यह कहानी बाजार की ठगी और उपभोक्तावाद के प्रभाव पर केंद्रित है। लेखक बताता है कि कैसे समाज और बाजार हमें यह महसूस कराते हैं कि हमें नए उत्पादों की आवश्यकता है। लोग अक्सर अपने पुराने सामान को अनावश्यक समझते हैं और नई चीजें खरीदने के लिए लोन लेने को मजबूर होते हैं। कहानी में बताया गया है कि पहले लोग छोटे घरों में कई परिवार एक साथ रहते थे, लेकिन अब लोग बड़े और महंगे घरों की चाह में जीवन भर की बचत खर्च कर देते हैं। बाजार और पड़ोसी हमेशा बड़ी कार या स्मार्ट टीवी जैसी चीजों की आवश्यकता का दबाव बनाते हैं, जिससे लोग तनाव में रहते हैं। इस प्रकार, बाजार ने हमारी जरूरतों को इस तरह से आकार दिया है कि हम अपने पुराने सामान को छोड़कर नए सामान की तलाश में निकल पड़ते हैं, जिसके परिणामस्वरूप हम आर्थिक तनाव में आ जाते हैं।
बाजार बड़ ठगनी हम जानि
kaushlendra prapanna द्वारा हिंदी पत्रिका
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विवरण
बाजार ने ख़ासकर महिलाओं के सौदर्य आकर्षण को अपना शिकार बनाया है। महिलाओं में सुंदर दिखने की सहज प्रवृत्ति को विभिन्न प्रोडक्ट से लुभाते हैं। इसकी का परिणाम है कि रेज दिन नई नई प्रोडक्ट बाजार में उतारी जाती हैं।
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