कहानी "चन्द्रगुप्त" जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखी गई एक नाटक की है, जिसमें युद्ध और वीरता के बीच मानवीय भावनाओं का चित्रण किया गया है। कहानी की शुरुआत एक राक्षस के चिंतित प्रवेश से होती है, जो आग और खतरे के बारे में सोचता है। सुवासिनी उसे बताती है कि उसे खोजते हुए बंदी बना लिया गया है, और वह राक्षस से मदद की गुहार करती है। राक्षस अपने कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्धता दिखाते हुए युद्ध क्षेत्र में जाने का निर्णय लेता है। इसके बाद, कार्नेलिया, जो एक ग्रीक राजकुमारी है, पराजय की चिंता करती है और आत्म-सम्मान के लिए खुद को समाप्त करने का विचार करती है। इसी बीच, विजयी चन्द्रगुप्त का प्रवेश होता है, जो कार्नेलिया के पिता को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाने का आश्वासन देता है। कहानी में चन्द्रगुप्त के महानता और कर्तव्य के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाया गया है, जबकि कार्नेलिया के जज़्बात और उसके पिता की सुरक्षा का भी ध्यान रखा गया है। अंत में, चन्द्रगुप्त सैनिकों के साथ प्रस्थान करता है, और कार्नेलिया उसे देखते रहती है। यह कहानी न केवल युद्ध के दृश्य को दर्शाती है, बल्कि मानवीय संबंधों, दायित्वों और आत्म-सम्मान की भी चर्चा करती है। चंद्रगुप्त - चतुर्थ - अंक - 41 Jayshankar Prasad द्वारा हिंदी फिक्शन कहानी 1.6k 3.1k Downloads 12.2k Views Writen by Jayshankar Prasad Category फिक्शन कहानी पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण राक्षस ने पूछा के अब क्या होगा, यह आग जो लग गई है वो बुझी नहीं तो वो कहाँ रहेगा? क्या हम सब ओर से हार गये हैं? सुवासिनी ने आते ही कहा की हम सब ओर से गये राक्षस क्यूंकि समय रहते तुम सचेत नहीं हुए राक्षसने सुवासिनी से पूछा की वो वहां कैसे आई, तो सुवासिनी ने जवाब दिया की वो उसे खोज रही थी तभी उसे बंदी बना दिया गया था, पर क्या अब वो उसके साथ जाने को तैयार है? राक्षस ने सुवासिनी से पूछा की अब वो कहा जा सकता है? क्यूंकि उसकी एक और खाई है तो दूसरी ओर पर्वत Novels चंद्रगुप्त चंद्रगुप्त (स्थान - तक्षशिला के गुरुकुल का मठ) चाणक्य और सिंहरण के बीच का संवाद - उस समय आम्भिक और अलका का प्रवेश होता है - आम्भिक गुरुकुल में शस्... More Likes This DARK RVENGE OF BODYGARD - 1 द्वारा Anipayadav वाह साहब ! - 1 द्वारा Yogesh patil मेनका - भाग 1 द्वारा Raj Phulware बेवफाई की सजा - 1 द्वारा S Sinha RAJA KI AATMA - 1 द्वारा NOMAN क्लियोपेट्रा और मार्क एंथनी द्वारा इशरत हिदायत ख़ान राख की शपथ: पुनर्जन्मी राक्षसी - पाठ 1 द्वारा Arianshika अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी