जिंदगी के पन्ने

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रागिनी का जन्म एक ऐसी रात को हुआ, जो माँ दुर्गा के पूजन के दिनों में ख़ास मानी जाती है—नवरात्रि का चौथा दिन। रात के ठीक तीन बजे, जब चारों ओर सन्नाटा था और रात अपने पूरे अंधकार में थी, तब एक नई किरण इस संसार में आई थी। उस किरण का नाम रखा गया—रागिनी। रागिनी के माता-पिता के लिए यह पल सपनों से भी सुंदर था। वह उनकी पहली संतान थी, जो एक नए उजाले का प्रतीक बनकर उनके जीवन में आई थी। उसका जन्म किसी आशीर्वाद से कम नहीं था, और इस शुभ मुहूर्त ने इस क्षण को और भी विशेष बना दिया। माँ दुर्गा की शक्ति के दिनों में जन्मी रागिनी अपने साथ एक अनोखा प्रभाव लेकर आई थी, मानो उसमें किसी देवी का साकार रूप हो।

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जिंदगी के पन्ने - 1

रागिनी का जन्म एक ऐसी रात को हुआ, जो माँ दुर्गा के पूजन के दिनों में ख़ास मानी जाती का चौथा दिन। रात के ठीक तीन बजे, जब चारों ओर सन्नाटा था और रात अपने पूरे अंधकार में थी, तब एक नई किरण इस संसार में आई थी। उस किरण का नाम रखा गया—रागिनी। रागिनी के माता-पिता के लिए यह पल सपनों से भी सुंदर था। वह उनकी पहली संतान थी, जो एक नए उजाले का प्रतीक बनकर उनके जीवन में आई थी। उसका जन्म किसी आशीर्वाद से कम नहीं था, और इस शुभ मुहूर्त ने इस क्षण को ...और पढ़े

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जिंदगी के पन्ने - 2

रागिनी के जन्म से ही घर में खुशियों का माहौल था। उसकी हंसी, उसके नन्हे हाथ-पैरों की हलचल, और भोली-भाली आंखों ने पूरे परिवार को अपने में समेट लिया था। जैसे-जैसे दिन बीतते गए, वैसे-वैसे रागिनी बड़ी होने लगी। उसकी हर छोटी-बड़ी हरकत पूरे घर के लिए खास होती थी। उसका हंसना, रोना, और यहां तक कि उसकी नन्ही-नन्ही कोशिशें हर किसी के चेहरे पर मुस्कान ले आती थीं। रागिनी ने धीरे-धीरे घुटनों के बल चलना शुरू कर दिया था। उसकी छोटी-छोटी उंगलियां फर्श पर रेंगती हुई चलतीं, और वह अपनी खिलखिलाती हंसी से सबका दिल जीत लेती। जब ...और पढ़े

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जिंदगी के पन्ने - 3

रागिनी, जो अब तीन साल की हो गई थी, अपने मासूम चेहरे और चमकती आँखों के साथ सभी का जीत रही थी। उसकी मासूमियत और प्यारी मुस्कान ने हर किसी को आकर्षित किया था। पड़ोस में कोई उसे देखता, तो उसके चेहरे पर एक अद्भुत चमक देखते ही बनती थी। उसकी मासूमियत ने उसे सबकी चहेती बना दिया था। उसके पास एक हरे रंग का बंदर का खिलौना था, जिसे वह हमेशा अपने साथ रखती थी। यह खिलौना न केवल उसकी सबसे प्यारी चीज़ थी, बल्कि यह उसके लिए एक दोस्त भी था। रागिनी उसे हर वक्त गले लगाती, ...और पढ़े

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जिंदगी के पन्ने - 4

रागिनी के घर में जब उसकी छोटी बहन का जन्म हुआ, तो वह केवल तीन साल की थी। छोटी-सी में भी, रागिनी के दिल में अपनी बहन के लिए एक अलग ही प्यार उमड़ पड़ा। उसकी बहन नन्ही और प्यारी थी, गोया घर में एक नया फूल खिल आया हो। उसकी छोटी-सी आँखों में जो मासूमियत थी, उसने सबका दिल जीत लिया था। रागिनी उसे बड़े ध्यान से देखती, कभी उसकी छोटी उँगलियों को पकड़कर प्यार करती तो कभी उसकी हंसी सुनकर मुस्कुरा उठती। उसकी मासूमियत रागिनी के बाल मन पर गहरी छाप छोड़ रही थी। लेकिन जैसे ही ...और पढ़े

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जिंदगी के पन्ने - 5

रागिनी अब चार साल की होने वाली थी, और घर में सभी बहुत उत्साहित थे क्योंकि अब वह स्कूल के काबिल हो गई थी। उसकी मम्मी और पापा ने काफी दिनों से उसके स्कूल में दाखिला करवाने की तैयारियां शुरू कर दी थीं। नए स्कूल बैग से लेकर यूनिफॉर्म तक, सब कुछ बड़े प्यार से चुना गया था। रागिनी खुद भी इस सब के लिए बेहद उत्साहित थी। स्कूल जाने का ख्याल ही उसे खुशी से भर देता था, और उसे अपनी यूनिफॉर्म, किताबें और स्टेशनरी बहुत पसंद आईं। आखिरकार वह दिन आ ही गया जब रागिनी का स्कूल ...और पढ़े

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जिंदगी के पन्ने - 6

रागिनी का जन्म अक्टूबर में हुआ था, और इसी वजह से उसके शुरुआती स्कूल के दिन थोड़े अलग रहे। साल तक उसने यूकेजी (Upper Kindergarten) और एलकेजी (Lower Kindergarten) में बिताए, क्योंकि उसका उम्र अन्य बच्चों से थोड़ी अलग रही। जब उसकी उम्र के अन्य बच्चे पहली कक्षा में जा चुके थे, रागिनी अभी भी शुरुआती कक्षाओं में थी। इस छोटे से अंतर ने उसे एक विशेष अनुभव से गुज़ारा, लेकिन वह कभी पीछे नहीं रही। आखिरकार, तीसरे साल के बाद, उसे पहली कक्षा में प्रवेश मिला। पहली कक्षा में जाने से पहले, रागिनी का स्कूल भी बदल दिया ...और पढ़े

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