गनपत एक शाम सुशील से मिलने आया, उसकी नजरें शांत थीं लेकिन वह बेचैन लग रहा था। सुशील ने उससे पूछा कि क्या बात है। गनपत ने झिझकते हुए बताया कि सुशील की भाभी उससे "पहली सी मुहब्बत" मांगती है। सुशील ने गनपत को साफ-साफ बताने के लिए कहा, क्योंकि उसे समझ नहीं आ रहा था कि मामला क्या है। गनपत ने स्पष्ट किया कि यह कोई सामान्य झगड़ा नहीं है, बल्कि कुछ गहरा है। अंततः गनपत ने बताया कि उसकी भाभी उस पर पुराने प्यार की मांग कर रही है। पहली सी मुहब्बत, मेरे महबूब न मांग ........... sushil yadav द्वारा हिंदी पत्रिका 1.6k 2.7k Downloads 9.5k Views Writen by sushil yadav Category पत्रिका पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण मैंने कहा भाई गनपत ,साफ-साफ कहो ,पहेलियाँ मत बुझाओ वैसे पिछले महीने भर से इलेक्शन वाली पहेलियाँ बुझा-बुझा के आपने हमारा दिमाग खाली कर लिया है सीधे-सीधे बताओ तो सही बात क्या है,जहाँ आप हमारी दखल चाहते हैं More Likes This इतना तो चलता है - 3 द्वारा Komal Mehta जब पहाड़ रो पड़े - 1 द्वारा DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR कल्पतरु - ज्ञान की छाया - 1 द्वारा संदीप सिंह (ईशू) नव कलेंडर वर्ष-2025 - भाग 1 द्वारा nand lal mani tripathi कुछ तो मिलेगा? द्वारा Ashish आओ कुछ पाए हम द्वारा Ashish जरूरी था - 2 द्वारा Komal Mehta अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी