एक चिड़िया आती है,चिव-चिव गीत सुनाती है, दो दिल्ली की बिल्ली है,देखो जाती दिल्ली है, तीन चूहे राजा है देखो बजाते बाजा है,चार घर में कार है,हम जाने को लाचार हैं।..... शुभि अपने कमरे में कविता बोल रही थी ,पहले वह धीरे-धीरे बोल रही थी फिर अचानक बोलते हुए रोने लगी ।दादी ऑगन में बैठकर विष्णु पुराण पढ़ रही थीं,उनका ध्यान शुभि की आवाज़ पर गया तो उन्हें चिंता हुई कि वह क्यों रो रही है ।दादी शुभि के कमरे में गई तो देखा शुभि खिलौनों के पास बैठे हुए रो रही है ।
Full Novel
शुभि
एक चिड़िया आती है,चिव-चिव गीत सुनाती है, दो दिल्ली की बिल्ली है,देखो जाती दिल्ली है, तीन चूहे राजा है देखो बजाते बाजा है,चार घर में कार है,हम जाने को लाचार हैं।..... शुभि अपने कमरे में कविता बोल रही थी ,पहले वह धीरे-धीरे बोल रही थी फिर अचानक बोलते हुए रोने लगी ।दादी ऑगन में बैठकर विष्णु पुराण पढ़ रही थीं,उनका ध्यान शुभि की आवाज़ पर गया तो उन्हें चिंता हुई कि वह क्यों रो रही है ।दादी शुभि के कमरे में गई तो देखा शुभि खिलौनों के पास बैठे हुए रो रही है । ...और पढ़े
शुभि - (2)
बाल कहानी —शुभि (2) शुभि को दादी के बहुत अच्छा लग रहा था ।एक दिन उसने देखा कि दादी कमरे में नहीं है तो वह बाहर निकल कर देखने लगीं । बाहर उसने देखा कि दादी पूजा करके तुलसी के पौधे में लोटे से पानी लगा रहीं हैं ।उसके बाद उन्होंने एक लोटा नल से पानी लेकर सूर्य के सामने मुख करके ऊँचाई से सामने की ओर देखते हुए चढ़ा दिया ।वहॉं खड़े होकर परिक्रमा की हाथ जोड़कर । शुभि यह सब ...और पढ़े
शुभि - (3)
शुभि (3) शुभि दैनिक क्रिया से निवृत्त मॉं के पास गई ।मॉं ने शुभि को एक गिलास दूध के साथ सुबह का नाश्ता दिया । नाश्ता करके वह दादी के कमरे की ओर जा रही थी तो मॉं ने बताया कि माँजी तो पीछे वाले गार्डन में है ।शुभि जल्दी से गार्डन में पहुँच गई ।वहाँ देखा कि दादी जी ने जो कुछ दिन पहले बीज बोये थे वह नन्हे पौधे बन गये थे। दादी जी उन पौधों को वहाँ से निकाल कर ...और पढ़े
शुभि - (4)
बाल कहानी - शुभि (4) बहुत दिनों तक घर काम करने वाली बाई नहीं आई तो घर के काम सब को बॉट दिये गये ।पूरे दिन के घरेलू काम सब लोग मिल-जुलकर पूरा कर लेते । शुभि के घर के पास ही एक बस्ती थी,जहॉं अधिकतर दैनिक मज़दूर रहा करते थे ।वहीं पर काम बाली बाई भी रहती थी । एक दिन दादी के साथ वह उनकी बस्ती में गई,दादी ने वहाँ जाकर जानकारी की कि कोई परिवार ऐसा तो नहीं जहॉं खाने पीने ...और पढ़े
शुभि (5)
बाल कहानी (5) प्रत्येक दिन दादी जी सुबह नहाने के मंदिर जाती तो शुभि का मन भी उनके साथ जाने का करता ।लेकिन सुबह ऑंखें नहीं खुलने से वह नहीं जा पाती ।शुभि ने दादी जी से पूछा—दादी जी आप इतने सुबह कैसे उठतीं है कौन उठाता है आपको? दादी जी ने कहा—मैं जब रात को सोने के लिए बिस्तर पर जाती हूँ तो प्रार्थना करके ईश्वर को आज का दिन अच्छा बीता उसका धन्यवाद देती हूँ और आनेवाले कल के लिए प्रार्थना करके सुबह जल्दी उठने का ...और पढ़े
शुभि (6)
शुभि (6) बहुत दिनों से शुभि देख रही कि घर में सब लोग व्यस्त हैं ।मॉं सुबह का नाश्ता फिर खाना बनाने के बाद,अतिरिक्त काम करतीं हैं । शुभि ने मॉं से जाकर पूछा—मॉं आप कभी रसोई में तो कभी छत पर क्या करती है? मॉं ने शुभि को बताया—होली का त्यौहार आने वाला है,इसलिए मैं आलू के चिप्स बना रही हूँ ।इस मौसम में आलू की पैदावार होने के कारण बहुत महँगा नहीं होता और धूप अच्छी होने के कारण सूख भी जाते हैं ।चलो तुम भी ...और पढ़े
शुभि (7)
शुभि (7) सुबह से ही घर में चहल-पहल शुरू हो गई थी एक व्यक्ति को लिस्ट देख कर सामान दे रहे थे तभी शुभि ने देखा कि घर के बाहर कार आकर रुकी । कार में बूआ जी,फूफाजी और बूआ जी के दोनों बच्चे मनुज ,अनुज थे ।सबआगये तो शुभि उनसे प्यार से मिली,बूआ जी के बच्चे उसके बहुत अच्छे दोस्त थे। थोड़ी देर बाद एक कार और दरवाज़े पर आकर रुकी,अरे..इसमें तो मामाजी,मामीजी और उनकी बेटी शैली दीदी है ।शुभि दौड़ कर उनके गले लग गई,दीदी उसे बहुत प्यार करती थी ...और पढ़े
शुभि (8)
शुभि (8) दादी जी..दादी जी..बाहर से आवाज़ आ रही थी शुभि ने जाकर देखा तो सुभाष भैया दरवाज़े पर खड़े थे ।भैया के पास ही इंद्रेश भैया खड़े थे उन्होंने बताया कि वह दादी जी को बुलाने आये हैं । इंद्रेश भैया शुभि के घर से थोड़ी दूरी पर रहते थे,दादी जी उनके पिताजी की चाची थी ।उनके यहाँ कोई भी उत्सव होता तो वह दादी जी को लेने आते और सभी रस्में उनसे पूछ कर की जातीं। उनकी दीदी की शादी पर आज रस्मों की शुरुआत होनी थी। शुभि ...और पढ़े
शुभि (9)
शुभि (9) आज शुभि का मन बहुत ख़राब था ,पढ़ाई में भी उसका मन नहीं लगा ।बार-बार उसकी ऑंखें ऑंसुओं से गीली हो रही थी।आज अपने किसी मित्र से भी बात करने का मन नहीं हो रहा था। मध्यावकाश में वह अपनी सहेलियों के साथ खो-खो खेल रही थी।खेलते-खेलते उसे बहुत ही तेज प्यास लगी ।वह पानी पीने के लिए नल पर जा रही थी जैसे ही वह नल के पास पहुँची तभी कुछ बच्चे नल को चारों ओर से घेरकर खड़े हो गये । शुभि ने कहा मुझे ...और पढ़े
शुभि (10) अंतिम भाग
शुभि अंतिम भाग प्रार्थना में प्रधानाध्यापक जी बताया कि आज से तीन दिन का स्काउट शिविर लगेगा, जिन बच्चों के नाम बोले जा रहे हैं वह बच्चे मैदान में ही क़तार में खड़े रहेंगे ।बाक़ी बच्चों को कक्षाओं में जाने के लिए कहा गया । शुभि का नाम स्काउट शिविर के बच्चों के साथ बोला गया वह अन्य बच्चों के साथ पंक्ति बनाकर खड़ी हो गई ।ट्रेनर ने सभी को पंक्तियों में खड़ा किया और दाँये-बॉंये दोनों तरफ़ एक हाथ की दूरी रखने का आदेश दिया । सामने की ओर अपने आगे एक ...और पढ़े