यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है और सिर्फ़ मनोरंजन के उद्देश्य से बनाई गई है। कहानी में दर्शाए गए पात्र , संस्थाएं और घटनाएं काल्पनिक है। इनका उपयोग दृश्यों, पात्रों और घटनाओं को नाटकीय बनाने के लिए किया गया है। कहानी का किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से या किसी वास्तविक घटना से कोई सम्बंध नहीं है। किसी भी प्रकार की समानता महज़ एक संयोग है या फिर अनजाने में हुआ है। कहानी का उद्देश्य किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति को बदनाम करना नहीं है। कहानी का कंटेंट, कहानी के लेखक और कहानी से जुड़े किसी भी शख़्स (व्यक्तियों) का उद्देश्य किसी भी तरह से किसी व्यक्ति, समुदाय या वर्ग, किसी भी धर्म या धार्मिक भावनाओं या मान्यताओं का अपमान या ठेस पहुंचाना नहीं है। कहानी में कुछ अभिव्यक्तियों का उपयोग विशुद्ध रूप से दृश्यों को नाटकीय बनाने के लिए किया गया है। कहानी का लेखक या कहानी से जुड़ा कोई भी व्यक्ति, किसी भी व्यक्ति द्वारा इस तरह के अभिव्यक्तियों के उपयोग का समर्थन नहीं करता है।

Full Novel

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साथी - भाग 1

13 June 2024 Wednesday ‘साथी’ अस्वीकरण यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है और सिर्फ़ मनोरंजन के उद्देश्य बनाई गई है। कहानी में दर्शाए गए पात्र , संस्थाएं और घटनाएं काल्पनिक है। इनका उपयोग दृश्यों, पात्रों और घटनाओं को नाटकीय बनाने के लिए किया गया है। कहानी का किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से या किसी वास्तविक घटना से कोई सम्बंध नहीं है। किसी भी प्रकार की समानता महज़ एक संयोग है या फिर अनजाने में हुआ है। कहानी का उद्देश्य किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति को बदनाम करना नहीं है। कहानी का कंटेंट, कहानी के ...और पढ़े

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साथी - भाग 2

जब थोड़ा पैसा मिला तो दोनों ने पैसा जमाकर के एक बड़ी सी दरी खरीदी ताकि बिछा भी सकें औढ़ भी सकें. ताकी रात को दोनों चैन से सौ सके. रोज़ रात को दोनों थक हारकर अपनी दरी और चादर में एक दूसरे से लिपटकर सो जाते. दोनों एक दूसरे का बिल्कुल वैसे ही ख़याल रखते, जैसे एक पुरुष अपनी स्त्री का रखता है और एक पत्नी अपने पति का रखती है. दोनों के काम और स्वभाव से प्रसन्न होकर उस चाय वाले ने उन्हें एक छोटे होटल वाले से मिलवा दिया. जहाँ उन्हें बर्तन माजना और साफ-सफाई का ...और पढ़े

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साथी - भाग 3

भाग -3 एक ऑफर है तुम्हारे लिए. ‘कैसा ऑफर ?’ ‘अरे तुम चलो तो सही यार....! तुम ना सवाल करते हो. वह उसे एक और मधुशाला में ले गया, जहाँ बैठकर एक व्यक्ति नशा कर रहा था. उनसे भी उसे एक बार और उपर से नीचे तक देखा और कहा ‘मेरे पास एक रास्ता है, तुम्हारी दो रातों का सवाल है, फिर तुम्हें फिल्मों में काम भी मिलेगा और तुम रातों रात एक सितारा बन जाओगे सिर्फ इतना ही नहीं तुम्हें तुम्हारी उन दो रातों का पैसा भी मिलेगा वो अलग सोच लो ऊपर से तुम एक मर्द हो ...और पढ़े

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साथी - भाग 4

भाग -4 ‘अरे तू ना एकदम बुद्धू है यार, सब इस दारू की गलती है. सुन ध्यान से थोड़ा समझने की कोशिश कर ना यार ...मैं ना उनकी वो वाली जरूरत को पूरा कर देता हूँ कहते हुए हँसने लगता है. ‘वो वाली जरूरत मतलब ? कौन सी जरूरत ? ‘अरे यार....! तू अब भी नहीं समझा ? नहीं...! अरे वो, वो वाली जरूरत जो तू मेरी पूरी करता है ना...! जब मुझे या तुझे जरूरत होती है। ओह अच्छा....! वो वाली, पर उनके लिये तो उनका पति होगा ना उनके पास ? वो अब भी नशे ...और पढ़े

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साथी - भाग 5

भाग -5 धीरे-धीरे समय निकलने लगा. पहले वाले ने अपनी मेहनत और ईमानदारी के बल पर अपना व्यापार कर दिया. मगर दूसरा वाला पहले वाले के गम में इस कदर बर्बाद हुआ कि जीवन के अंतिम मोड़ पर आ गिरा पर दोनों ही अपनी अपनी जिंदगी में किसी और को जगह ना दे सके. पहले वाले ने दूसरे वाले को भुलाने के लिए खुद को काम में झोंक दिया, पर दूसरे वाले ने खुद को दारु शराब और नशे में डुबो दिया. पहले के चले जाने से मानो दूसरे की दुनिया ही ख़त्म हो गयी. फिर उसने हर ...और पढ़े

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साथी - भाग 6

भाग -6 वैसा ही ऊँचा लंबा कद लेकिन भिखारियों से भी अधिक गयी गुज़री स्थिति, मेले कुचले फटे हुए धूल मिट्टी से सना बदन, रूखी सूखी भूसे जैसी दाढ़ी मूंछ और बाल जैसे बन्दा महीनों से नहीं नहाया हो और उस पर से काला पड़ चुका रंग, हादसे के कारण पट्टियों से बंधा बदन और पैर में प्लास्टर एक हाथ में लगी हुई ड्रीप, पहले तो, वह व्यक्ति मरीज की ऐसी हालत देखकर फूट -फूटकर रोया. उसके पास बैठकर उसका हाथ अपने हाथों में लेकर रोया, उससे माफी मांगी, बहुत देर बाद जब उसे होश आया, तब उस पहले ...और पढ़े

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साथी - भाग 7

भाग -7 इस दृश्य के बाद पहले वाले की हिम्मत नहीं हुई कि वह फोन उठा पाता. वह बस आ रहे फोन की चमक को एकटक देखता रहा और फिर जब अचानक वह फोन बन्द हो गया. तब अचानक ही पहले कि तंद्रा टूटी और उसने लपक के वह फोन उठा लिया और अपने दूसरे फोन से मिलाकर चेक करने की कोशिश करने लगा कि यह फोन किसने किया था. पर इस बार सामने से कोई जवाब नही आया अर्थात फोन नहीं उठा. पहले वाले को हमेशा कि तरह फिर निराशा ही हाथ लगी. उसने फिर एक बार पहले ...और पढ़े

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साथी - भाग 8

भाग -8 उस रोज तेज बारिश के कारण और आस पास से निकलती हुई गाड़ियों के तेज हॉर्न के मुझे पूरी बात सुनाई ही नहीं दी मुझे केवल दुर्घटना ही सुनाई दिया और यह शब्द सुनकर मैं और भी ज्यादा घबरा गया था. तो मैंने उस व्यक्ति की पूरी बात ही नहीं सुनी और उस पर चिल्लाने लगा फिर जब उसने मुझे तुम्हारे जीवित होने का आश्वासन दिया तब कहीं जाकर मेरी जान में जान आयी. मेरे जीवित होने का आश्वासन ...मतलब ? अरे बाबा, फोन मिलने से पहले तक तो मैं यही मानकर चल रहा था ना कि ...और पढ़े

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साथी - भाग 9

अब जब दोनों साथ रहने लगे हैं, तब दोनों ही बहुत खुश हैं. लेकिन कहीं ना कहीं दूसरे वाले चेहरे पर वो पहले वाली खुशी नहीं एक संकोच सा दिखायी देता है जिसे वह बहुत छिपाने की कोशिश भी करता है. लेकिन फिर भी उसके मन के अंदर का यह भाव रह रहकर उसके चेहरे पर आही जाता है. पहले वाले ने कई बार दूसरे वाले से कहा क्या बात है तू कुछ खोया सा रहता है सब ठीक है ना...? हाँ.. हाँ, सब ठीक है. ऐसी तो कोई बात नहीं है. पहले वाला उसका चेहरा देखकर ही समझ ...और पढ़े

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साथी - भाग 10

पहले वाले ने अब भी जब कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तब दूसरे वाले को यकीन हो गया कि पहले भी शायद यहीं चाहता है कि वह इस घर से चला जाए... अभी दूसरे वाले ने बाहर जाने वाला दरवाजा खोला ही था कि पीछे से आवाज़ आयी तुम्ही सारी ज़िन्दगी, सारे फैसले करते रहो गे क्या...? मेरी सहमति या असहमति तुम्हारे लिए कभी कोई मायने नहीं रखती भी है या नहीं ...! शायद नहीं इसलिए तुम मुझसे बातें छिपते हो, मुझे कभी खुल कर अपना कोई सच नहीं बताते. मेरी तुम्हारे जीवन में कोई अहमियत ही नहीं है ...? ...और पढ़े

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साथी - भाग 11

भाग -11 यह पत्र पढ़कर पहले वाले की आँखों में क्रोध के साथ साथ आँसू भी उमड़ आये और वह पत्र मरोड़कर वही फेंक दिया. इधर कुछ दिनों से पहले वाले के ऑफिस में एक नये ज्वाइन किए लड़के ने सारे स्टॉफ का दिल जीत रखा है. जितना मीठा व्यवहार है उसका, उतना ही अच्छा काम भी करता है. बड़ो से प्यार, हमउम्र से अपनापन जैसे सभी अच्छे गुणों से परिपूर्ण है वो, पहले वाले के दिल में भी अब उसके प्रति लगाव पनपने लगा है. उसे देखकर ना जाने क्यों पहले वाले को अपने जवानी के दिन याद ...और पढ़े

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साथी - भाग 12 (अंतिम भाग)

भाग -12 उस वक्त पहले वाले ने उससे कुछ नहीं कहा और दोनों चुपचाप ही वापस लौट आये. समय साथ -साथ उस लड़के का उपचार चलता रहा. लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. इस बीच उसके कई टेस्ट भी हुए लेकिन सभी कुछ सामान्य ही निकला. ऐसे में यह पता लगाना और भी कठिन हो गया था कि ऐसी मानसिकता कोई मनोरोग है या कोई और ही मामला है. क्यूंकि मानसिक स्तर पर लड़का बहुत ही कुशल समझदार और पूर्णतः स्वस्थ पाया गया. काउंसलिंग के दौरान भी उसने सिवाय अपनी उलझन के ऐसी कोई बात नहीं बतायी या कही जिसके ...और पढ़े

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