तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी

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तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी व पिशाच आत्मा - 1रविवार को दैनिक जागरण खोलकर चाय की चुस्की लेते हुए आराम से बैठा हूँ I दो - तीन पेज पलटते ही एक खबर पर नजर टिक गई I खबर था ' ढोंगी तांत्रिक बाबा के चक्कर में पड़कर राजधानी में एक और लोग की मृत्यु ' , मैं भी मन ही मन कहता रहा कि सचमुच यह संसार पाखंडियों से भर गया है I इस समय सिद्ध पुरुष दिखाई देना बहुत ही दुर्लभ है I असल बात यह है कि तंत्र - मंत्र , भूत - प्रेत इन सभी बातों में

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तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी - 1

तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी व पिशाच आत्मा - 1रविवार को दैनिक जागरण खोलकर चाय की चुस्की लेते हुए आराम से हूँ I दो - तीन पेज पलटते ही एक खबर पर नजर टिक गई I खबर था ' ढोंगी तांत्रिक बाबा के चक्कर में पड़कर राजधानी में एक और लोग की मृत्यु ' , मैं भी मन ही मन कहता रहा कि सचमुच यह संसार पाखंडियों से भर गया है I इस समय सिद्ध पुरुष दिखाई देना बहुत ही दुर्लभ है I असल बात यह है कि तंत्र - मंत्र , भूत - प्रेत इन सभी बातों में ...और पढ़े

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तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी - 2

तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी व पिशाच आत्मा - 2लालटेन की रोशनी में , फर्श पर बैठकर , रात्रि भोजन खत्म होने वाला है I मैं और मुकेश आसपास बैठे हैं और हमसे कुछ दूरी पर तांत्रिक बाबा I हम दाल , चावल , रोटी और सोयाबीन की सब्जी खा रहे थे I खाना बहुत ही स्वादिष्ट है I और तांत्रिक बाबा केवल एक कटोरी दूध पी रहे थे I मैं खाने के बीच - बीच में तिरछी नजरों से तांत्रिक बाबा को देख रहा था I दूसरी तरफ देख कर खाने के कारण सब्जी में पड़ा हुआ मिर्चा ...और पढ़े

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तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी - 3

देवाधिदेव का खेल - 1उस समय रात के लगभग 9 बज रहे थे I अभय तांत्रिक अपने आश्रम के खाली स्थान पर बैठकर यज्ञ के आग में घी डाल रहे थे I उनके सामने आकर दयाराम गुप्ता हाथ जोड़कर बैठ गए I यज्ञ समाप्त होने के बाद तांत्रिक ने उस आदमी के तरफ देखते ही , दयाराम ने नमस्कार करके अपने बात को शुरू किया - " बाबा आप ही एकमात्र सहारा हो I वह मेरा सबसे बड़ा शत्रु है I उसका जब तक कुछ बुरा नहीं होगा तब तक मैं ...और पढ़े

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तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी - 4

देवाधिदेव का खेल - 2दयाराम को अब और सहन नहीं होता I कब वह केशव को संतानहीन होते हुए यही सोच कर परेशान है I केशव , दयाराम का रिश्ते में भाई जैसा ही है I दोनों ही खाना बनाने का काम करते I दयाराम के हाथों से ही केशव ने खाना बनाना सीखा लेकिन आज वह दयाराम से भी अच्छा बावर्ची है I इलाके के सभी शादी ,श्राद्ध व अनुष्ठान में उसे भोजन बनाने के लिए बुलाया जाता है जहां से एक दो - साल पहले केवल दयाराम को ही बुलाया जाता ...और पढ़े

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तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी - 5

गुरु दर्शन - 1" यह बात आज से लगभग 20 - 25 साल पहले की है I पश्चिम बंगाल बर्धमान जिला के एक श्मशान में मैं बैठा हुआ था I जहां पर बैठा हूं उसके कुछ ही दूर आगे से एक बड़ी नहर बहती चली गई है I नहर का जल बहुत ही साफ था और उसके बहने की आवाज को सुनकर ऐसा लग रहा था की बहाव की गति धीमी नहीं है I उस समय दोपहर था , पूरे दिन चलते रहने के कारण थक गया था और इस श्मशान ...और पढ़े

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तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी - 6

गुरु दर्शन - 2" कुछ देर और इंतजार करने के बाद , नदी की ओर से एक सियार के की आवाज आई I और तुरंत ही सुनाई दिया सूखे पत्ते के ऊपर किसी के चलने की आवाज , वह काला परछाई आज फिर जंगल की ओर बढ़ रहा था I मैं प्रतीक्षा करने लगा उसके लौटने का क्योंकि उसके लौटते ही मैं उसका पीछा करूंगा I आज उसके हाथ में एक थैला झूल रहा था I जंगल के अंदर उस थैले को फेंककर , वह आदमी नदी की ओर चला ...और पढ़े

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तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी - 7

हिमालय की ओर - 1आज 18 नवम्बर है I इस समय रात के 11 बज रहे हैं I कभी नहीं था कि मेरे जीवन के घटित घटनाओं को डायरी में लिखकर बाद में उसे पढ़ते वक्त किसी रोमांचक कहानी के जैसा लगेगा I 12वीं पास करने के बाद मन में डायरी लिखने का विचार आया था I अपने काम का विवरण लिखना मुझे पसंद नहीं था बस यही सोचा था कि अगर जीवन में कुछ आश्चर्यजनक हुआ तो उसी को डायरी में उतार दूंगा I इसी तरह कुछ छोटे-छोटे घटनाओं ...और पढ़े

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तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी - 8

हिमालय की ओर - 2अब आगे ....." 2 दिन बाद जाकर उतरा हरिद्वार स्टेशन पर , उस समय सुबह वाला था I मैंने अनुभव किया कि पूरे 2 दिन रेलगाड़ी की यात्रा करने के कारण जो थकान आया था वह पूरी तरह से यहां उतरते ही खत्म हो गया I एवं मन मानो तृप्त हो गया है I स्टेशन के बाहर एक चाय की दुकान पर चाय पीने के लिए गया I चायवाले के पास केदारनाथ का रास्ता पूछते ही उसने बताया था कि मैं गलत समय पर आ गया हूं I उस ...और पढ़े

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तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी - 9

हिमालय की ओर - 3तांत्रिक रुद्रनाथ ने बताना शुरू किया , – " धूनी के पास ही रात का खाना खत्म किया I उस बूढ़े आदमी को भी मैंने खाने के लिए कुछ मुट्ठी लाई , चूड़ा व दाना दिया I यहां पर पानी की कमी नहीं है I खाने के बाद गुफा से बाहर निकल आगे बहते जलधारा से पानी पिया I वह बूढ़ा आदमी भी पानी पीने के लिए बाहर निकला और आसमान की ओर देखकर बोला कि आज अमावस्या है I मैंने कुछ भी नहीं कहा I ...और पढ़े

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तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी - 10

हिमालय की ओर - 4तांत्रिक बाबा ने फिर बताना शुरू किया ....... " इसके बाद लगभग 21 दिन बीत I दिन बीतने के साथ - साथ वातावरण में ठंडी और भी बढ़ गया था I इतने दिन ठंड के कपड़े ज्यादा नहीं पहनने पड़े थे लेकिन अब घर से लाए मोठे ऊनी पोशाक को पहनना पड़ा I वह बूढ़ा आदमी अब लगभग ठीक ही हो गए है I यही कुछ 10 दिन पहले उन्हें चलने में दिक्कत हो रहा था लेकिन अब वो स्वाभाविक हैं I हाथ पैरों में उखड़े नाखून ...और पढ़े

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तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी - 11

हिमालय की ओर - 5 सचमुच आपका तारीफ किए बिना नहीं रह सकता I हरिद्वार से उतना दूर , न जाने कितने समस्या से घिरकर , इसके अलावा दुर्घटना से चोट के बावजूद आप उतना दूर पहुँच गए I यही बहुत था I इतना बोलकर तांत्रिक रुद्रनाथ के पैरों को छूकर आशीर्वाद लिया I तांत्रिक तुरंत बोल पड़े - अरे , अरे ये क्या कर रहें हो I प्रत्येक मनुष्य के अंदर भगवान विष्णु का वास होता है इसीलिए मेरा पैर छूकर अपने अंदर के भगवान विष्णु को छोटा क्यों कर ...और पढ़े

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तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी - 12

श्राप दंड -1चारों ओर का अंधेरा हल्के नीले रंग सा दिखाई दे रहा है। आज से दो दिन पूर्णिमा थी इसीलिए गोल आकृति के चाँद की महिमा पृथ्वी पर उतर आई है। कटीलें झाड़ियों को पार कर सूखे पत्तों पर आवाज करते हुए एक बड़ा सा आदमी , पास के जल धारा से चलता हुआ जा रहा है । उसके कंधे पर एक कपड़े की थैली है। हल्के रोशनी में देखने से ऐसा लग रहा है कि उस थैली में छोटे - बड़े पत्थरों का टुकड़ा भरा हुआ है। जल धारा को ...और पढ़े

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तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी - 13

श्राप दंड - 2अभी - अभी घर लौटा। बाप रे बाप रास्ते पर कितना जाम है। केवल एक पहुंचाने में इतना वक्त लग जाएगा ऐसा मैंने नहीं सोचा था। Covid है या कुछ और। बाहर तो लोगों का हुज़ूम उमड़ पड़ा है। ना जाने कितने लोगों ने मास्क तक नहीं लगाया है। एक सेकेण्ड , आप शायद मुझे नहीं पहचान पा रहे हैं। मैं आपसे ' देवादिदेव का खेल ' कहानी में मिला था। मैं जयदत्त मिश्रा के बेटे का बेटा नितिन हूं। पोस्ट ऑफिस मेरे घर से काफी दूर है। एक पार्सल ...और पढ़े

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तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी - 14

श्राप दंड - 3कुछ देर सोचने के बाद तांत्रिक रुद्रनाथ नें बोलना शुरू किया। " उस वक्त भी मैं भारत में ही था। केदारघाटी को छोड़े हुए लगभग 8 महीनें हो गए थे। इस वक्त जहां पर हूं , वह जगह वसुधारा जलप्रपात से कुछ ही दूरी पर था। पत्थर से बना एक छोटा सा घर । उसके बाद थोड़ा सा पास जाकर देखा तो वह एक घर है लेकिन उस घर के अंदर बीच में एक नारायण शिला रखा हुआ है। मैं उसके अंदर जाकर बैठा। यहां से ...और पढ़े

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तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी - 15

श्राप दंड - 4तांत्रिक रुद्रनाथ बताते रहे , " उस दिन रात हो गई थी। कुछ सूखे लकड़ी व को जलाकर मैं उसके पास ही सो गया था। उसी के 10 दिनों के अंदर वह अद्भुत घटना घटी। जिसने मुझे समझा दिया था कि मनुष्य बहुत ही कम जानता है। बहुत सारी ऐसी भी चीजें हैं जिसके बारे में मनुष्यों को अब तक नहीं पता है। नींद से जागने के बाद मैंने चलना शुरू कर दिया। 2 घंटे में ही वसुधारा जलप्रपात के सामने पहुंच गया। वसुधारा जलप्रपात के बारे में मेरे मन में ...और पढ़े

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तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी - 16

श्राप दंड - 5मैं मंत्रमुग्ध होकर तांत्रिक बाबा के बातों को सुन रहा था। तांत्रिक बाबा के चुप ही मैंने अनुभव किया कि मेरे दाहिने गाल पर एक मच्छर बहुत देर से मेरा खून चूस रहा है। अपने गाल पर एक थप्पड़ मरूंगा यही सोच ही रहा था कि , उसी वक्त तांत्रिक बाबा ने एक फूँक से मेरे गाल पर बैठे मच्छर को उड़ा दिया। मच्छर काटने के बाद जो जलन व खुजली होती है तांत्रिक बाबा के फूँक के कारण ऐसा नहीं लग रहा। तांत्रिक बाबा ने फिर से बताना शुरू कर दिया , ...और पढ़े

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तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी - 17

श्राप दंड - 6" एक महीना बीत गया है। इन 1 महीनों में मैंने न जाने कितने दृश्यों को उसे बोलकर नहीं बता सकता। केदारनाथ में मैं 3 सालों तक था। वहां पर रहते वक्त कई लोगों के साथ मेरा परिचय हो गया था। उसी वक्त एक पहाड़ी बुढ़िया के साथ मेरा परिचय हुआ। मैं तांत्रिक व साधु - सन्यासी हूं इसी लिए वो मुझे बाबा कह कर बुलाती थी। लेकिन वह बुढ़िया उम्र में मुझसे बहुत ही बड़ी थी। मैं उन्हें माताजी कहकर बुलाता था। वहां रहते वक्त उन्होंने एक दिन मुझे एक शीत पोशाक उपहार दिया था। ...और पढ़े

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तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी - 18

श्राप दंड - 7" वह दिन भी बीत गया। ताँबे के बर्तन में बर्फ डालकर पानी होने के बाद मैं अपनी प्यास बुझाता। आसपास केवल पत्थर और बर्फी है। रात बढ़ने के साथ-साथ ठंडी भी बढ़ती गई। यहां अक्सर ही कभी-कभी बर्फ का तूफान आता है। अगर उस बर्फ के तूफान में कोई आ गया तो उसकी मृत्यु तय है। एक पत्थर पर टेंक लगाकर मैं बैठा हुआ था। आज चंद्रमा की रोशनी नहीं है। ठंडी हवा कभी तेज तो कभी धीमे प्रवाहित होती। जहां पर बैठा हूं वहां से पश्चिम की तरफ देखते ही मेरी आंख को थोड़ा ...और पढ़े

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तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी - 19

श्राप दंड - 8" मेरी नींद जब खुली , उस वक्त सवेरा है या शाम इस बारे में पता नहीं चला। कमरे के अंदर से बाहर का परिवेश बताना संभव नहीं है। दाहिने तरफ नजर पड़ते ही मैंने देखा , बूढ़ी महिला आसन पर बैठकर हल्का हल्का डोल रही थी। तथा इसके साथ ही वह बूढ़ी महिला ना जाने क्या बड़बड़ा भी रही थी। उनके सामने आखिर वो सब क्या है ? मैं भी धीरे-धीरे बिस्तर पर उठकर बैठ गया। उठकर बैठते ही सबकुछ स्पष्ट हुई। मैंने जो कुछ भी देखा था हूबहू तुमको तुमको बता रहा हूं मन ...और पढ़े

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तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी - 20

श्राप दंड - 9" बूढ़ी महिला ने जब अपनी बातों को समाप्त किया तब उनकी आंख में आंसू से हुई थी। इस वक्त पूर्व की तरफ सूर्य कैलाश पर्वत की चोटी पर एक बिंदु की तरह दिखाई दे रहा है। चारों तरफ सफेद बर्फ का आवरण फैला हुआ है। एक ठंडी हवा मेरे बड़े - बड़े बाल व कई दिनों से ना काटे गए दाढ़ी को छू रहा था। मेरा मन अब पहले से काफी हल्का है। मेरे शरीर की सभी थकान दूर हो गई थी लेकिन इसी के साथ मेरे मन में एक बात घूम रहा था कि ...और पढ़े

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तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी - 21

श्राप दंड - अंतिम" इधर पंच पांडव की हत्या करने के बाद महर्षि वेदव्यास के पास आकर अश्वत्थामा ने के प्रयश्चित करने हेतु आज्ञा मांगी। तब महर्षि वेदव्यास ने बताया कि प्रायश्चित उन्हें करना ही होगा क्योंकि उन्होंने जिनकी हत्या की वो पंच पांडव नहीं थे , वो पांचो द्रोपदी के पुत्र थे। यह सुनकर अश्वत्थामा क्रोध से उबलने लगा और बोले कि प्रायश्चित करेंगे लेकिन पंच पांडव की हत्या के बाद। तब अश्वत्थामा ने देखा कि पांचो पांडव श्री कृष्ण के साथ उनकी तरफ ही आगे बढ़ रहे हैं। यह देखकर वो थोड़ा आश्चर्य में पड़ गए एवं ...और पढ़े

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