राजाराम की आत्मा पिछले चार चुनावों तक पार्टी की सेवा में सक्रिय रही। वे पार्टी के लिए महत्वपूर्ण थे और हर चुनाव के घोषणा-पत्र के रचयिता थे। उनकी तबीयत बिगड़ने पर पार्टी में हड़कंप मच जाता था। उम्र बढ़ने के साथ, जब पार्टी वालों को उनके अस्सी बसंत पार करने का एहसास हुआ, कानाफूसी शुरू हो गई कि क्या ऐसे उम्रदराज लोगों को राजनीति में बने रहना चाहिए। राजाराम, जो एक अनुभवी और चतुर राजनीतिक व्यक्ति थे, इन बातों को अनदेखा नहीं कर सकते थे। पार्टी में उनकी अहमियत के बावजूद, उनकी उम्र को लेकर चिंताएँ बढ़ने लगी थीं। आत्मा-राम की सलाह ..... sushil yadav द्वारा हिंदी पत्रिका 2.2k Downloads 8.3k Views Writen by sushil yadav Category पत्रिका पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण ज़रा सी उनकी छींक –जुकाम में,पार्टी के दफ्तर में ताला जड जाता था पार्टी के लोग व्याकुल हो जाते थे मन्दिरों में प्रार्थनाएँ ,घरों में दुआओं का दौर शुरू हो जाता था More Likes This इतना तो चलता है - 3 द्वारा Komal Mehta जब पहाड़ रो पड़े - 1 द्वारा DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR कल्पतरु - ज्ञान की छाया - 1 द्वारा संदीप सिंह (ईशू) नव कलेंडर वर्ष-2025 - भाग 1 द्वारा nand lal mani tripathi कुछ तो मिलेगा? द्वारा Ashish आओ कुछ पाए हम द्वारा Ashish जरूरी था - 2 द्वारा Komal Mehta अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी