औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ

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परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज !! किसी ने उन्हें जासूस कहा तो किसी ने कुछ। अन्य, जो जिस रंग का व्यक्ति था उसने उसी रूप में उन्हें अनुभव किया।एक व्यक्तित्व जिस पर लोगों की दृष्टि अनायास ठहरी है, उन्हें इस नगर में लोग अक्सर संदेह की दृष्टि से देखते रहे हैं। इस छोटे से नगर में साधू जैसी किसी की ऐसी बेशभूषा देखने को नहीं मिलती थी। इससे लगता था यह महापुरुष दुनियाँ से हट कर जीने में विश्वास रखता हैं। बेशभूषा की तरह इनका सोच भी बैसा ही दुनियाँ से हटकर था। स्वामी हरिओम तीर्थ जी अक्सर शिव स्तुति और माँ अम्बे की स्तुति को गुनगुनाते रहते- इसे भी आप गुनगुनाकर देखें-

Full Novel

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औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ - 1

औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ एक अजनबी जो अपना सा लगा परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज सम्पादक रामगोपाल भावुक सम्पर्क- कमलेश्वर कॉलोनी (डबरा) भवभूतिनगर जि0 ग्वालियर ;म0 प्र0 475110 मो0 9425715707, , 8770554097 परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज !! किसी ने उन्हें जासूस कहा तो किसी ने कुछ। अन्य, जो जिस रंग का व्यक्ति था उसने उसी रूप में उन्हें अनुभव किया।एक व्यक्तित्व जिस पर लोगों की दृष्टि अनायास ठहरी है, उन्हें इस नगर में लोग अक्सर संदेह की दृष्टि से देखते रहे हैं। इस ...और पढ़े

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औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ - 2

औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ 2 एक अजनबी जो अपना सा लगा परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज सम्पादक रामगोपाल भावुक सम्पर्क- कमलेश्वर कॉलोनी (डबरा) भवभूतिनगर जि0 ग्वालियर ;म0 प्र0 475110 मो0 9425715707, , 8770554097 मन मस्तिष्क में चलने वाले विचार की प्रतिध्वनि भी कहीं होती है। यह कहकर महाराज जी एक प्रसंग कहने लगे- सन्1951 ई0 चल रहा था। बात कलकत्ते की है। उन दिनों काम की तलाश में महाराज जी विरला के किसी अधिकारी के निवास पर गये थे। उस समय कमरे में कोई ...और पढ़े

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औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ - 3

औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ 3 एक अजनबी जो अपना सा लगा परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज सम्पादक रामगोपाल भावुक ...और पढ़े

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औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ - 4

औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ 4 एक अजनबी जो अपना सा लगा परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज सम्पादक रामगोपाल भावुक ...और पढ़े

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औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ - 5

औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ 5 एक अजनबी जो अपना सा लगा परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज सम्पादक रामगोपाल भावुक सम्पर्क- कमलेश्वर कॉलोनी (डबरा) भवभूतिनगर जि0 ग्वालियर ;म0 प्र0 475110 मो0 9425715707, , 8770554097 अगले दिन जब में आश्रम पहुँचा, अन्य दिन की तुलना में गुरुदेव कुछ गम्भीर दिखे। मैं समझ गया- कहीं कुछ चिन्तन चल रहा है। मैं नमो नारायण कहकर उनके सामने बैठ गया। महाराज जी बोले-’ मुझे याद है इस नगर में मैं जिस मकान में रहता था, उसके पड़ोसी ने एक लूसी नामक कुतिया ...और पढ़े

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औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ - 6

औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ 6 एक अजनबी जो अपना सा लगा परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज सम्पादक रामगोपाल भावुक ...और पढ़े

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औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ - 7

औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ 7 एक अजनबी जो अपना सा लगा परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज सम्पादक रामगोपाल भावुक सम्पर्क- कमलेश्वर कॉलोनी (डबरा) भवभूतिनगर जि0 ग्वालियर ;म0 प्र0 475110 मो0 9425715707, , 8770554097 दिनांक 03-02-09 को महाराज जी ने यह प्रसंग सुनाया। अहमदाबाद में मेरे बड़े भ्राता जनार्दन स्वामी जी कपड़े की मिल में सबसे बड़े इन्जीनियर थे। वहीं एक वंशीवाले संत रहते थे। स्वामीजी अक्सर उनके यहाँ जाया करते थे। यह बात मील के मालिक को पता चल गई । स्वामी जी ...और पढ़े

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औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ - 8

औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ 8 एक अजनबी जो अपना सा लगा परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज सम्पादक रामगोपाल भावुक ...और पढ़े

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औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ - 9

औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ 9 एक अजनबी जो अपना सा लगा परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज सम्पादक रामगोपाल भावुक सम्पर्क- कमलेश्वर कॉलोनी (डबरा) भवभूतिनगर जि0 ग्वालियर ;म0 प्र0 475110 मो0 9425715707, , 8770554097 ‘अपना अपना सोच’ ‘अपना अपना सोच’कृति प0पू0 स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज के आध्यात्म सोच के सम्बन्ध में एक प्रमाणिक दस्तावेज के रूपमें हमारे सामने है। यह साधको के लिये तो संजीवनी बूटी है। महाराज जी केा जीवन भर परमहंस संतों का सानिध्य मिला है। इसी के परिणाम स्वरूप यह कृति निकल ...और पढ़े

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औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ - 10

औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ 10 एक अजनबी जो अपना सा लगा परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज सम्पादक रामगोपाल भावुक ...और पढ़े

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औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ - 11

औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ 11 एक अजनबी जो अपना सा लगा परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज सम्पादक रामगोपाल भावुक सम्पर्क- कमलेश्वर कॉलोनी (डबरा) भवभूतिनगर जि0 ग्वालियर ;म0 प्र0 475110 मो0 9425715707, , 8770554097 दिनांक‘6.10.12 को साँय 6 बजे मैं डॉ0 के0 के0 शर्मा के यहाँ प0पू0 स्वामी गोपाल तीर्थ जी महाराज के स्वास्थ्य के वारे में जानकारी लेने पहुँचा। डॉ0 के0 के0 शर्मा ने महाराज जी को फोन लगाया। महाराज जी बोले- ‘इस समय मैं जल्दी में हास्पीटल जा रहा हूँ। डाक्टरों ने स्वामी जी के बारे ...और पढ़े

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औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ - 12

औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ 12 एक अजनबी जो अपना सा लगा परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज सम्पादक रामगोपाल भावुक ...और पढ़े

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औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ - 13

औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ 13 एक अजनबी जो अपना सा लगा परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज सम्पादक रामगोपाल भावुक सम्पर्क- कमलेश्वर कॉलोनी (डबरा) भवभूतिनगर जि0 ग्वालियर ;म0 प्र0 475110 मो0 9425715707, , 8770554097 आँख के महत्व को सभी स्वीकारते हैं। किन्तु आँखों के महत्व को परिभाषित करने में महाराज जी ने अपनी तरह से जो बातें कहीं हैं वे हमारे जहन को उद्वेलित करने में समर्थ हैं। एक बार आप इस रचना को पढ़कर तो देखें, इसे आप जीवन भर नहीं भूल पायेंगे। आँखें यूँ ...और पढ़े

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औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ - 14

औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ 14 एक अजनबी जो अपना सा लगा परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज सम्पादक रामगोपाल भावुक ...और पढ़े

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औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ - 15 - अंतिम भाग

औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ 15 एक अजनबी जो अपना सा लगा परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज सम्पादक रामगोपाल भावुक सम्पर्क- कमलेश्वर कॉलोनी (डबरा) भवभूतिनगर जि0 ग्वालियर ;म0 प्र0 475110 मो0 9425715707, , 8770554097 महाराज जी की कलम समय-समय पर विभिन्न विषयों पर चलती रही है। चाहे नारी के जीवन पर उनकी पीड़ा हो ,चाहे अकाल की विभीषिका का चित्रण करना हो, वे हर विषय में तन्मय होकर उसकी तह तक पहुँच कर ही रहते हैं। उस विषय का कोना-कोना आपको बोलते बतियाते दिखाई देगा। विभीषिका ...और पढ़े

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