इस कहानी में बताया गया है कि बच्चे माँ के गर्भ में रहते हुए भाषा सीखना शुरू कर देते हैं। यह शोध से भी सिद्ध हुआ है कि बच्चे प्रसव के दस सप्ताह पहले से ही आवाजें सुनने और समझने लगते हैं। न्यू यॉर्क की एक गर्भवती महिला अपने बच्चे से बातें करती है और उसे विश्वास है कि बच्चा उसकी बातें सुनता है। एक अध्ययन में यह पाया गया कि बच्चे अपनी मातृभाषा के स्वर को सुनकर अधिक ध्यान देते हैं, जबकि अन्य भाषाओं के स्वर सुनते समय वे चूसनी को अधिक समय तक चूसते हैं। बच्चे केवल माँ की आवाज सुन सकते हैं, इसलिए ईयरफोन की आवश्यकता नहीं होती। विशेषज्ञों का मानना है कि माताओं को गर्भ में बच्चे के साथ बातचीत करनी चाहिए, जिससे बच्चे भाषा समझने में सक्षम हो सकें। गर्भ में बच्चे संवेदनशील होते हैं और माँ का समर्थन उनके विकास पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
भाषा का ज्ञान माँ के गर्भ से आरम्भ
S Sinha
द्वारा
हिंदी पत्रिका
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विवरण
जब शिशु अपनी माँ के गर्भ में ही होता है , वह भाषा का प्रारम्भिक ज्ञान गर्भ से ही सीखना शुरू कर देता है। इस आलेख में इसी संबंध में कुछ प्रकाश डालने का एक प्रयास किया गया है।
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