रूपेश ट्रेन में अपने बर्थ पर आकर बैठा ही था, तभी जीन्स और टी-शर्ट पहने 25–26 साल की एक लड़की सामने आकर खड़ी हो गयी और सीट छोडने का इशारा करती हुई अपना भारी-भरकम बैग रूपेश के बर्थ पर रख दी । “हैलो मैडम । आप गलत सीट पर आ गयी हो । यह मेरी सीट है और टिकट भी है मेरे पास !” – रूपेश बोला । “मैं कुछ नहीं जानती । यह मेरी सीट है, हटो यहाँ से । ज्यादा परेशानी है तो जाकर टीटीई से मिलो । ” - उस लड़की ने जवाब दिया । उन दोनों की तू-तू, मैं-मैं देख टीटीई उनके पास आता है । टिकट चेक कर बताता है कि रूपेश सही सीट पर बैठा है और यह उसी के नाम से बूक है एवं वह लड़की, जिसका नाम पूजा था, उसकी बूकिंग ऊपर वाले बर्थ के लिए थी । अपनी गलती पर वह लड़की झेंप जाती है और सॉरी बोलकर अपने ऊपर वाले बर्थ की ओर बढ़ती है । रूपेश ने ध्यान दिया कि उस लड़की को ऊपर के बर्थ पर चढ़ने में परेशानी हो रही है तो वह उठा और उनसे कहा कि आप चाहे तो मेरे सीट पर आकर बैठ सकती हैं । मैं आपके सीट पर चला जाऊंगा और मुझे कोई दिक्कत नही है । फिर रूपेश ने टीटीई को बोलकर दोनों सीटों का अदला-बदली करा लिया ।

Full Novel

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जीवनधारा - 1

रूपेश ट्रेन में अपने बर्थ पर आकर बैठा ही था, तभी जीन्स और टी-शर्ट पहने 25–26 साल की एक सामने आकर खड़ी हो गयी और सीट छोडने का इशारा करती हुई अपना भारी-भरकम बैग रूपेश के बर्थ पर रख दी । “हैलो मैडम । आप गलत सीट पर आ गयी हो । यह मेरी सीट है और टिकट भी है मेरे पास !” – रूपेश बोला । “मैं कुछ नहीं जानती । यह मेरी सीट है, हटो यहाँ से । ज्यादा परेशानी है तो जाकर टीटीई से मिलो । ” - उस लड़की ने जवाब दिया । उन दोनों की तू-तू, मैं-मैं ...और पढ़े

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जीवनधारा - 2

“शांत, शांत ! मैडम जी, शांत हो जाइए..... । पानी ले रहा था तो सोचा कि आपको भूख भी होगी । इसलिए, कुछ खाना भी पैक करा लूँ ।” – पूजा को शांत करता हुआ रूपेश बोला । पूजा चुपचाप रूपेश की बातें सुन रही थी, कुछ भी न कहा उसने । फिर, एक दूसरे को देखते हुए दोनों खिलखिला कर हंस दिए ।"मैं समझ सकता हूँ । खाली पेट गुस्सा आता है, सभी को । यह मुझे पता है ।" थोड़ी खिंचाई करते हुए रूपेश ने पूजा से कहा । “जी नहीं, ऐसी कोई बात नही हैं। चुप हो जाइए, ...और पढ़े

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जीवनधारा - 3

घर पहुँचकर पूजा नहाधोकर कपड़े बदली और बैग से कुछ निकालने के लिए आगे बढ़ी तो ये क्या ! और रूपेश के बैग की अदला-बदली हो गयी थी । .... ...तभी, पूजा के मोबाइल की घंटी बजी । देखा, तो रूपेश का ही फोन था । “आपका बैग गलती से मेरे पास आ गया है ।” – पूजा के फोन रिसिव करते ही रूपेश बोला । इस तरफ से पूजा ने भी यही बात दुहरायी और दोनों खिलखिलाकर हंस पड़ें । “अच्छा, ठीक है ! आप चिंता न करें । अपने घर का पता बताइये । मैं बैग लेकर ...और पढ़े

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जीवनधारा - 4

...अगले दिन, शाम चार बजे । छूट्टी होने पर अन्य महिला सहकर्मियों के साथ, पूजा ऑफिस से बाहर निकल थी। तभी, रूपेश सामने से रूपेश अपनी कार से आता दिखा । “कॉफी हो जाये ।” – अपनी कार से निकलते हुए रूपेश ने पूजा से पूछा । मुस्कुराते हुए पूजा रूपेश के साथ कार में आकर बैठ गयी और दोनों पास के ही एक कॉफी हाउस पहुँच गएँ । रूपेश ने दो कॉफी लाने का ऑर्डर दिया । “आपको कैसे पता चला कि मैं ऑफिस से अभी निकलती हूँ ?” – पूजा ने सवाल दागा । “आपके ऑफिस के ...और पढ़े

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जीवनधारा - 5

...अपनी आंखों के सामने अपने माता-पिता की बेइज्जती देख रूपेश आग बबूला हो गया था । मन तो कर था कि पूजा के पापा को उनके कहे हरेक बात का जवाब दे । पर , मां-पापा के सामने तमाशा करना ठीक नहीं समझा और फिर पूजा पर भी क्या गुजरती – यह सब सोचकर वापस लौट जाना ही बेहतर समझा । बस, अपने मां-पापा के सामने हाथ जोड़कर माफी मांगा कि उसके कारण ही उन्हे इतना कुछ सुनना पड़ा । रूपेश के मां पापा समझ रहे थें कि उनका बेटा अभी अंदर से टूटा हुआ है इसलिए उन्होंने रूपेश ...और पढ़े

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जीवनधारा - 6

...सौरभ घर में सबसे बड़ा था ।जतिन, सौरभ का छोटा भाई । उम्र में सौरभ से एक साल छोटा, कोई कामधाम न करता । दिनभर दोस्तों के साथ मटरगस्ती करता फिरता । सौरभ के मां-बाप सीधी-साधे एवम सरल स्वभाव के थें । अगले दिन सुबह, पूजा जल्दी तैयार होकर अपने कमरे से बाहर आ गयी । सास-ससुर का पैर छूकर आशीर्वाद ले रसोई में सबके लिए सुबह का नाश्ता बनाने में लग गयी । थोड़ी देर बाद, सौरभ बाहर आया तो पूजा को काम करते देख उससे कहा कि तुम काम क्यूँ करने लगी । नौकरानी को कह देती तो वह नाश्ता तैयार ...और पढ़े

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जीवनधारा - 7

“मैडम, आपके पति-मिस्टर सौरभ की कार दुर्घटना में मृत्यु हो गयी है।” – सिटी हॉस्पिटल पहुँचते ही पुलिसवाले ने को बताया ।... ...सौरभ के मृत्यु की खबर सुन पूजा के पैरों तले जमीन खिसक गयी । मूर्दाघर में रखी हुई सौरभ की क्षत-विक्षत लाश देख वह दहाड़ मार कर रोने लगी । बड़ी मुश्किल से पुलिस इंस्पेक्टर और नर्स ने उसे उसे संभाला । घर पर अकेले बूढ़े सास-ससुर को यूं फोन पर बताना पूजा ने ठीक न समझा । जतिन को फोन लगा सारी जानकारी दी और जल्दी से अस्पताल पहुँचने को कहा । फिर, जतिन और पूजा ...और पढ़े

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जीवनधारा - 8

...पूजा ने अपने पापा को फोन लगाया । थोड़ी ही देर में, वह वहाँ पहुँच गयें । पूजा ने सारी बातें बतायी ।दोनों नजदीक के थाने पहुंचे । पुलिस वाले ने पहले तो पूजा को समझाया कि सब कहीं किसी जरूरी काम से चले गयें होंगे, आप थोड़ा इंतजार कर लीजिये । जब पूजा न मानी, तो पुलिस ने खोजबीन का आश्वासन देकर पूजा और उसके पिता को वापस भेजा । पूजा को उसके पिता ने अपने साथ घर चलने को कहा । लेकिन, पूजा ने उनके साथ जाने से साफ इंकार कर दिया और घर के बंद दरवाजे को ...और पढ़े

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जीवनधारा - 9

...अगले ही दिन, सबके एक संबंधी के यहाँ होने की बात कह पूजा ने उनके गुमशुदा हो जाने का आवेदन वापस ले लिया । फिर, अपने पापा की सहायता से तीन करोड़ रुपये जतिन के बैंक अकाउंट में जमा करा दिए । बैंक वालों ने बताया कि पैसे जतिन के अकाउंट में पहुँच गए हैं । तब, पूजा ने उसी नंबर पर कॉल लगाया, जिससे जतिन ने फोन किया था । लेकिन, नंबर बंद आ रहा था । पागलों की तरह वह लगातार उस नंबर पर डायल करती रही । लेकिन, वह नंबर चालू न हुआ । पूजा को ...और पढ़े

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जीवनधारा - 10

...अपने घर की ओर पैदल ही आगे बढ़ती पूजा को रोकने की हिम्मत रूपेश को न हुई और खड़ा उसे दूर तक जाता देखता रहा । पूजा के आंखो से ओझल होने के बाद रूपेश भी वापस अपने घर की तरफ मुड़ गया। घर पहुँचकर पूजा बिना किसी से कुछ बोले अपने कमरे में आकर फूट-फूट कर रोती रही । बाहर से माँ के आवाज़ लगाने पर खुद को संभाली और आंसुओं को पोछती हुई कमरे से बाहर निकली । बहुत देर तक सोफे पर बैठ कुछ सोचती रही। फिर, किसी को फोन मिलायी और कुछ जरूरी बातें बताने ...और पढ़े

11

जीवनधारा - 11

...ढाबेवाले की बातें सुन रूपेश चाय पीना छोड़ उस लड़की के बारे में उससे विस्तार से पूछताछ करने लगा “करीब दो-तीन दिन पहले, तकरीबन पैंतीस वर्ष की उम्र का एक आदमी ऐसी ही बच्ची को लेकर आया था । उस बच्ची की उम्र रही होगी- यही कोई चार-पांच साल के आसपास । आपके पास इसकी कोई और दूसरी तस्वीर है तो मुझे दिखाओ । तब शायद मैं उसे अच्छे से पहचान जाऊं, क्योंकि इसमें केवल बच्ची का चेहरा ही दिख रहा है। इसलिए मैं कंफ्यूज हो रहा हूँ।" उस ढाबेवाले ने रूपेश को बताया । आगे बढ़ने के बजाए ...और पढ़े

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जीवनधारा - 12

...शहर से बाहर थोड़ी दूर चलने के पश्चात रूपेश अपनी कार सड़क के एक किनारे रोकता है और ढाबेवाले पास पहुंच जाता है । वहाँ, नंदिनी की तस्वीर उसकी तरफ बढ़ाते हुए रूपेश कुछ कहता, इससे पहले ही वह ढाबेवाला नंदिनी को पहचान लेता है और बताता है कि इसी बच्ची को तो उसने उस दिन देखा था । रूपेश ने पूछा कि वो किस तरफ गए तो ढाबेवाले ने बताया- “जिसके साथ नंदिनी आयी थी, वह पास के ही एक गांव में रहता है और अक्सर इस ढाबे पर चाय पीने आता है । एकदिन, फोन पर किसी से ...और पढ़े

13

जीवनधारा - 13

लेकिन यह क्या ? उस घर पर तो ताला लटका था।...….शंभू पुलिसवालों को बताता है कि बच्ची को लेकर आदमी अभी भी इसी गांव में होगा क्योंकि इस गांव से बाहर जाने का केवल एक ही रास्ता है, जिससे होकर हमलोग अभी यहाँ आये हैं । हाथ आई नंदिनी को एकबार फिर से खोकर पूजा बहुत परेशान थी । रूपेश उसे हिम्मत बंधाते हुए कहता हैं की जैसे इतने दिन हिम्मत रखी, थोड़ा और सब्र करो, नंदिनी मिल जाएगी । घबरायी हुई पूजा आंखों में आँसू लिए रूपेश के हाथों को न जाने कब से कस के पकड़े खड़ी ...और पढ़े

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जीवनधारा - 14

...तभी, जतिन के पास आकार पूजा उससे अपने सास-ससुर के बारे में पूछती है । पर, बिना कुछ कहे सिर झुकाए खड़ा रहता है । "दादा-दादी मर गए, मम्मा ।" पूजा की गोद से ही नंदिनी बोलती है । पुलिस इंस्पेक्टर के द्वारा थोड़ी सख्ती से पूछने पर जतिन बताता है कि वे दोनो मेरे चंगुल से निकलकर भाग रहें थें और एक ट्रक के नीचे आ जाने से दोनो की मृत्यु हो गई।अपने सास-ससुर के देहांत की खबर सुन पूजा दुखी हो जाती है और वह पुलिस इंस्पेक्टर से जतिन को सख्त से सख्त सजा दिलवाने का अनुरोध करती ...और पढ़े

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जीवनधारा - अन्तिम भाग

...रूपेश की माँ, पूजा के माता-पिता को अंदर आने को कहती है । भीतर से, रूपेश के पापा भी कमरे में आ जाते हैं । अचानक से उनलोगों को अपने घर पर देख वह उनके आने का कारण पूछते हैं । तब, पूजा के पिता उन्हे सारी बातें बताते हैं और अपने किए पर शर्मिंदगी जाहिर करते हुए क्षमा मांगते हैं । "आपसब और रुपेश के साथ मैंने अपने घर पर जो बदसलूकी किया था, उसके लिए मुझे माफ कर दें । ऊंच-नीच, जात-पात जैसी दकियानूसी विचारों से ग्रस्त होकर रूपेश जैसे हीरे को मैं पहचान न पाया और उसके ...और पढ़े

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