यह कहानी समाज की बदलती धारणाओं और लोकतंत्र की जटिलताओं पर प्रकाश डालती है। लेखक यह दर्शाते हैं कि पहले के समय में सत्ता और प्रभाव की भाषा तलवार और बल से होती थी, जबकि आजकल लोकतंत्र ने एक नया स्वरूप ले लिया है, जिसमें हर पांच साल में चुनाव होते हैं, लेकिन यह प्रक्रिया अक्सर विवादास्पद और खर्चीली हो गई है। लेख में महिलाओं के संघर्षों का भी उल्लेख है, जो पनघट से पानी लाने के लिए कठिनाइयों का सामना करती थीं। पहले का जीवन सरल था, जहाँ संसाधनों की कमी नहीं थी और लोग एक-दूसरे से मिलकर रहते थे। आजकल मीडिया की भूमिका को भी महत्वपूर्ण बताया गया है, जो किसी भी राजनीतिक बयान का विश्लेषण करने में सक्रिय हैं। मीडिया के जरिए समाज में फैली अफवाहों और चर्चाओं का जिक्र किया गया है, जो एक नई चुनौती प्रस्तुत करती हैं। कुल मिलाकर, यह कहानी समाज के परिवर्तनों, लोकतंत्र की जटिलताओं और मीडिया की भूमिका को एक रोचक तरीके से प्रस्तुत करती है।
कुछ कहने पे तूफान उठा लेती है दुनिया
sushil yadav द्वारा हिंदी पत्रिका
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विवरण
ये दुनिया इतनी बड़ी नहीं कि मुट्ठी में न समा सके .... आप की वाणी इतनी सरल –सहज हो कि हरदम , ‘सर्व जन हिताय, सर्व जन सुखाय’ की भाषा बोले आजकल अनुवादक लोगो की भीड़ है बिना मिर्च-मसाला लगाए भी अनुवाद की अनंत गुंजाइश रहती है आप संसार में छा जाने लायक कोई काम तो करें ,कीर्ती का पताका दूर से नजर आने लगेगा
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