ये तुम्हारी मेरी बातें

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"सुनो, कहां हो तुम"? "सुबह घर से निकलते वक्त बता कर आया था , भूल गई "? "सीधे सीधे जवाब देने में दिक्कत है क्या कोई "? "आज अचानक से मेरी जासूसी क्यों की जा रही "? "अरे! हद है भला ! पति कहां है कैसा है पूछ लिया तो जासूसी हो गई"? "एक ही दिन में कितने झटके देने का इरादा है तुम्हारा "? "क्या मतलब"? "पति भी मान रही , में कहां हूं पूछ कर पत्नी का हक भी जता रही , बुखार अब तक उतरा नही या दिमाग पर चढ़ गया है"? "अजीब इंसान हो, तब से सवाल सवाल में जवाब दिए जा रहे , बताओ हो कहां तुम ? बोलकर गए थे मीटिंग में जा रहे हो , अब तक मीटिंग खत्म न हुई तुम्हारी"?

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ये तुम्हारी मेरी बातें - 1

सुनो, कहां हो तुम ? सुबह घर से निकलते वक्त बता कर आया था , भूल गई ? सीधे जवाब देने में दिक्कत है क्या कोई ? आज अचानक से मेरी जासूसी क्यों की जा रही ? अरे! हद है भला ! पति कहां है कैसा है पूछ लिया तो जासूसी हो गई ? एक ही दिन में कितने झटके देने का इरादा है तुम्हारा ? क्या मतलब ? पति भी मान रही , में कहां हूं पूछ कर पत्नी का हक भी जता रही , बुखार अब तक उतरा नही या दिमाग पर चढ़ गया है ? अजीब इंसान हो, तब से सवाल सवाल में जवाब दिए जा रहे , ...और पढ़े

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ये तुम्हारी मेरी बातें - 2

"नहीं, मैं मान ही नहीं सकता!" " तुम्हारे मानने या ना मानने से मुझे फर्क नहीं पड़ता।"" वो तो क्या ,मोहल्ले वालों तक को पता है, कि मिश्राइन; मिश्रा साहब को अपने जुत्ते की नोक पर रखती हैं।" " ये ज़्यादा हो गया, थोड़ा कम फेंको तो हज़म भी कर लूं, यही एक आदत तुम्हारी सबसे ख़राब है, बाकी काम चलाऊ हैं।"" अरे अरे, सबसे ख़राब बस एक ही आदत है? अभी प्यार के दो मीठे बोल बोल दूं तो उसके लिए भी यही कहोगी कि बस यही आदत सबसे ख़राब है, ऐसे कहते कहते मेरी हर आदत को ...और पढ़े

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ये तुम्हारी मेरी बातें - 3

"सौ मर्तबा कहा होगा तुमसे कि कपड़े फैलाते वक्त कपड़ों की क्लिप का भी इस्तेमाल किया करो, लेकिन छत नज़रें और ध्यान कपड़ों पर कहां रह जाता है, है ना वकील बाबू!" "सुनो, तुम ना गाली दे दिया करो, ये वकील बाबू ना बुलाया करो। ज़ुबान से डंडा मार देती हो कसम से! और रही बात हमारा ध्यान भटकने की तो, वो दस साल पहले भटका था, तबसे भटका ही हुआ है।" " बस, एक यही काम आता है तुम्हें, बात क्या हो रही होती है, उसे कहां लेके चले जाते हो। मैं तुम्हारी मुवक्किल नहीं हूं, जो बातों ...और पढ़े

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ये तुम्हारी मेरी बातें - 4

कुंडली भाग्य -1*****************"किसका जीवन कैसा होगा , सब ऊपर वाले ने लिख रखा है , हम बस वही करते जो भाग्य में लिखा हुआ है।" "माना कि उच्च कुल में जन्म लिया है तुमने, और उससे भी उच्च कुल में ब्याही गई हो , लेकिन अचानक से पंडिताई करने का क्या औचित्य है?" "बिना सवाल किए बात कर लोगे , तो धरती इधर की उधर नही हो जायेगी! " "तुमसे बिना सवाल किए रहा नही जाता , वो क्या है ना, बेतुके जवाब सुनने की आदत हो गई है , इसमें मेरा क्या कसूर ?" "बातों बातों में मुझे ...और पढ़े

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ये तुम्हारी मेरी बातें - 5

कुंडली भाग्य -2***************पिछले भाग में.... " कार्तिक आर्यन वाला मोनोलॉग ज्यादा अच्छा था! ज्यादा बेहतर डायलॉग थे उसके ! नहीं बोल गए? मुझे चुहिया तक कह दिया तुमने?" "अब भी असली मुद्दे से कोसो दूर हैं आप मातेश्वरी, कृपा करें, टाइमपास में क्या ज्ञान अर्जित किया है आपने , जिसके कारण मेरा जीवन अंधकारमय प्रतीत हो रहा मुझे, बताने की कृपा कर दीजिए प्लीज़!!!"अब आगे..... "टाइम क्या हुआ है?" "यहां मेरे दिमाग के १२ बज गए हैं, देखो घड़ी में भी १२ ही बज रहे होंगे शायद!" "सीधे सवाल का सीधा जवाब दे दोगे तो छोटे हो जाओगे?" " ...और पढ़े

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ये तुम्हारी मेरी बातें - 6

कुंडली भाग्य-3*****************पिछले भाग में.... " सीधे मुंह बात नहीं कर सकते , तो जाओ मुझे भी कोई शौक नहीं मुंह जोरी करने का ।" " मुझे तो है शौक! जब तक तुम्हारी जली कटी ना सुन लूं, मुझे नॉर्मल फील नहीं होता ! शादी के पहले क्या ही सुकून भरी जिंदगी थी, जब से शादी हुई है, सुकून का एक पल भी मिल जाए तो काटने को दौड़ता है, लगता है कौन सी गलती कर बैठा हूं जो तुम शांत हो! तूफान के पहले की शांति सी महसूस होने लगती है तुम्हारी चुप्पी!" " तुम्हारी बातें बिना क्वेश्चन मार्क ...और पढ़े

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ये तुम्हारी मेरी बातें - 7

"बुरा मत मानना प्रतिमा, लेकिन तुम्हारे पति तुमसे भी ज़्यादा अच्छी चाय बनाते हैं।" शुक्लाइन ने तारीफ रूपी तंज हुए कहा।चेहरे पर सामान्य मुस्कुराहट बनाए रखते हुए प्रतिमा बोली" इसमें बुरा मानने जैसी क्या बात है। ये तो मेरा सौभाग्य है कि वकील साहब के रूप में मुझे इतना अच्छा जीवन साथी मिला है जो इस बात तक का ध्यान रखते हैं की मुझे किस वक्त कौन सी चाय पीनी पसंद है। अब हर कोई इतना भाग्यशाली कहां ही हुआ करता है, है ना शुक्लाईन भाभी!"प्रतिमा की बात खतम भी नहीं हुई थी और शुक्लाइनने चुनौती स्वीकारते हुए हामी ...और पढ़े

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ये तुम्हारी मेरी बातें - 8

पिछले भाग में.." भाभी जी, आप बैठिए मुझे ज़रूरी काम से बाहर जाना पड़ेगा, एक मुवक्किल को टाइम दे था अभी याद आया। प्रतिमा वो फाइल निकाल दो चलकर जल्दी से, चलो प्लीज़।" " कौन सी फाइल?" प्रतिमा ने अभिषेक को घूरते हुए पूछा।" वही लाल पीली वाली! उठो ज़रा दे दो ना।" बिनती भरे सुर से अभिषेक प्रतिमा को आवाज़ लगाता कमरे में चला गया।" वकील बाबू की मदद कर दो प्रतिमा, उन्हें देर हो जायेगी तो नुकसान हो जायेगा , जाओ। मेरा अपना ही घर है। बैठी हूं मैं। जाओ जल्दी।"अब आगे.......कमरे के अंदर पहुंचते ही नज़ारा ...और पढ़े

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