521 1.7k Downloads 7.1k Views Writen by Girish Pankaj Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण Pakka Gandhiwadi More Likes This यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan बड़े बॉस की बिदाई द्वारा Devendra Kumar Age Doesn't Matter in Love - 23 द्वारा Rubina Bagawan ब्रह्मचर्य की अग्निपरीक्षा - 1 द्वारा Bikash parajuli Trupti - 1 द्वारा sach tar अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी