ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य

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ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य 1डॉ. पदमा शर्मासहायक प्राध्यापक, हिन्दीशा. श्रीमंत माधवराव सिंधिया स्नातकोत्तर महाविद्यालय शिवपुरी (म0 प्र0) पुरोवाक् कहानीकार विशिष्ट प्रतिभा सम्पन्न सामाजिक प्राणी होता है। समाज में भौगोलिक, सामाजिक पारिवारिक, आर्थिक, राजनीतिक सांस्कृतिक एवं धार्मिक परिस्थितियों के बीच उसका व्यक्तित्व निर्माण होता है और समाज में ही वह विभिन्न संस्कारों को ग्रहण करता है। व्यक्तित्व और कृतित्व परस्पर पूरक है। महान् कृतित्व महान् व्यक्तित्व से ही प्रसूत होता है। प्रत्येक लेखक किसी न किसी उद्देश्य से अनुप्राणित होता है। प्रत्येक लेखक किसी न किसी उद्देश्य से अनुप्राणित होता है। विभिन्न सोपानों से गुजरता हुआ

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ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य - 1

ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य 1डॉ. पदमा शर्मासहायक प्राध्यापक, हिन्दीशा. श्रीमंत माधवराव सिंधिया स्नातकोत्तर महाविद्यालय (म0 प्र0) पुरोवाक् कहानीकार विशिष्ट प्रतिभा सम्पन्न सामाजिक प्राणी होता है। समाज में भौगोलिक, सामाजिक पारिवारिक, आर्थिक, राजनीतिक सांस्कृतिक एवं धार्मिक परिस्थितियों के बीच उसका व्यक्तित्व निर्माण होता है और समाज में ही वह विभिन्न संस्कारों को ग्रहण करता है। व्यक्तित्व और कृतित्व परस्पर पूरक है। महान् कृतित्व महान् व्यक्तित्व से ही प्रसूत होता है। प्रत्येक लेखक किसी न किसी उद्देश्य से अनुप्राणित होता है। प्रत्येक लेखक किसी न किसी उद्देश्य से अनुप्राणित होता है। विभिन्न सोपानों से गुजरता हुआ ...और पढ़े

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ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य - 2

Gwalior sambhag ke kahanikaro ke lekhan me sanskrutik mulya ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य 2 पदमा शर्मा सहायक प्राध्यापक, हिन्दी शा. श्रीमंत माधवराव सिंधिया स्नातकोत्तर महाविद्यालय शिवपुरी (म0 प्र0) प्रस्तावना 1. भौगोलिक स्थिति 2. जनसंख्या एवं क्षेत्रफल 3. गिरि, सरितायें, वन एवं जलवायु 4. खनिज संसाधन, कृषि एवं उद्योग 5. सामाजिक संरचना 6. आर्थिक परिदृश्य 7. धार्मिक एवं सांस्कृतिक परिदृश्य 8. ग्वालियर संभाग की विभिन्न कलायें (संगीत कला, चित्रकला, वास्तु एवं शिल्पकला) 9. विभिन्न जिलों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमिः अ. ग्वालियर ज़िले की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि ब. शिवपुरी ज़िले की ...और पढ़े

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ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य - 3

ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य 3 डॉ. पदमा शर्मा सहायक प्राध्यापक, हिन्दी शा. श्रीमंत माधवराव स्नातकोत्तर महाविद्यालय शिवपुरी (म0 प्र0) अध्याय - दो- 1. संस्कृति एवं मूल्य का स्वरूप एवं विश्लेषण (1) संस्कृति 1. संस्कृति का अर्थ एवं स्वरूप 2. संस्कृति की विशेषतायें 3. सांस्कृतिक संघर्ष 4. सांस्कृतिक विसंयुजता या उभय 5. संस्कृति और समाज 6. सभ्यता और संस्कृति 7. संस्कृति और सभ्यता में अन्तर 7. संस्कृति व अन्य विषय (क) धर्म और संस्कृति (ख) भाषा और संस्कृति (ग) साहित्य और संस्कृति (घ) कला और संस्कृति (ड.) समाज ...और पढ़े

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ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य - 4

ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य 4 डॉ. पदमा शर्मा सहायक प्राध्यापक, हिन्दी शा. श्रीमंत माधवराव स्नातकोत्तर महाविद्यालय शिवपुरी (म0 प्र0) 2. मूल्य का अर्थ एवं स्वरूप (अ) मूल्यों की विशेषतायें (ब) मूल्यों के नियम (स) मूल्यों का महत्व (द) मूल्य और गैर मूल्य (इ) मूल्यों का वर्गीकरण (क) मूल्यों का श्रेणीकरण (ख) मूल्य का संस्तरण (ग) सामाजिक मूल्यों का महत्व (घ) मूल्यों की आधारभूमि (ड.) विभिन्न मूल्य 1- सामाजिक एवं पारिवारिक मूल्य 2- राजनैतिक मूल्य 3- आर्थिक मूल्य ...और पढ़े

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ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य - 5

ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य 5 डॉ. पदमा शर्मा सहायक प्राध्यापक, हिन्दी शा. श्रीमंत माधवराव स्नातकोत्तर महाविद्यालय शिवपुरी (म0 प्र0) अध्याय तीन कहानी का अर्थ, विकास एवं प्रतिनिधि कहानीकारों का जीवन परिचय 1. कहानी का अर्थ 2. कहानी की दिशा 3. कहानी का विकास (अ) लोक कथायें (ब) पाश्चात्य प्रभाव (स) प्रारम्भिक हिन्दी कहानियाँ (द) प्रेमचन्द युगः विकास युग (इ) प्रेमचन्द पश्चात काल (ई) आधुनिक कहानी (चार्ट) -तीन कहानी का अर्थ, विकास एवं प्रतिनिधि कहानीकारों का जीवन परिचय 1- कहानी का अर्थः कहानी का ...और पढ़े

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ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य - 6

ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य 6 डॉ. पदमा शर्मा सहायक प्राध्यापक, हिन्दी शा. श्रीमंत माधवराव स्नातकोत्तर महाविद्यालय शिवपुरी (म0 प्र0) 4. ग्वालियर संभाग में कहानी लेखन की पृष्ठभूमि (अ) ग्वालियर ज़िले की साहित्यिक परम्परा एवं कथा लेखन (ब) शिवपुरी ज़िले की साहित्यिक परम्परा एवं कथा लेखन (स) दतिया ज़िले की साहित्यिक परम्परा एवं कथा लेखन (द) गुना एवं अशोकनगर ज़िले की साहित्यिक परम्परा एवं कथा लेखन 5. कहानीकारों का सामान्य परिचय 1. महेश कटारे 2. प्रो. पुन्नीसिंह 3. राजनारायण बोहरे 4. प्रमोद भार्गव 5. ...और पढ़े

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ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य - 7

ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य 7 डॉ. पदमा शर्मा सहायक प्राध्यापक, हिन्दी शा. श्रीमंत माधवराव स्नातकोत्तर महाविद्यालय शिवपुरी (म0 प्र0) अध्याय - चार प्रतिनिधि कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य 1. महेश कटारे की कहानियों में सांस्कृतिक मूल्य 2. पुन्नीसिंह की कहानियों में सांस्कृतिक मूल्य 3. राजनारायण बोहरे की कहानियों में सांस्कृतिक मूल्य 4. प्रमोद भार्गव की कहानियों में सांस्कृतिक मूल्य 5. लखनलाल खरे की कहानियों में सांस्कृतिक मूल्य 6. निरंजन श्रोत्रिय की कहानियों में सांस्कृतिक मूल्य 7. राजेन्द्र लहरिया की कहानियों में सांस्कृतिक मूल्य 8. महिला कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य ...और पढ़े

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ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य - 8

ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य 8 डॉ. पदमा शर्मा सहायक प्राध्यापक, हिन्दी शा. श्रीमंत माधवराव स्नातकोत्तर महाविद्यालय शिवपुरी (म0 प्र0) अध्याय - चार प्रतिनिधि कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य 2. पुन्नीसिंह की कहानियों में सांस्कृतिक मूल्य संदर्भ सूची 2-पुन्नीसिंह की कहानियों में सांस्कृतिक मूल्य पुन्नीसिंह उन कथाकारों में से हैं, जो ग्राम्य जीवन की प्रत्येक अनुभूति, गाँव की ठसक, उसकी प्रकृति, उसकी संस्कृति एवं होने वाले परिवर्तनों को बहुत बारीकी से चित्रित करते आये हैं। उन्होंने आदिवासियों के सर्वांग जीवन की बहुविध भंगिमाए और क्रियाओं को ...और पढ़े

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ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य - 9

ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य 9 डॉ. पदमा शर्मा सहायक प्राध्यापक, हिन्दी शा. श्रीमंत माधवराव स्नातकोत्तर महाविद्यालय शिवपुरी (म0 प्र0) अध्याय - चार प्रतिनिधि कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य 3. राजनारायण बोहरे की कहानियों में सांस्कृतिक मूल्य संदर्भ सूची 3-राजनारायण बोहरे की कहानियों में सांस्कृतिक मूल्यः राजनारायण बोहरे ग्राम्य जीवन को उकेरने में सिद्ध हस्त हैं। उनकी पैनी दृष्टि गाँव के रीतिरिवाज, परम्पराएँ एवं ग्राम्य परिवेश को गहराई से देखती चलती है गॉंव के खेत खलिहान, त्यौहार एवं क्रियाकलाप उनके वर्ण्य विषय हैं जो ग्राम्य शब्दों के साथ-गॉंव ...और पढ़े

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ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य - 10

ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य 10 डॉ. पदमा शर्मा सहायक प्राध्यापक, हिन्दी शा. श्रीमंत माधवराव स्नातकोत्तर महाविद्यालय शिवपुरी (म0 प्र0) अध्याय - चार प्रतिनिधि कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य 4. प्रमोद भार्गव की कहानियों में सांस्कृतिक मूल्य संदर्भ सूची 4-प्रमोद भार्गव की कहानियों में सांस्कृतिक मूल्य कहानीकार प्रमोद भार्गव की कहानियों मेें ग्राम अटलपुर जो कि उनका जन्मस्थल भी है, अनेक किस्से हैं। कई कहानियाँ तो ’अटलपुर’ के संदर्भ, एवं विवरण को प्रस्तुत करनी चलती हैं। उनकी कहानियाँ ग्रामीण व शहरी परिवेश का मिला-जुला रूप ...और पढ़े

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ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य - 11

ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य 11 डॉ. पदमा शर्मा सहायक प्राध्यापक, हिन्दी शा. श्रीमंत माधवराव स्नातकोत्तर महाविद्यालय शिवपुरी (म0 प्र0) अध्याय - चार प्रतिनिधि कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य 5. लखनलाल खरे की कहानियों में सांस्कृतिक मूल्य संदर्भ सूची 5-लखनलाल खरे की कहानियों में सांस्कृतिक मूल्य श्री खरे का कथा-लेखन संसार लगभग चालीस बर्षों के अंतराल में फैला है। ’कथा-लेखन-संसार’ इसीलिए कि इन्होंने कहानियों के अतिरिक्त उपन्यासों का सृजन भी किया है। परन्तु इनका कोई स्वतंत्र संग्रह अब तक प्रकाशित नहीं हुआ है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं ...और पढ़े

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ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य - 12

ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य 12 डॉ. पदमा शर्मा सहायक प्राध्यापक, हिन्दी शा. श्रीमंत माधवराव स्नातकोत्तर महाविद्यालय शिवपुरी (म0 प्र0) अध्याय - चार प्रतिनिधि कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य 6. निरंजन श्रोत्रिय की कहानियों में सांस्कृतिक मूल्य संदर्भ सूची 6-निरंजन श्रोत्रिय की कहानियों में सांस्कृतिक मूल्य निरंजन श्रोत्रिय की कहानियों में कस्बाई एवं नगरीय सभ्यता एवं संस्कृति के दर्ष न होते हैं। उनकी कहानियाँ शहर से जुड़ी होने के कारण वर्तमान परिवेश से सम्पृक्त हैं। वे स्वयं प्रगतिशील विचारों के पक्षघर हैं यह बात उनकी कहानियों में ...और पढ़े

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ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य - 13

ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य 13 डॉ. पदमा शर्मा सहायक प्राध्यापक, हिन्दी शा. श्रीमंत माधवराव स्नातकोत्तर महाविद्यालय शिवपुरी (म0 प्र0) अध्याय - चार प्रतिनिधि कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य 7. राजेन्द्र लहरिया की कहानियों में सांस्कृतिक मूल्य संदर्भ सूची 7-राजेन्द्र लहरिया की कहानियों में सांस्कृतिक मूल्य राजेन्द्र लहरिया की कहानियों में यद्यपि शहर का जीवन अधिक वर्णित है तथापि संस्कृति के विविध आयाम, विविध स्वरूप, रीति, रिवाज एवं परम्परा गहरे तक पैठी है। उनके पात्रों की ईश्वर में आस्था है। इस आस्था को प्रकट रूप में ...और पढ़े

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ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य - 14

ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य 14 डॉ. पदमा शर्मा सहायक प्राध्यापक, हिन्दी शा. श्रीमंत माधवराव स्नातकोत्तर महाविद्यालय शिवपुरी (म0 प्र0) अध्याय - चार प्रतिनिधि कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य 8. महिला कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य (अ) डॉं. कामिनी की कहानियों में सांस्कृतिक मूल्य (ब) कुन्दा जोगलेकर की कहानियों में सांस्कृतिक मूल्य (स) अन्नपूर्णा भदौरिया की कहानियों में सांस्कृतिक मूल्य संदर्भ सूची 8. महिला कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य (अ)-डॉ. कामिनी की कहानियों में सांस्कृतिक मूल्यः डॉ. कामिनी ने ग्राम्य परिवेश ...और पढ़े

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ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य - 15

ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य 15 डॉ. पदमा शर्मा सहायक प्राध्यापक, हिन्दी शा. श्रीमंत माधवराव स्नातकोत्तर महाविद्यालय शिवपुरी (म0 प्र0) अध्याय-पाँच पाश्चात्य संस्कृतिः बदलते जीवन मूल्य 1. पाश्चात्य संस्कृति 2. बदलते जीवन मूल्य 3. कहानीकारों की कहानियों में बदलते जीवन मूल्य संदर्भ सूची अध्याय-5 पाश्चात्य संस्कृतिः बदलते जीवन मूल्य पाश्चात्य संस्कृतिः- सांस्कृतिक मूल्यों को प्रभावित करने में पाश्चात्य विचारधारा का भी हाथ रहा है। विकासवाद, मनोविश्लेषणवाद, मार्क्सवाद, अस्तित्ववाद, यथार्थवाद, प्रतीकवाद, बिम्बवाद आदि विचारधाराएं इनमें प्रमुख हैं। विश्लेषणवाद के आधार पर फ्रॉयड ने सिद्ध किया कि संस्कृति धर्म, सभ्यता, नैतिकता आदि कुछ भी महत्वपूर्ण ...और पढ़े

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ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य - 16

ग्वालियर संभाग के कहानीकारों के लेखन में सांस्कृतिक मूल्य 16 डॉ. पदमा शर्मा सहायक प्राध्यापक, हिन्दी शा. श्रीमंत माधवराव स्नातकोत्तर महाविद्यालय शिवपुरी (म0 प्र0) अध्याय- छह प्रदेय एवं उपसंहार संदर्भ ग्रंथ-सूची अध्याय-6 प्रदेय एवं उपसंहार भारतीय संस्कृति, एकता, प्रेम, सौहार्द्र, भाईचारा, नैतिकता, एवं कल्याण भावना की द्योतक एवं पोषक है। संस्कृति के तत्व एवं मूल्य मानव कोे एक सूत्र में पिरोये रखने की भूमिका निभाते हैं। वर्तमान में सांस्कृतिक मूल्यों का निरन्तर ह्रास हो रहा है। हमारे समक्ष क्षेत्रीयतावाद, आतंकवाद, साम्प्रदायिकता, भाषावाद, आदि समस्यायें सुरसा के समान देश वासियों के ...और पढ़े

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