यह कहानी एक लड़के मनोज की है, जो अपनी गरीबी से लड़ते हुए अपने परिवार की सहायता के लिए अपने बचपन को बलिदान करता है। मनोज का जन्म बिहार के सहरसा जिले में हुआ था, और वह अपने परिवार में तीसरे नंबर का बच्चा था, जिसमें पांच बहनें और दो छोटे भाई थे। उसके माता-पिता अपनी बेटियों की शादी को लेकर चिंतित थे, क्योंकि उनके पिता की आय इतनी कम थी कि वे घर चलाने के अलावा कुछ नहीं बचा सकते थे। जब मनोज 15 साल का हुआ, तो उसके माता-पिता ने उसे शहर भेजने का निर्णय लिया, ताकि वह कमाकर परिवार की मदद कर सके। इस तरह मनोज ने बहुत कम उम्र में ही एक सफल इंसान बनने का सफर शुरू किया। दास्ताने ज़िदगी zeba Praveen द्वारा हिंदी जीवनी 7.2k 2.5k Downloads 9.7k Views Writen by zeba Praveen Category जीवनी पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण ye ak chote ladke ki kahani hai jo bahut gareeb family se belong karta hai,usne apne ma-baap ki madad karne ke liye khud ke bachpan ko kurban kar diya or bahut hi kum umr me ak safal insan ban gaya. More Likes This यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (2) द्वारा Ramesh Desai नकल से कहीं क्रान्ति नहीं हुई - 1 द्वारा Dr. Suryapal Singh अवसान विहीन अरुणेश द्वारा नंदलाल मणि त्रिपाठी प्रेमानंद जी : राधा-कृष्ण लीला के रसिक साधक - 1 द्वारा mood Writer जगमोहन शर्मा (अविस्मरणीय) द्वारा नंदलाल मणि त्रिपाठी Narendra Modi Biography - 1 द्वारा mood Writer मीरा बाई : कृष्ण भक्ति की अमर साधिका - 1 द्वारा mood Writer अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी