मैं नई नौकरी के चक्कर में इस शहर में नया-नया ही शिफ्ट हुआ हूं। स्वाद के चक्कर में आज रात कुछ ज्यादा ही खा लिया,,, कल सुबह कहीं पेट खराब ना हो जाए इसलिए दवा लेने के लिए मेडिकल स्टोर चल पड़ा क्योंकि एडवांस में ही काम कर लेने की आदत है मुझे।अजीब गली में मकान है मेरा, दिन में यहां जितनी चहल पहल और चकाचोंध रहती है तो रात को उतना ही घना सन्नाटा..... बस रह जाती है झपक झपक कर बंद हो जाने वाली ट्यूब लाइटें।" भाई यहां कोई मेडिकल स्टोर आसपास है...??" मैंने जल्दी में दुकान बंद
वो लडक़ी - उस रात
मैं नई नौकरी के चक्कर में इस शहर में नया-नया ही शिफ्ट हुआ हूं। स्वाद के चक्कर में आज कुछ ज्यादा ही खा लिया,,, कल सुबह कहीं पेट खराब ना हो जाए इसलिए दवा लेने के लिए मेडिकल स्टोर चल पड़ा क्योंकि एडवांस में ही काम कर लेने की आदत है मुझे।अजीब गली में मकान ...और पढ़े
वो लड़की 2 - पर्दा
उस रात के बाद मेरी जिंदगी खौफ और दर्द की कहानी बन चुकी थी।मैं शुरु से बताता हूं।कमरे पर जाने के बाद में रात के 12:30 बज गए थे पर मेरी आंखों से नींद कोसों दूर थी। तो सबसे पहले मैंने उस रात की दास्तान को अपनी डायरी में लिखा और अपने बिस्तर में दुबक गया था। पर नींद तो मानो आंखों से रूठ चुकी थी। हर आहट पर,, यहां तक कि झींगुर की आवाज से भी बदन में सिरहन दौड़ जाती थी ऊपर से पंखे की हवा से हिल रहा खिड़की का 'पर्दा ' मेरे दिल को दहला ...और पढ़े
वो लड़की 2 - बेपर्दा
अब हर आहट पर डरने लगा हूं। कीचड़ की गंध भी मुझ में सिरहन पैदा कर देती है। तन्हा का एहसास तो कोसों दूर है। अब तो लगता है हर कोई मुझे टकटकी लगाकर घूर रहा है। इंसानों से न तो ज्यादा करीबी और न ही ज्यादा दूरी बर्दाश्त होती है। पता नहीं कौन आकर कह दे तुम भी भुगतोगे।विकास के रूम से आने के बाद जैसे तैसे खुद को समेट कर तैयार होकर कॉलेज गया। अब डायरी पीछे बैग में ही रखता हूं पता नहीं कौन सा लम्हा मेरा आखिरी लम्हा हो। मैं पढ़ाने की हालत में नहीं ...और पढ़े
वो लड़की 2 - ख़ौफ़ का राज
मेरा डर के मारे दम उखड़ने लगा था ।मैं तो ढंग से बोल भी नहीं पा रहा था। तभी की आवाज करते हुए बल्ब जला, और चरमराती आवाज के साथ पंखा भी चल पड़ा था। बिजली आ गई थी, राकेश मेरी बांह पकड़ कर रो रहा था। मैं मरना नहीं चाहता.... मैं मरना नहीं चाहता.. बचा लो मुझे। तभी अचानक से पंखा घूमते हुए उसके कंधे पे जा गिरा और राकेश वही बेहोश हो गया।मैं रोने चीखने के अलावा कुछ नहीं कर पाया। मेरे और राकेश दोनों के फोन बैटरी फुल होने के बाद भी बंद हो चुके थे। ...और पढ़े
वो लडक़ी - आत्मालोक
पिछले भागों में आपने पढ़ा कि कैसे उस रात मेरी जिंदगी के आत्माओं की दुनिया से पर्दा हटा , बेपर्दा हो गया ख़ौफ़ का राजइस भाग में सैर करें आत्माओं की दुनिया में।पिछले भाग में महंत जी ओर मेरे मध्य आत्माओ के अस्तित्व के संदर्भ में संवाद हुआ उसके ठीक आगे। इसके बाद पहाड़ियों के उबड़ खाबड़ रास्ते से होते हुए हम मंदिर के ठीक पीछे पहुंचे जहां पर पहाड़ के कटने से एक अर्धचंद्राकार मैदानी आकृति बनी हुई थी जिस के विपरीत तरफ मंदिर की ऊंची दीवार थी वहां से ...और पढ़े
वो लडक़ी - पर्दाफाश
Disclaimer:- "इस कहानी के सभी पात्र और घटनाएं काल्पनिक है, इस कहानी का उद्देश आत्माओं और पेरानॉर्मल विज्ञान के में पाठकों में जागरूकता ,, वो भी मनोरंजन के साथ करना मात्र है। लेखक किसी भी पंथ, सम्प्रदाय या किसी भी परम्परा से दुर्भाव नहीं रखता है।उस रात हुई खतरनाक आहट मुुझे ले गई एक ख़ौफ़नाक दुनिया में , जिससे भ्रम का पर्दा उतरा और बेपर्दा हो गया ख़ौफ़ का राज जिसके कारण मैं पहुंच गया आत्मालोक में, वहां से आने पर कई राज हुुए पर्दाफ़ाशमंदिर में ही बने आरामगाह में नहा धोने के बाद अपनी डायरी लेकर लिख रहा ...और पढ़े
वो लडक़ी - घिन्न
पिछले भागों में आपने पढ़ा कि "उस रात" के बाद मेरी जिंदगी में छा गया ख़ौफ़ का "पर्दा"..ओर "बेपर्दा" गया "खोफ का राज" ओर इतिहास की एक घटना का हुआ "पर्दाफाश" अब आगे।मुझे अपने सपने के अनुसार उस लड़की का सोमू नाम ही मालूम था दूसरे दिन इसी नाम से यज्ञ किया गया। यज्ञ के बाद मैं और महंत जी उसे साफ तौर पे देख सकते थे पर अन्य लोगो से वो सम्पर्क मेरे माध्यम से ही कर सकती थी।वो रंगोली जैसे मण्डप में बैठी थी।महंत जी ने उस लड़की से कहा,"कुछ बताना चाहती थी तुम अंकित को,,,शायद इंसाफ ...और पढ़े
वो लडक़ी - वापसी
पिछले भागों में आपने पढ़ा कि कैसे "उस रात" मेरी आम जिन्दगीं में ख़ौफ़नाक "पर्दा" गिरा और "बेपर्दा" हो "ख़ौफ़ का राज़" जिसने मुझे पहुंचा दिया "आत्मालोक" में । वहां मिली सोमू जिसने "पर्दाफाश" किया मेरे घिनोने गुनाह का ओर घिर गया मैं "घिन्न" मेंक्या हो पाएगी मेरी "वापसी" पढ़ें वो लड़की सीरीज का भाग 8 वापसीपूरी रात अपने गुनाह पूरे लिखते लिखते पेन और मेरे आंसू दोनों ही पूरे सूख चुके थे।"अंकित...! अब हमें चलना होगा" राकेश दरवाज़े को हल्का सा खटखटाते हुए कहा।थोड़ा ...और पढ़े
वो लडक़ी - सोमू
मेरी शांत से जीवन मे "उस रात" वो लड़की एक ख़ौफ़नाक "पर्दा" लेकर आई। उसने "बेपर्दा" कर दिया "ख़ौफ़ राज़" फिर वो लड़की ले गई मुझे "आत्मालोक" में, वहां पर्दाफाश हुए कुछ ऐसे राज़ कि मुझे खुद से "घिन्न" हो उठी, वो लड़की कोई और नही "सोमू" थी जिसने मेरी "वापसी" फिर से मेरी दुनिया मे करवाई। आज सोमू मेरी दुनिया का हिस्सा है , अब आगे सोमू Dear diary, माफी ...और पढ़े
वो लडक़ी - सज़ा
वो लड़की "उस रात" मेरी जिंदगी में एक रहस्य का "पर्दा" लेकर आई... फिर "बेपर्दा" कर गई "ख़ौफ़ का । वो मुझे ले गई "आत्मालोक" में जहां "पर्दाफ़ाश" हुआ एक ऐसी "घिन्न" का जहां से "वापसी" तब तक सम्भव नहीं थी जब तक "सोमू" अपना "बदला" लेकर गुनाहगारों को "सज़ा "न दिला दे...अब आगे अध्याय-11 सज़ाआज वो दिन आ ही गया जब उन दरिंदो को उनके किये की सज़ा मिलेगी। सोमू ने मुझसे दरख्वास्त की है कि उन दरिंदो को मैं उस पहाड़ी तक पहुंचाऊं जहां सोमू ...और पढ़े
वो लडक़ी - कैद
वो लड़की "उस रात" मेरी जिंदगी में एक रहस्य का "पर्दा" लेकर आई... फिर "बेपर्दा" कर गई "ख़ौफ़ का । वो मुझे ले गई "आत्मालोक" में जहां "पर्दाफ़ाश" हुआ एक ऐसी "घिन्न" का जहां से "वापसी" तब तक सम्भव नहीं थी जब तक "सोमू" अपना "बदला" लेकर गुनाहगारों को "सज़ा "न दिला दे...पर शायद सज़ा मुझे मिलने जा रही थी , एक "कैद" के रूप में.... अब आगे। अध्याय 12 - कैद ...और पढ़े
वो लडक़ी - रिहाई
वो लड़की "उस रात" मेरी जिंदगी में एक रहस्य का "पर्दा" लेकर आई... फिर "बेपर्दा" कर गई "ख़ौफ़ का । वो मुझे ले गई "आत्मालोक" में जहां "पर्दाफ़ाश" हुआ एक ऐसी "घिन्न" का जहां से "वापसी" तब तक सम्भव नहीं थी जब तक "सोमू" अपना "बदला" लेकर गुनाहगारों को "सज़ा "न दिला दे...पर शायद सज़ा मुझे मिली, एक "कैद" के रूप में.. क्या उस ख़ौफ़नाक कैद से मेरी रिहाई हो पाएगी?? अब पढ़े आगे। अध्याय-13 रिहाईहां.. यह वही जगह थी , जहां पर जालिम की कैद में मैंने सोमू को ...और पढ़े
वो लडक़ी - शैतान
ये "वो लड़की" लघुउपन्यास का 14 वा तथा अंतिम अध्याय है। इससे पहले इस लघुउपन्यास के 13 अध्याय आ हैं जो निम्न है।1.उस रात2. पर्दा 3. बेपर्दा4. ख़ौफ़ का राज5. आत्मालोक6.पर्दाफ़ाश7. घिन्न8. वापसी9. सोमू10. बदला11. सज़ा12. कैद 13. रिहाईइस अध्याय को पढ़ने से पहले आप ये 13 अध्याय को फिर से पढ़ ले, ताकि कहानी का पूरा मजा आ सके।वो लड़की "उस रात" मेरी जिंदगी में एक रहस्य का "पर्दा" लेकर आई... फिर "बेपर्दा" कर गई "ख़ौफ़ का राज" । वो मुझे ले गई "आत्मालोक" में जहां "पर्दाफ़ाश" हुआ एक ऐसी "घिन्न" का जहां से "वापसी" तब तक सम्भव नहीं ...और पढ़े
वो लडक़ी - उपसंहार
ये कहानी है जैसलमेर के सबसे रहस्यमयी स्थान कुलधरा के बारे में ... 84 से 85 गांवों का एक समूह जहां जाते ही पेरानॉर्मल अन्वेषकों के रेडियो और मोबाइल अजीब बर्ताव करने लगते थे । वहां रात को पार्क की गई गाड़ियों पर बच्चे और औरतों के हाथों के निशान मिलते थे। वहां का तापमान सामान्यतः 4 डिग्री ज्यादा मिलता था। उस जगह पर रेडियो टीवी रडार आदि अच्छे से काम नहीं करते थे, पर पिछले कुछ सालों में वहां की पेरानॉर्मल एक्टिविटी में काफी गिरावट आई है । इंवेटिगेटर्स को सेम गेजेट्स के साथ उन्ही जगह पर अब ...और पढ़े