(प्रस्तावना) खुदाने कुछ तस्वीर और तक़दीर ऐसी बनाई है कि एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं।कुछ रिश्ते ऐसे बन जाते है कि एक दूसरे से दूर रहना मुश्किल बन जाता है, कुछ रिश्ते ऐसे भी होते है जैसे धरा और गगनकी भाती। एक दूसरे से दूर होने के बावजूद मिलनका अहेसास कराती है।बस,इसी तरह का एक रिश्ता बन जाता है।जिसकी कोई मंजिल या अंतकी परिकल्पना नहीं होती,बस आगे ही बढ़ता जाता है। ऐसी ही एक कहानी है मीरा और सिद्धकी। दो पल ये दास्तान शुरू होती है,

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दो पल (love is blind) - 1

(प्रस्तावना) खुदाने कुछ तस्वीर और तक़दीर ऐसी बनाई है कि एक दूसरे जुड़ी हुई हैं।कुछ रिश्ते ऐसे बन जाते है कि एक दूसरे से दूर रहना मुश्किल बन जाता है, कुछ रिश्ते ऐसे भी होते है जैसे धरा और गगनकी भाती। एक दूसरे से दूर होने के बावजूद मिलनका अहेसास कराती है।बस,इसी तरह का एक रिश्ता बन जाता है।जिसकी कोई मंजिल या अंतकी परिकल्पना नहीं होती,बस आगे ही बढ़ता जाता है। ऐसी ही एक कहानी है मीरा और सिद्धकी। दो पल ये दास्तान शुरू होती है, ...और पढ़े

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दो पल (love is blind) - 2

फिर से मीरा अपनी यादों में खोने लगती है। " पढ़ सके तो पढ़ मेरे दिलकी दास्तान को....।" मिली किसी बुक से एक लाइन पढ़ती है।इतने में मीरा का ध्यान उसी ओर जाता है और चिल्ला के कहती है..... " Wow, nice line. ये कौनसी बुक है, मिली? " " कुछ तो था" बिगड़े हुए मुंह से कहती है। " ज़रा मुझे दिखाना....।" मीरा से किताब लेती है। " कुछ तो था ( उपन्यास है)..... गुरु की लिखी हुई है। पर ए गुरु कौन है? ...और पढ़े

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दो पल (love is blind) - 3

3 मीरा और मिली कॉलेज से बस नं. ४६ में बेठकर, घर जाने के लिए निकलते है। मीरा घर ही अपनी दादीको गले लगती है। फिर मम्मी को परेशान करने के लिए कीचन में चली जाती है। " मम्मा , क्या जला रहे हो।" मम्मी को छेड़ते हुए कहा। "वो तेरा काम है...। आ गई कॉलेज से..., आज तो बड़ी खुश लग रही हो। ऐसा क्या हुआ ?" मीरा: नई बूक पढ़ने की खुशी है। जल्द से खाना दो , मुझे बूक पढ़नी है। मम्मी : कौनसी बूक लाई हो ? क्या नाम है बूक का....? मीरा : कुछ ...और पढ़े

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