प्रेम दीवानी आत्मा

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आयु में अपने से दो वर्ष बड़ी पड़ोस में रहने वाली अंकिता को जब उसके कॉलेज में साथ पढ़ने वाला विक्रम बोलता है "आप गुलाबी साड़ी में बहुत खूबसूरत लग रही हो" तो उसकी यह बात सुनकर सिद्धार्थ यह समझ नहीं पा रहा था कि मुझे विक्रम की यह बात सुनकर विक्रम पर इतना गुस्सा क्यों आ रहा है, कहीं मुझे अंकिता से प्रेम तो नहीं हो गया है, इसलिए सिद्धार्थ अंकिता के जन्मदिन की पार्टी बीच में ही छोड़कर अपने घर वापस आ जाता है। क्योंकि उसे वह दिन आज भी याद था कि जब वह स्कूल से घर आया था तो उसके घर के आगे आस पड़ोस के लोगो

Full Novel

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प्रेम दीवानी आत्मा - भाग 1

आयु में अपने से दो वर्ष बड़ी पड़ोस में रहने वाली अंकिता को जब उसके कॉलेज में साथ पढ़ने विक्रम बोलता है "आप गुलाबी साड़ी में बहुत खूबसूरत लग रही हो" तो उसकी यह बात सुनकर सिद्धार्थ यह समझ नहीं पा रहा था कि मुझे विक्रम की यह बात सुनकर विक्रम पर इतना गुस्सा क्यों आ रहा है, कहीं मुझे अंकिता से प्रेम तो नहीं हो गया है, इसलिए सिद्धार्थ अंकिता के जन्मदिन की पार्टी बीच में ही छोड़कर अपने घर वापस आ जाता है।क्योंकि उसे वह दिन आज भी याद था कि जब वह स्कूल से घर आया ...और पढ़े

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प्रेम दीवानी आत्मा - भाग 2

सिद्धार्थ खुद नहीं समझ पा रहा था कि अंकिता के प्यार में, मैं इतना पागल कैसे होता जा रहा कि मैं अंकिता के दिल की बात जाने बिना उससे अपने प्रेम का इजहार करने के लिए बेकरार हो रहा हूं, किंतु सिद्धार्थ जितना भी अपने पर नियंत्रण कर रहा था, उतना ही उसकी बेचैनी बढ़ रही थी कि मैं जल्दी से जल्दी अंकिता से कहूं कि "मैं तुमसे बेइंतहा मोहब्बत करता हूं और अगर आप मुझे नहीं मिली तो मैं अपनी जान दे दूंगा।"तभी छत के सन्नाटे भरे माहौल में अचानक एक तेज हवा का झोंका सिद्धार्थ के पास ...और पढ़े

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प्रेम दीवानी आत्मा - भाग 3

बड़े भैया नंदू का प्रेम पत्र पढ़ कर सिद्धार्थ सोचता है, जब सीमा नंदू भैया को पसंद नहीं करती तो नंदू भैया ने उसे भूलने की कोशिश क्यों नहीं की।फिर सोचता है लेकिन मुझे तो ऐसा लगता है कि अंकिता भी मुझसे प्यार करती है, मैंने तो उसे अपनी बाहों में जकड़ा लिया था, फिर भी उसने मुझे कुछ नहीं कहा, बल्कि मेरे कहने से अपनी छत पर और आ गई थी और कभी-कभी मुझे पक्का यकीन हो जाता है कि अंकिता भी मुझसे प्यार करती है और अंकित जैसी समझदार खूबसूरत लड़की मिलना मुश्किल है, इसलिए अंकिता से ...और पढ़े

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प्रेम दीवानी आत्मा - भाग 4

सिद्धार्थ अपने मृत नंदू भैया की आवाज सुनकर सोचता है "शायद कुछ दिनों से मैं अंकिता और उसके परिवार ज्यादा ही जुड़ गया हूं, और अंकिता कि बहन सीमा की वजह से मुझे अपने नंदू भैया की बार-बार याद आती है, इसलिए शायद मैं खुद ही कल्पना कर लेता हूं कि इस समय नंदू भैया क्या सोच रहे होंगे।" अंकिता के जाने के बाद सिद्धार्थ को अपनी पसंदा का त्यौंहार दिवाली मनाने की खुशी एकदम से गायब हो जाती है, सिद्धार्थ का कॉलेज अंकिता के कॉलेज के पास ही था, सिद्धार्थ फर्स्ट ईयर का स्टूडेंट था, और अंकिता फाइनल ...और पढ़े

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प्रेम दीवानी आत्मा - भाग 5

इस बात को अच्छी तरह समझने के बाद सीमा नंदू की बेचैन भटकती आत्मा से बचने के लिए अपने विशाल को फोन करके उससे मदद मांगती है।विशाल अपने बिजनेस के सिलसिले में शहर से बाहर गया हुआ था, वह सीमा की सारी बात सुनकर समझ कर तुरंत अपनी मां को फोन करके मां के साथ अपने परिवार के गुरु जी को सीमा के पास घर भेजता है। विशाल की मां उस समय गुरु जी के आश्रम में ही थी, विशाल के पिता का दो साल पहले स्वर्गवास हो चुका था।गुरु जी सीमा के घर में घुसते ही समझ जाते ...और पढ़े

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प्रेम दीवानी आत्मा - भाग 6

विक्रम और सीमा जब अंकिता के कमरे में आपस में बातें करते हुए पहुंचते हैं कि अंकिता सिद्धार्थ की का नाटक कल दोपहर से शुरू होगा, तो अंकिता विक्रम को अपनी नाराजगी दिखाते हुए उससे कहती है "आपको क्या जरूरत थी, सबके सामने हीरो बनने की मैं अबला नारी नहीं हूं, बिना शादी किए भी मैं अपना जीवन सुकून शांति ऐशो आराम से जी सकती हूं।"तो फिर अपमान होने के बाद विक्रम कुछ वक्त वहां रुक कर अपने घर चला जाता है।विक्रम के जाने के बाद सीमा अंकिता को बताती है कि "पंडित जी कह रहे हैं, नकली शादी ...और पढ़े

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प्रेम दीवानी आत्मा - भाग 7

सिद्धार्थ के रोंगटे खड़े होने लगते हैं, उसे ऐसा महसूस होता है कि नंदू भैया की आत्मा उसके शरीर प्रवेश कर रही है और जैसे ही सिद्धार्थ की मां सिद्धार्थ को देखकर उसके सर पर हाथ रखकर कहती है "अपने भाई को परेशान मत कर नंदू बेटा।" तो मां के यह कहते ही सिद्धार्थ बिल्कुल ठीक हो जाता है।सिद्धार्थ के घर के अंदर पहुंचने के बाद जब अंकिता की मां को घर में बैठने के लिए कुर्सी नहीं मिलती है तो सिद्धार्थ अपनी कुर्सी से उठ कर अंकिता की मां को अपनी कुर्सी बैठने के लिए देता है, लेकिन ...और पढ़े

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प्रेम दीवानी आत्मा - भाग 8

नंदू की आत्मा अंकिता को मकान की तीसरी मंजिल से नीचे फेंक देती है और नंदू की आत्मा अपने से निकलते ही सिद्धार्थ भी अंकिता के पीछे अपने घर की तीसरी मंजिल से नीचे कूद जाता है।दोनों के छत से नीचे गिरते ही आस पड़ोस के लोग वहां से आने जाने वाले लोग शोर मचा कर दोनों के परिवार वालों को बुलाते हैं और फिर आस पड़ोस के लोगों की मदद से अंकिता सिद्धार्थ के माता-पिता सिद्धार्थ अंकिता को अस्पताल पहुंचते हैं। अंकिता की मां गुस्से में अपने पति बेटी सीमा से बिना पूछे सिद्धार्थ के खिलाफ पुलिस कंप्लेंट ...और पढ़े

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प्रेम दीवानी आत्मा - भाग 9

अंकिता के घर का एक कमरा पूरी तरह जल कर राख होने के बाद मोहल्ले में सिद्धार्थ की आयु युवक की बिजली का करंट लगने से मृत्यु के बाद सारे मोहल्ले के लोग आपस में बातें करते हैं कि नंदू की मौत के बाद मोहल्ले में बुरी बुरी घटनाएं हो रही है, इसलिए हम सब मोहल्ले वालों को मिल जुल कर मोहल्ले की सुख शांति के लिए एक बड़ी पूजा करनी चाहिए।अंकिता कि मां मोहल्ले वालों की बात सुनकर रो रो कर चिल्ला चिल्ला कर कहती है "मोहल्ले में जो भी दुखद घटनाएं हो रही हैं, उन सब का ...और पढ़े

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प्रेम दीवानी आत्मा - भाग 10

सिद्धार्थ से अपने प्यार का इजहार करने से पहले ही जब अंकिता पादरी साहब के डॉक्टर बेटे टोनी की आकर्षित होने लगती है तो इस वजह से वह अपनी ही नजरों में गिरने लगती है कि मैं सिद्धार्थ की भी प्रेमिका बनने की सोच रही हूं,और डॉक्टर टोनी को भी अपने प्रेमी के रूप में देखना मुझे अच्छा लग रहा है, इस बात का उसके दिमाग पर इतना गहरा असर पड़ता है कि वह अपने मन में ठान लेती है कि चाहे मेरी जान चली जाए लेकिन मैं नर्स मारथा के पादरी भाई के घर कभी नहीं आऊंगी क्योंकि ...और पढ़े

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प्रेम दीवानी आत्मा - भाग 11

"रात बहुत हो गई है, खाना खाकर अपने घर चली जाना।" सिद्धार्थ ने कहा"नहीं मैं घर पर ही खाना वरना मां बहुत नाराज होगी। अंकिता कहती हैसिद्धार्थ गैरों की तरह अंकिता की तरफ देखकर कहता है "ठीक है न जाने कितने दिन तुम हमारे साथ हो कौन सा रोज तुम्हें हमारे साथ खाना खाना है।"अंकिता के पहले से ही डॉक्टर टोनी की वजह से दुखी दिल को सिद्धार्थ की यह बात सुनकर और दुख पहुंचता है, इस वज़ह से उसकी आंखों से टप टप आंसू टपकने लगते हैं, लेकिन सिद्धार्थ उसे रोता हुआ देखकर चुप करवाने की जगह अपने ...और पढ़े

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प्रेम दीवानी आत्मा - भाग 12

कार की सीट पर डॉक्टर टोनी को बैठा देखकर अंकिता तुरंत सिद्धार्थ के कंधे से अपना सर हटा लेती कि कहीं डॉक्टर टोनी यह ना सोचे कि मैं सिद्धार्थ से प्यार करती हूं और धीरे से सिद्धार्थ से कहती है, "यही टोनी है।" सिद्धार्थ यह सुनकर अंकिता से थोड़ा और दूर हो जाता है।अंकिता के हाथ में खाना देखकर डॉक्टर टोनी हंसी मजाक के लहजे में पूछता है? "आज आप क्या कही पार्टी कर रही हैं।""नहीं खाना पकाने का आज मन नहीं था, इसलिए रेस्टोरेंट से पका हुआ खाना खरीद कर ला रही हूं। अंकिता कहती है"बाहर का ज्यादा ...और पढ़े

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प्रेम दीवानी आत्मा - भाग 13

इसलिए सिद्धार्थ दिवाली तक चुप रहने का फैसला लेता है और जब अंकिता शाम को सिद्धार्थ के घर आकर से कहती है "मैं बहुत उलझन में फंस गई हूं, यह प्रेम बहुत दुखदाई होता है, टोनी के ऑफर के बाद उससे एक पल भी दूर रहना मुझे बहुत मुश्किल लग रहा है, इसलिए मैं अभी इसी समय फोन करके टोनी से कह रही हूं कि मैं आज से ही तुम्हारे साथ लिविंग रिलेशनशिप में रहने के लिए तैयार हूं।" और अंकिता सिद्धार्थ के मना करने के बावजूद उस की परवाह किए बिना डॉक्टर टोनी को फोन कर देती है ...और पढ़े

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प्रेम दीवानी आत्मा - भाग 14

सिद्धार्थ रेलवे जंक्शन पर अंकिता को चारों तरफ ढूंढता है और जब उसे शक होता है कि शायद अंकिता ट्रेन में चढ़ गई है तो वह भी उस ट्रेन में चढ़ जाता है।प्यार में दिल पर चोट खाई अंकिता को रेलवे स्टेशन पर उतर कर अगल डिब्बे में ढूंढते ढूंढते चार रेलवे स्टेशन निकल जाते हैं और फिर अंकिता बहू ढूंढने के बाद सिद्धार्थ को एक डिब्बे में मिल जाती है, लेकिन जब दुखी अंकिता रेल से उतरने को कतई भी तैयार नहीं होती है तो इस मुसीबत के में जब सिद्धार्थ को कुछ भी समझ नहीं आता है, ...और पढ़े

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प्रेम दीवानी आत्मा - भाग 15

नंदू की आत्मा के गायब होने के बाद सिद्धार्थ अंकिता से कहता है "अपनी मांग का सिंदूर पानी से दो।"सुबह मांग से सिंदूर साफ करूंगी, अभी मुझे नींद आ रही है। और सोने का नाटक करते हुए सिद्धार्थ से दूसरी तरफ करवट ले लेती है।सुबह दोनों जल्दी उठकर चाय नाश्ता किए बिना बुजुर्ग पुजारी और उसकी पत्नी को धन्यवाद कहकर अपने घर जाने के लिए रेलवे जंक्शन रेल पकड़ने के लिए पहुंच जाते हैं।उन्हें घर पहुंचने की जल्दी इसलिए थी, क्योंकि दूसरे दिन दिवाली थी, नंदू की आत्मा की शांति की पूजा करनी थी।नंदू की आत्मा अब अंकिता को ...और पढ़े

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प्रेम दीवानी आत्मा - भाग 16 - अंतिम भाग

जब विक्रम के आने की वजह से सिद्धार्थ निराश हो जाता है तो अंकिता सिद्धार्थ को ज्यादा दुखी करने वजह उसे बताती है कि "तुम विक्रम को इतना घटिया इंसान मत समझो मैं जब तुमसे दूर होकर विक्रम से बातें कर रही थी, तो मैंने उसे बताया कि मैंने सिद्धार्थ के नाम का सिंदूर अपनी मांग में भर लिया है, मुझे भी सिद्धार्थ से सच्चा प्रेम हो गया है, अब मैं सिद्धार्थ से ही शादी करूंगी, यह सुनने के बाद भी विक्रम खुशी से हम दोनों को लेने रेलवे स्टेशन आ रहा है।"लेकिन भोली भाली खूबसूरत अंकिता को यह ...और पढ़े

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