मैं सहन शक्ति सिंह का हमराज हूँ। तभी तो वह मुझे यारानावश हेमराज कहता है। कदाचित सभी ने मेरा नाम हेमराज ही रख दिया, इसी नाम से सहन शक्तिसिंह का हनुमान कहलाने लगा। मुझे भी सहन शक्तिसिंह के स्‍थान पर शक्ति पुकारना अच्‍छा लगता है। शक्ति विचलित, बैचेन, जसमंजस व व्‍याकुल सा महसूस हुआ। मैंने उसे टोंकना चाहा, मगर रूक गया। कुछ देर अन्‍दरूनी हलचल को विस्‍तार से परखने लगा। आखिर चल क्‍या रहा होगा, शक्ति के दिल-दिमाग में? लेकिन कुछ समझ नहीं पा रहा हूँ। कुछ तो है, जिसे वह पचा नहीं पा रहा है। सहन नहीं कर पा रहा है। कोई टीस, कोई घाव कोई नासूर.......या कुछ और......।

Full Novel

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अन्‍गयारी आँधी - 1

----उपन्‍यास भाग—एक अन्‍गयारी आँधी --आर. एन. सुनगरया, मैं सहन शक्ति सिंह का हमराज हूँ। तभी तो वह मुझे यारानावश हेमराज ...और पढ़े

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अन्‍गयारी आँधी - 2

--उपन्‍यास भाग-2 अन्‍गयारी आँधी --आर. एन. सुनगरया, ...और पढ़े

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अन्‍गयारी आँधी - 3

उपन्‍यास भाग—3 अन्‍गयारी आँधी --आर. एन. सुनगरया, शक्ति गुमसुम बेसुध सा दिग्‍भ्रमित मूर्तीवत निढ़ाल ...और पढ़े

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अन्‍गयारी आँधी - 4

उपन्‍यास-- भाग—4 अन्‍गयारी आँधी --आर.एन. सुनगरया, हेमराज अत्‍यन्‍त चिन्तित, व्‍याकुल व भयभीत था। विषम ...और पढ़े

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अन्‍गयारी आँधी - 5

उपन्‍यास-- भाग—5 अन्‍गयारी आँधी --आर. एन. सुनगरया, शक्ति द्वार पर कुछ क्षण मौन खड़ा ...और पढ़े

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अन्‍गयारी ऑंधी - 6

उपन्‍यास- भाग—6 अन्‍गयारी ऑंधी—6 --आर. एन. सुनगरया, ट्रान्‍सफरेबल जॉब, खाना बदोश जीवन के समान होता है। इसमें कुछ भी स्‍थाई नहीं होता; सभी कुछ अस्‍थाई, कोई ठौर-ठिकाना ...और पढ़े

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अन्‍गयारी आँधी - 7

---उपन्‍यास भाग—सात अन्‍गयारी आँधी—7 --आर. एन. सुनगरया, कौन दम्‍पति नहीं चाहेगा कि दोनों परस्‍पर एक दूसरे पर आसक्‍त हों, समर्पित हों। समग्र रूप में! जिन्‍दगी की आपा-धापी, ...और पढ़े

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अन्‍गयारी आँधी - 8

---उपन्‍यास भाग—आठ अन्‍गयारी आँधी—८ --आर. एन. सुनगरया, सामाजिक परिवर्तन, समय के साथ वाजिब है, स्‍वभाविक है। परन्‍तु प्राकृतिक मूल तत्‍वों का बदलाव अथवा हृास किसी भी दृष्टि से मुनासिब ...और पढ़े

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अन्‍गयारी आँधी - 9

-उपन्‍यास भाग—नौ अन्‍गयारी आँधी—9 --आर. एन. सुनगरया, सपना शादी में बने व्‍यन्‍जन की प्‍लेट शक्ति के सामने रखती ...और पढ़े

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अन्‍गयारी आँधी - 10

-उपन्‍यास भाग—दस अन्‍गयारी आँधी—१० --आर. एन. सुनगरया, नदी की धारा कभी सीधी रेखा में नहीं बहती। टेड़े-मेड़े, ऊँचे-नीचे, पथरीले, मैदानी पहाड़, पर्वतों, झाड़-झंकाड़, झाडि़यों के झुरमुट से होकर गुजरती हुयी अपनी मंजिल की ओर बढ़ती जाती है, निरन्‍तर हर हाल ...और पढ़े

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अन्‍गयारी आँधी - 11

-उपन्‍यास भाग—ग्‍यारह अन्‍गयारी आँधी—११ --आर. एन. सुनगरया, शक्ति ध्‍यान-मग्‍न ऑंखें मीचे आराम मुद्रा में बैठा था। ‘’सहन शक्ति सिंह।‘’ पूरा नाम! अन्‍तर्मन पर दस्‍तक, ‘’सहन शक्ति सिंह।‘’ पुन: पुकारा। ‘’कौन है?’’ शक्ति अचरज में, ...और पढ़े

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अन्‍गयारी आँधी - 12

-उपन्‍यास भाग—बारह अन्‍गयारी आँधी—१२ --आर. एन. सुनगरया, ..........कार अपनी स्‍वभाविक गति से चलती जा रही है। मगर अन्‍दर बैठे स्‍वरूपा-शक्ति का मौन, मानसिक कष्‍ट का कारण बनकर असहनीय होता जा रहा ...और पढ़े

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अन्‍गयारी आँधी - 13

--उपन्‍यास भाग—तेरह अन्‍गयारी आँधी—१३ --आर. एन. सुनगरया, प्रत्‍येक व्‍यक्ति की प्रकृति, प्रवृति, मानसिक सोच, दृष्टिकोण, परिवेश पर निर्भर करता है कि उसे कौन सी आदतें कहॉं से किस रूप में ग्रहण हुईं ...और पढ़े

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अन्‍गयारी आँधी - 14

--उपन्‍यास भाग—चौदह अन्‍गयारी आँधी—१४ --आर. एन. सुनगरया, स्‍वरूपा भलि-भॉंती अवगत है, किसी खेल में खिलाड़ी का अकुशल, अनाड़ी, आधा-अधूरा ज्ञान, अपरिपक्‍वता होने के परिणाम स्‍वरूप खेल का कबाड़ा- काम- बिगाड़ा, ...और पढ़े

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अन्‍गयारी आँधी - 15

--उपन्‍यास भाग—पन्‍द्रह अन्‍गयारी आँधी—१५ --आर. एन. सुनगरया, चाय-कॉफी व अन्‍य स्‍नेक्‍स के स्‍थान पर स्‍वरूपा ने दो गिलास गर्म दूघ एवं मौसमी फलों का सलाद आर्डर किया। नित्‍य प्रति के कार्यों से फारिक होकर ...और पढ़े

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