कहानी "वो अकेली लड़की और रात" में मेघना, जो पहली बार ट्रेन में सवारी कर रही है, अपने पति अमित के साथ कानपुर जा रही है। ट्रेन में बैठते ही वह रोने लगती है और अपने आसपास के मुसाफिरों की नजरों से घबरा जाती है। मेघना अपने आँसुओं को छुपाने की कोशिश करती है और महसूस करती है कि सभी की निगाहें उस पर हैं। कुछ लड़के उस पर हंस रहे हैं, जिससे वह और भी असहज हो जाती है। यह कहानी समाज में महिलाओं के प्रति नजरिए और उनकी भावनाओं को उजागर करती है। मेघना की स्थिति दर्शाती है कि कैसे एक साधारण यात्रा भी उसके लिए मानसिक तनाव का कारण बन सकती है। वो अकेली लडकी और रात Khushi Saifi द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 43.3k 5.7k Downloads 27.3k Views Writen by Khushi Saifi Category सामाजिक कहानियां पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण सब की नज़रों के खोफ से वो कुछ और अपने अंदर सिमट गई। ट्रेन हल्की हल्की सीटी दे कर अपनी पूरी रफ्तार पकड़ चुकी थी। अब ट्रैन से नीचे उतरना ना मुमकिन था -Khushi Saifi More Likes This ज़िंदगी की खोज - 1 द्वारा Neha kariyaal अधूरा इश्क़ एक और गुनाह - 1 द्वारा archana सुकून - भाग 1 द्वारा Sunita आरव और सूरज द्वारा Rohan Beniwal विक्रम और बेताल - 1 द्वारा Vedant Kana Middle Class Boy द्वारा Bikash parajuli तहम्मुल-ए-इश्क - 4 द्वारा M choudhary अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी