कहानी "चन्द्रगुप्त" जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखी गई है, जिसमें चन्द्रगुप्त एक संघर्षशील युवा है जो अपने माता-पिता की निर्वासन की स्थिति के बारे में चिंतित है। सुबह के समय, वह अपने आस-पास के अंधकार को दूर करने की कोशिश करता है और अपने जीवन की कठिनाइयों का सामना करने का संकल्प करता है। चन्द्रगुप्त अपने गुरु चाणक्य को बुलाता है और उनसे अपने माता-पिता के बारे में जानकारी मांगता है। चाणक्य उसे बताता है कि उसके माता-पिता ने वानप्रस्थाश्रम ग्रहण किया है और वे शांति की तलाश में हैं। चन्द्रगुप्त अपने माता-पिता का सम्मान करते हुए अपनी निराशा व्यक्त करता है और अपने अधिकारों को पुनः प्राप्त करने का संकल्प करता है। चाणक्य अपने ब्राह्मण धर्म और करुणा का वर्णन करता है, जबकि चन्द्रगुप्त को अपने माता-पिता की स्थिति के लिए चिंता होती है। चाणक्य का कहना है कि उसे अपने अधिकारों को छीन लेना चाहिए, और इसके साथ ही वह राजनीतिक कुचक्रों से निपटने की आवश्यकता को भी महसूस करता है। कहानी अंत में चन्द्रगुप्त की मानसिकता को दर्शाती है, जहां वह अपनी असमर्थता को दूर करने और अपनी स्थिति को सुधारने का संकल्प करता है। यह कहानी न केवल व्यक्तिगत संघर्ष का चित्रण करती है, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों के प्रति भी जागरूकता लाती है। चंद्रगुप्त - चतुर्थ - अंक - 35 Jayshankar Prasad द्वारा हिंदी फिक्शन कहानी 1.8k 3.3k Downloads 11k Views Writen by Jayshankar Prasad Category फिक्शन कहानी पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण चाणक्यने हंस कर कहा, कात्यायन तुम सच्चे ब्राह्मण हो! यह करुणा और सौहार्द का उद्रेक ऐसे ही ह्रदयों में होता है परन्तु मैं निष्ठुर, ह्रदयहिन् मुझे तो केवल अपने हाथों खड़ा किये हुए एक सामराज्य का द्रश्य देख लेना है कात्यायनने जवाब देते हुए कहा की फिर भी चाणक्य उसका सरस मुख मंडल! उस लक्ष्मी का अमंगल! चाणक्य फिर हंसे और बोले, तुम पागल तो नहीं हो गये हो? कात्यायनने कहा तुम हंसो मत चाणक्य! तुम्हारा हंसना तुम्हारे क्रोध से भी भयानक है प्रतिज्ञा करो की तुम उसका अनिष्ट नहीं करोगे! बोलो चाणक्यने कहा कात्यायन! अलक्षेन्द्र कितने विकट परिश्रम से भारतवर्ष से बहार हुए थे क्या तुम यह बात भूल गये? Novels चंद्रगुप्त चंद्रगुप्त (स्थान - तक्षशिला के गुरुकुल का मठ) चाणक्य और सिंहरण के बीच का संवाद - उस समय आम्भिक और अलका का प्रवेश होता है - आम्भिक गुरुकुल में शस्... More Likes This उजाले की राह द्वारा Mayank Bhatnagar Operation Mirror - 3 द्वारा bhagwat singh naruka DARK RVENGE OF BODYGARD - 1 द्वारा Anipayadav वाह साहब ! - 1 द्वारा Yogesh patil मेनका - भाग 1 द्वारा Raj Phulware बेवफाई की सजा - 1 द्वारा S Sinha RAJA KI AATMA - 1 द्वारा NOMAN अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी