इमली की चटनी में गुड़ की मिठास

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भाग-1 बहुत देर से शालिनी छत पर खड़ी बारिश में भीग रही थी! कहने को तो बूंदें तन पर पड़ रही थीं पर भीग उसका मन भी रहा था जहां एक अनजानी सी ज्वाला लपलपाते हुए उसके मन को अनजाने ही झुलसा रही थी! बरसती बूंदों से जब उसके भीतर की तपन ठंडी पड़ने लगी तब वो दुछत्ती के नीचे आ गयी, जहाँ से तीसरे मकान की बड़ी और ऊंची छत आसानी से दिखाई दे रही थी। आसपास की दूसरी छोटी-छोटी छतों के बीच वो छत ऐसे खड़ी थी जैसे बच्चों के बीच एक सुंदर सी नवयुवती अपना आंचल फैलाए

Full Novel

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इमली की चटनी में गुड़ की मिठास - 1

भाग-1 बहुत देर से शालिनी छत पर खड़ी बारिश में भीग रही थी! कहने को तो बूंदें तन पर रही थीं पर भीग उसका मन भी रहा था जहां एक अनजानी सी ज्वाला लपलपाते हुए उसके मन को अनजाने ही झुलसा रही थी! बरसती बूंदों से जब उसके भीतर की तपन ठंडी पड़ने लगी तब वो दुछत्ती के नीचे आ गयी, जहाँ से तीसरे मकान की बड़ी और ऊंची छत आसानी से दिखाई दे रही थी। आसपास की दूसरी छोटी-छोटी छतों के बीच वो छत ऐसे खड़ी थी जैसे बच्चों के बीच एक सुंदर सी नवयुवती अपना आंचल फैलाए ...और पढ़े

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इमली की चटनी में गुड़ की मिठास - 2

भाग-2 तब से वो शालिनी को हमेशा से घर का सदस्य ही मानती आई थीं। फिर कुछ समय बाद और शालिनी भी सखी-सहेलियों में ननद-भाभी की जोड़ी के नाम से जानी जाने लगी थीं। बचपन से युवा अवस्था में प्रवेश करती हुई शालिनी रवि के नाम से ही लजाने लगी थी! उसकी आँखें हर वक्त रवि को देखना चाहती थीं, उसके सपनों में ही खोए रहना चाहती थीं। इन सब बातों से अलग, उम्र बढ़ने के साथ ही जैसे जैसे बचपन पीछे छूटता गया,रवि शालिनी से दूरी बनाता चला गया! वो रवि अब बदल चुका था जो पहले सब ...और पढ़े

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इमली की चटनी में गुड़ की मिठास - 3

भाग-3 पहली रात शालिनी भाभी की बातों को याद करती हुई,मन में ढेरों उम्मीद लिए सुहाग सेज पर फिल्मी में सज-संवर कर बैठी हुई रवि का इंतज़ार कर रही थी और सोच रही थी कि रवि आ कर जब उसका घूंघट उठाएगा तो उसके प्रेम में पड़ ही जाएगा! ज़िन्दगी की खूबसूरत शुरुआत की प्रतीक्षा करती शालिनी के अरमानों पर वज्रपात सा हुआ जब रवि ने कमरे में आते ही कहा अरे! तुम अभी तक ऐसे ही बैठी हो? वो खुद भी नाइट सूट में ही था! उसने एक खूबसूरत सी नाइटी उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा जाओ फ्रेश ...और पढ़े

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इमली की चटनी में गुड़ की मिठास - 4

भाग-4 गुत्थी सुलझाने की जितनी कोशिश करती उतनी ही उसमें उलझती चली जाती! थक हार कर नींद कब उसे कब्जे में लेकर सुबह कर गई पता ही नहीं चला!रवि की खटर-पटर से उसकी आँख खुली तो कमरे में धूप खिली हुई थी। वो हड़बड़ा कर उठी और फ्रेश होकर बाहर निकल गई। सारा दिन फिर गृहस्थी के कामकाज में निकल गया। रवि से किसी भी तरह का कोई भी संवाद करने का प्रयास सफल नहीं हुआ। अब उसे रात का इंतज़ार था। देखते हैं क्या होता है! कमरे में आते ही रवि लैपटॉप खोलकर काम करने बैठ गया। कैसा ...और पढ़े

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इमली की चटनी में गुड़ की मिठास - 5

भाग-5 कठिन तपस्या के बाद वो भी आई ए एस अफसर बन गई। रवि की जगह पोस्टिंग का आदेश बेहद खुश थी। पहली-पहली नौकरी थी। शालिनी सब सीख रही थी धीरे धीरे। जो जो लोग रवि को जानते थे रवि की पत्नी होने के नाते भी उसकी इज्जत करते थे और अधिकारी होने की वजह से कामकाज में भी मदद करते थे। कभी कभी सहकर्मियों से घर-परिवार की बातें भी होती रहती थी! कुल मिलाकर जीवन सही दिशा में गति पकड़ रहा था। 6-8 महीने बीतते बीतते शालिनी घर परिवार की जिम्मेदारी और नौकरी के बीच तालमेल बैठाकर सहूलियत ...और पढ़े

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इमली की चटनी में गुड़ की मिठास - 6

भाग-6 शालिनी ने एक नज़र घड़ी पर डाली फिर कमरे का मुआयना किया। सामने अर्ध गोलाकार दीवार पर बणी-ठणी बड़ी सी पेंटिंग लगी थी और उसके नीचे ही सिरहाने की ओर से हल्की सी गोलाई लिए हुए क्वीन साइज़ बैड था। पलंग के दाईं ओर एक झरोखेनुमा खिड़की थी जहां एक कलात्मक स्टडी टेबल और उतनी ही कलात्मक कुर्सी रखी गई थी। इसके बाद एक बालकनी थी। पलंग के बाईं ओर भी एक झरोखेनुमा खिड़की थी जिसके नीचे सोफा सैट और टी-टेबल रखी थी जिस पर सुंदर कोस्टर और छोटा-सा फूलदान रखा था। फूलदान ताज़े रजनीगंधा के फूलों से ...और पढ़े

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इमली की चटनी में गुड़ की मिठास - 7

भाग-7 चन्द्रेश ने लौटते समय उसकी कार में चलने का आग्रह किया।पहले तो शालिनी झिझकी पर फिर उसे लगा के साथ थोड़ा सा और वक्त बिताने को मिल रहा ये खूबसूरत मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहिए। छह घंटे का वो सफ़र शालिनी के जीवन का सबसे खूबसूरत सफ़र साबित हुआ! ढेर सारी बातें!किस्से,ठहाके और गीत गूंजते रहे। शालिनी को खुद पर अचरज हो रहा था कि उसके भीतर अभी ऐसी कितनी ही इच्छाएं शेष हैं जिन्हें रवि के व्यवहार ने लगभग समाप्त सा कर दिया था! शुरुआत का सफ़र कुछ दूर तक खामोशी से गुज़रा। ठंडी हवा ...और पढ़े

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इमली की चटनी में गुड़ की मिठास - 8

भाग-8 मौसम अपनी रफ्तार से बदलने लगा। किरण अब स्कूल जाती थी और मम्मा का इंतज़ार करती थी। हर परिवार को शालिनी जैसी बहू के लिए बधाई देता था पर शालिनी अपनी किस्मत के लिए क्या कहे? हालांकि शालिनी ने अभी तक चन्द्रेश को हाँ नही कहा था! पर दोनों की आँखें जानती थीं कि इसकी अब ज़रूरत भी नहीं!हर चढ़ते दिन के साथ ही दोनों का लगाव अपनी रफ़्तार से बढ़ता जा रहा था! पर साथ ही एक अपराध बोध भी उसके भीतर सिर उठाने लगता था! लेकिन वो अपने तर्कों से उस पर विजय पाने का प्रयास ...और पढ़े

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इमली की चटनी में गुड़ की मिठास - 9 - अंतिम भाग

भाग-9 बारिश के ही दिन थे। मैना अपने पति और सास ससुर के साथ आई हुई थी।अदरक की चाय गरमा गरम पकोड़े चल रहे थे। शालिनी के सास-ससुर ने शालिनी को अपने पास बिठाया! बात सुलोचना जी ने शुरु की "तुम्हारे आने से पहले इस घर में अदरक की चाय कोई भी पीता था। तुमने घर में सबको अदरक की चाय की आदत लगा दी।" शालिनी हंसी "अच्छा !अदरक की चाय बुरी है क्या? अच्छी चीज की आदत लगना तो अच्छी बात है!" और सब हंस पड़े। "पर जब तुम चली जाओगी तब हमें चाय तुम्हारी बहुत याद दिलाएगी!" ...और पढ़े

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