चंद्रगुप्त - चतुर्थ - अंक - 42 Jayshankar Prasad द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें फिक्शन कहानी किताबें चंद्रगुप्त - चतुर्थ - अंक - 42 चंद्रगुप्त - चतुर्थ - अंक - 42 Jayshankar Prasad द्वारा हिंदी फिक्शन कहानी 1.7k 9.5k सिल्यूकसने मेगास्थनीज से सत्य जानना चाहा, शब्द चाहे कितने भी कटु हों पर वो सत्य जानना चाहता था, सुनना चाहता था. मेगास्थनीजने कहा की चाणक्य ने एक और भी अड़ंगा लगाया है, उसने कहा है की सिकन्दर के साम्राज्य ...और पढ़ेजो भावी विप्लव है, वह मुझे भलीभांति अवगत है. पश्चिम का भविष्य रक्त रंजित है, इसलिए यदि पूर्व में स्थायी शान्ति चाहते हो तो ग्रीक सम्राट चन्द्रगुप्त को अपना बंधू बना ले. सिल्यूकस को बात समझ में नहीं आई उसे मेगास्थनीज को पूछा, मेगास्थनीज ने कहा की चाणक्य राजकुमारी कार्नेलिया का विवाह सम्राट चन्द्रगुप्त से करवाना चाहते हैं सिल्यूकस यह सुन कर गुस्सा हो गया और कहा.... कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें चंद्रगुप्त - चतुर्थ - अंक - 42 चंद्रगुप्त - उपन्यास Jayshankar Prasad द्वारा हिंदी - फिक्शन कहानी (413) 77k 348.2k Free Novels by Jayshankar Prasad अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Jayshankar Prasad फॉलो