कहानी "गुलाबो" में एक व्यक्ति की सुबह की भागदौड़ का वर्णन है, जो लोकल ट्रेन को पकड़ने के लिए समय पर निकलने की कोशिश कर रहा है। उसे चिंता है कि अगर ऑटो चालक उसकी ओर ध्यान नहीं देंगे, तो वह अपनी ट्रेन छूट सकता है। जब कई ऑटो उसके इशारों के बावजूद नहीं रुकते, तो वह निराश हो जाती है, लेकिन अंततः एक ऑटो उसके सामने रुकता है। वह ऑटो में बैठने के बाद realizes करती है कि उसके पास छुट्टे पैसे नहीं हैं। लेकिन जब वह लोकल ट्रेन को स्टेशन पर आते देखती है, तो वह बिना देर किए ऑटो से उतरकर भागती है और ट्रेन पकड़ लेती है। उसकी प्रार्थना है कि जब भी वह लेट हो, ट्रेन भी लेट हो और जब जल्दी आए, तो ट्रेन भी जल्दी आए। कहानी में हास्य और तनाव का मिश्रण है, जो रोज़मर्रा की ज़िंदगी की आपाधापी को दर्शाता है। गुलाबो Neetu Singh Renuka द्वारा हिंदी लघुकथा 4 910 Downloads 7.1k Views Writen by Neetu Singh Renuka Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण इस महानगरीय जीवन ने हम में बची थोड़ी-बहुत संवेदना को भी सोख लिया। जीवन की रफ्तार को इतना तेज़ और समयबद्ध कर दिया है कि हम ज़रा ठहर कर किसी और के आँसूँ भी पोंछ नहीं सकते। More Likes This तीन लघुकथाएं द्वारा Sandeep Tomar जब अस्पताल में बच्चा बदल गया द्वारा S Sinha आशरा की जादुई दुनिया - 1 द्वारा IMoni True Love द्वारा Misha Nayra मज़बूत बनकर लौटा समन्दर द्वारा LOTUS पाठशाला द्वारा Kishore Sharma Saraswat डिप्रेशन - भाग 1 द्वारा Neeta Batham अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी