कहानी में एक व्यक्ति नैनीताल से एक फोन कॉल के बारे में सोचता है, जो उसे सूखे नैनी झील की याद दिलाता है। वह एक पुरानी चिट्ठी पढ़ता है, जिसमें नैनी झील ने अपने दुःख को व्यक्त किया है। झील अपनी सुंदरता और जीवन को बचाने की अपील करती है, यह बताते हुए कि कैसे मानव निर्माण और गंदगी ने उसे प्रभावित किया है। झील एक समय जीवंत और आनंदित थी, लेकिन अब वह सूख रही है और उसके अस्तित्व को खतरा है। वह अपने प्रेमी से आग्रह करती है कि वह उसके लिए कुछ करे ताकि वह फिर से जीवित हो सके। अंत में, व्यक्ति नैनीताल के बारे में सोचता है और सुनता है कि वहां बारिश हो रही है, लेकिन झील अभी भी सूखी है। प्रिय मैं सूखी जा रही हूँ महेश रौतेला द्वारा हिंदी पत्र 4 1.7k Downloads 7.2k Views Writen by महेश रौतेला Category पत्र पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण प्रेम प्रकृति से भी होता है और मनुष्य से भी। इसमें दो पत्र हैं। एक नैनी झील के अतीत और वर्तमान की पृष्ठभूमि को संबोधित है और दूसरा झील के प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच घटित मानवीय प्रेम को। More Likes This Letter From Me - 2 द्वारा Rudra S. Sharma रिश्ता चिट्ठी का - 1 द्वारा Preeti रिश्ता चिट्ठी का द्वारा Preeti I Hate You I Love You - 13 द्वारा Swati Grover एक चिट्ठी प्यार भरी - 1 द्वारा Shwet Kumar Sinha बेनामी ख़त - 1 द्वारा Dhruvin Mavani एक अप्रेषित-पत्र - 1 द्वारा Mahendra Bhishma अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी