आज लॉकडॉउन खुलने के एक महीने बाद या फिर कहूँ की ६ महीने बाद मै अपनी कर्मभूमि जर्मनी जा रहा हूँ, वैसे इस जर्मनी ने मुझे बहोत कुछ दिया है. नाम, पैसा, प्यार, दोस्त और गाँव वालो की नज़रो में खुद के लिए, पापा के लिए वो इज्जत. मेरे पापा की छाती ५६ की हो जाती जब कोई उन्हें कहता, "आपका बेटा तो जर्मनी में है". ३ साल पहले जब मै कॉलेज पूरी करके जॉब करने इस अन्जान देश में आया था तो पुरे घर में ख़ुशी का माहोल था, मुझे आज भी याद है
Full Novel
अनैतिक - ०१ लॉकडाउन
आज लॉकडॉउन खुलने के एक महीने बाद या फिर कहूँ की ६ महीने बाद मै अपनी कर्मभूमि जर्मनी जा हूँ, वैसे इस जर्मनी ने मुझे बहोत कुछ दिया है. नाम, पैसा, प्यार, दोस्त और गाँव वालो की नज़रो में खुद के लिए, पापा के लिए वो इज्जत. मेरे पापा की छाती ५६ की हो जाती जब कोई उन्हें कहता, "आपका बेटा तो जर्मनी में है". ३ साल पहले जब मै कॉलेज पूरी करके जॉब करने इस अन्जान देश में आया था तो पुरे घर में ख़ुशी का माहोल था, मुझे आज भी याद है ...और पढ़े
अनैतिक - ०२ घर का प्यार
"कितने कॉल करोगी माँ? घर पर तो तब ही आऊंगा ना तब टैक्सी लाकर छोड़ेगी", मैंने घर में घुसते कहा..पर तूने तो एक भी कॉल नहीं उठाया? माँ की आंखों में खुशी थी और आंसू भी, अक्सर जब भी मै जर्मनी से आता या जाने के लिए निकलता तो माँ की ममता झलक ही जाती..हाँ, वो बैटरी लो हो गयी थी! अगर कॉल उठात तो फोन पूरा स्विच ऑफ हो जाता, वैसे रात के २:३० बज गए है आप अब तक जाग रही हो? मै आगे कुछ बोलू उसके पहले पापा कमरे में से निकलते हुए बोले..बेटा जब तू बाप ...और पढ़े
अनैतिक - ०३ किस्मत का खेल
मैंने तुरंत फोन रखा और माँ के पास जाकर पूछा, " किधर गए थे आप इतनी सुबह? माँ ने में ढोकला रखते हुए बोली, "क्या? क्या कहा सुबह? बेटा लगता है तूने अब तक बाहर नहीं देखा है, दोपहर के १२ बज रहे है और बाजू वाले दुबे आंटी है ना उनका कॉल आया था, कुछ काम था तो वहीं गई थी, उठ गया तू? हां, वो कोई लड़की आयी थी, दरवाज़ की घंटी की आवाज़ से नींद खुल गई, और बॉस का कॉल भी आया था.. कल ही तो आया तू और आज बॉस ने काम के लिए कॉल भी कर ...और पढ़े
अनैतिक - ०४ पुरानी यादें
ना कोई भाई ना ही बहन बस अकेला था इसीलिए कोई साथ खेलने वाला नहीं था तो कभी कभी के मोबाइल में भी अक्सर लूडो खेला करता, मैंने गेम की सारी सेटिंगस कर दी थी अब बस खेलना शुरू करना था की तभी.. डोर बेल बजी, माँ काम में वस्त थी और पापा तो फिर पापा थे तो जाना मुझे ही पड़ा, जैसे ही मैंने दरवाज़ा खोला- "हाय रोहन तुम? वॉट ए सरप्राइज? कब आये? कितने दिनों बाद देखा है तुम्हे..." हाय रीना ....कैसी है तू ...बस २-३ दिन पहले ही आया हूँ... और हम दोनों एक दुसरे के गले लगे, मेरा ध्यान ...और पढ़े
अनैतिक - ०५ जागने की रात
काम ज्यादा होने के वजह से मै रोज सिर्फ थोड़ी देर ही खेल पाता. कभी कभी तो एक गेम को भी वक़्त नही मिलता था ऐसे ही कुछ दिन गुजरे.. अब मै पूरी तरह गेम समझ गया था और ज्यादातर गेम जितने लगा, रात को भी नींद ख़राब करके खेलने लग गया था शायद गेम का नशा छा रहा था, पैसे तो कुछ मिल नही रहे थे पर जैसे जैसे गेम जीतता गया मुझे ऐसा लगने लगा की इस गेम का अपुन भगवान् है . अब हर जगह जब भी खाली वक़्त मिलता बस खेलता रहता, इसी बिच ...और पढ़े
अनैतिक - ०६ बेखुदी
मेरी शिफ्ट हो गयी थी, पर मै अब भी उसके रिप्लाई का वेट कर रहा था, दिख तो वो भी ऑनलाइन ही रही थी पर उसका कुछ रिप्लाई नहीं आया, मुझे लगा शायद मुझे मेसेज नही भेजना चाहिए था..मै फ़ोन लॉक कर सो गया, घर में पता था की नाईट शिफ्ट की वजह से मुझे रात भर जागना पड़ता है इसीलिए दिन के वक़्त कोई भी आवाज़ नहीं करता था, मुझे उतने में सबेरे के ११ बज गये थे, रोज की आदत थी उठने के बाद चाय के साथ एक सिगरेट पिने की पर घर माँ ...और पढ़े
अनैतिक - ०७- दिल्लगी
घर बस अब एक गल्ली की दूरी पर था, जैसे जैसे घर करीब आता वैसे दिल की धड़कने तेज़ रही थी, ये पहली बार था स्कूल के बाद मुझे किसी से इतना डर लगा हो. मै घर पर आ गया और बाइक पार्क ही कर रहा था की मुझे कशिश घर से जाते हुए दिखी और वो मुझे देख कर ऐसी हँसी दे रही थी मानो उसने कोई बाजी जीत ली हो...मै समझ गया अगर मै अभी अन्दर गया तो मुझे थोड़ी देर बाद हॉस्पिटल ही जाना पड़ेगा, मैंने बाइक धीरे से फिर बाहर निकली और सोचा थोडा रुक ...और पढ़े
अनैतिक - ०८ प्यार का एहसास
आज मै लगातार ४ गेम हार चूका था, अब मुझे खेलने में बिल्कुल मज़ा नहीं आ रहा था. तो फेसबुक देखने लग गया..कशिश ऑनलाइन थी, मैंने सोचा जब भी फेसबुक देखता हूँ ये ऑनलाइन ही दिखती है, क्या ये दिन भर ऑनलाइन रहती है या घर के काम भी करती है..पर आज उसने जो किया उसके बाद उसे देखने का मेरा नजरिया थोडा बदल गया अब मुझमे थोड़ी हिम्मत आ गयी थी बस ये दिमाग में चल ही रहा था की फेसबुक अलर्ट आया, मेसेज था कशिश का ...मुझे जैसे एक साल की सैलरी एक ...और पढ़े
अनैतिक - ०९ पहेली नजर ने...
मै छत पर सिगरेट के कश ले रहा था, उपर चढ़ने कि सीढ़ियां थोड़ी ऊंची थी जिसकी वजह से पापा साल में एक-दो बार ही ऊपर आते, माँ पापा से सीढियां चड़ना नहीं होता था, छत के चारो तरफ दीवारें थी तो मुझे किसिके देखने का भी डर नहीं रहता, इसीलिए मै रोज यहीं आकर सिगरेट पिता और थोड़ी देर रुक कर नीचे चला जाता, उस दिन भी यहीं हुआ, छत पर सिगरेट और मै दोनो एक दूसरे के प्यार में खोए थे, तभी नीचे मुझे किसी के आने की आवाज़ सुनाई दी, मैंने देखा तो रीना और कशिश थे, ...और पढ़े
अनैतिक - १०
सैलरी आ गयी थी, बहोत खुश था! पर बाहर जा नही सकता था. रात को हम खाना खाने बैठ मैंने सोचा आज माँ को पूछ ली लूँगा की कशिश की कहानी क्या है पर हिम्मत ही नहीं हुई, हम सब ने खाना खाया और मै अपने कमरे में आ गया, रोज की तरह आज भी मै कशिश के मेसेज का इंतजार करने लगा, रीना के पापा शहर के बड़े बिल्डर थे तो मै जानता था की कशिश को घर का काम तो था पर उतना ज्यादा नहीं, उसके यहाँ काम के लिए २-३ नौकर लगाये हुए थे. रीना के ...और पढ़े
अनैतिक - ११
तभी अंकल ने कहा, चल जाने दे, तू तो नहीं आया, हम ही आ गये, आजा साथ में खाना है.. अंकल मै टी शर्ट पहन कर आता बोलकर मै जैसे ही मुडा...पीछे से आवाज़ आई ... बेटा जब तू छोटा था न करीबन १ साल का तब से हम तुझे नंगा देखा करते थे अब तो बहोत बड़ा हो गया, चल आजा कोई बात नहीं...सब जोरो से हँसने लगे पर ये बात सुनकर मुझे अन्दर से इतनी शर्मिंदगी महसुस हुई पर कुछ कर भी नहीं बोल सकता था, बात तो उनकी सही थी..इसिलए मुझे दूसरा बहाना बताना ...और पढ़े
अनैतिक - १२
सबके बहोत पूछने पर पापा ने बताना शुरू किया, पहले तेरी और सुनिता जी (रीना की मम्मी) एक ही गाँव के थे, पर सुनिता जी के शादी के बाद उनके पेरेंट्स ने गाँव छोड़ दिया. रीना की मम्मी और तेरी माँ दोनों स्कूल से बेस्ट फ्रेंड थे।। मै और रीना के पापा भी बेस्ट फ्रेंड थे, जैसे तू और रीना है, मेरी शादी के वक़्त रीना के पापा आये थे बारात में तेरे मम्मी के यहाँ और तभी उन्होंने सुनिता जी को देखा...... हम सब इतने ध्यान से सुन रहे थे जैसे मोदीजी ...और पढ़े
अनैतिक - १3
कशिश के पापा की डेथ बचपन में ही हो गई थी, घर वालो के कहने पर उसकी माँ ने शादी तो कर ली, पर कुछ ही दिनों में उसके माँ की डेथ भी हो गयी, कशिश तब ४-५ साल की होगी उसने माँ बाप दोनों को खो दिया था, उसके नए पापा ने उसे उसके मामा के यहाँ छोड़ चले गये. कशिश के मामा उसे सिर्फ इसी लालच में पाल रहे थे की कशिश के माँ ने मरते वक़्त कुछ प्रॉपर्टी कशिश के नाम कर दी थी. कशिश का गाँव छोटा था, वो अपने मामा के यहाँ ...और पढ़े
अनैतिक - १४
अब मै किसी भी तरह से कशिश का दिल नहीं दुखाना चाहता था, माँ की बाते अब भी मेरे में घूम रही थी. मेरी आँखों के सामने जैसे उसका बचपन और शादी की तस्वीरे घूम रही थी, कितनी रोई होगी वो, बचपन से कितना कुछ सहा है उसने. बहोत सी बाते थी जो मेरे दिल को तेज़ी से धड़का रही थी शाम का अँधेरा हो गया था।। सोचा शिफ्ट शुरू होने के पहले एक बार सिगरेट पि लेता हूँ, मै ऊपर आया, और बस सिगरेट जलायी ही थी की वो दोनों फिर मेरे ...और पढ़े
अनैतिक - १५
उस दिन के बाद मैंने सिगरेट छोड़ दी, मुझे भी यकीन नही हो रहा था की मै ऐसा कर था, मुझे लगा था शायद धीरे धीरे छूटेगी, पर कहते है न अगर किसी चीज का हम निश्चय कर ले तो वो हम पा सकते है...मैंने पहले एक हफ्ता कोशिश करी जब भी मुझे सिगरेट की याद आती मै कशिश को याद कर लेता..८-१० दिन लगे पर पूरी तरह छुट गयी पर हाँ अगर कभी किसी को पिता हुआ देखा तो फिर से मुझे..पर मैंने खुद पर नियंत्रण कर लिया था...अब मुझे बाकी सिगरेट की ज़रूरत नहीं थी ...और पढ़े
अनैतिक - १६
कशिश को देख कर, उस से बाते कर,अब धीरे धीरे मेरा डर कम होने लगा था..एक दिन की बात मै अपने रूम में काम कर रहा था. मेरी शिफ्ट बदल गयी थी अब मुझे दिन में काम करना पड़ता था, उस दिन मै अपने लैपटॉप में काम कर रहा था और और पापा मम्मी खाना खा रहे थे, मैंने मेरे रूम में ज्यादा आवाज़ में गाने सुनते हुए मीटिंग की तयारी कर रहा था, कब दरवाज़े की घंटी बजी मुझे कुछ सुनाई नहीं दिया और गाने के साथ साथ मै भी अपना सुर मिलाने लगा "एक लड़की ...और पढ़े
अनैतिक - १७
शाम होने आई थी, लॉक डाउन के वजह से पापा भी घर पर ही थे ...माँ, पापा, कशिश तीनो करते, हँसी मजाक करते, मुझे रुम में आवाज़े आ रही थी और ये पहली बार था जब मुझे खुद की जॉब पर गुस्सा आ रहा था की मै बाहर उनसे बात भी नहीं कर सकता था.. मैंने २-३ मीटिंग्स ख़त्म की और माँ को पता था मुझे हर ३-४ घंटे में भूक लगती है. माँ ने मुझे नाश्ता रूम में ही लाकर दिया, मै काम में पूरी तरह बिजी था की वक़्त का पता ...और पढ़े
अनैतिक - १८
जब सब साथ होते तब मुझे कशिश से बात करने में कुछ नहीं लगता पर पता नहीं क्यूँ जब हम दोनों अकेले रहते मै उसे से बात ही नही कर सकता था...आज करना चाहता था मैंने बात शुरू की..पूछना तो बहोत कुछ चाहता था पर मुझे सिर्फ एक ही सवाल का जवाब चाहिए था... सॉरी, क्या मै कुछ पूछ सकता हूँ? उसने हाँ में सीर हिला दिया..मैंने टीवी की वॉल्यूम कम कर दी.. मै जानता हूँ की ये आपका निजी मामला है और मुझे पूछने का कोई हक नहीं पर एक दोस्त के नाते पूछना चाहता हूं, क्या निकेत ...और पढ़े
अनैतिक - १९
अगर मै और कुछ कहता तो शायद कशिश रो देती इसीलिए मैंने उसके पास देखते हुए कहा, "देखते है मुझे नहीं लगता अभी इतने जल्दी फ्लाइट्स को दुसरे देश जाने देगे. उसके चेहरे पर फिर थोड़ी मुस्कान आई, फ़ोन की रिंग बजने लगी..माँ ने फ़ोन उठाया तो रीना की माँ का कॉल था, उसने ये बताने के लिए कॉल लगाया था की वो कल आ रहे है..आज सन्डे था कुछ काम नहीं था, मै रूम में आ गया और गाने लगा कर सुनने लगा, पापा भी उनके रूम में चले गये..माँ कशिश को लेकर मेरे पास आ गयी.. आज ...और पढ़े
अनैतिक - २०
मैंने पापा की बाते सुनी पर मेरा मन अब भी बैचेन था, तुरंत कशिश को मेसेज भेजा हाउ यू? ठीक हूँ मै.. क्या हुआ था? कुछ नहीं, रोज का है..झगडा करना फिर जेल जाना तुम्हे डर नहीं लगता ये सब देख कर? पहले लगता था पर अब आदत हो गयी कशिश की बातो ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया की कैसे इन्सान जब किसी डर को पार कर लेता है तो ज़िन्दगी में उसे फिर किसी चीज से डर नहीं लगता, मतलब ऋतिक रोशन जो कहता है वो सही है, "डर के आगे जीत है" और कशिश ...और पढ़े
अनैतिक - २१
हम हॉस्पिटल से निकले, अब कशिश को मैंने पीछे बिठा दिया था और मै अंकल के पास सामने वाले पर बैठा था, मै बार बार कशिश को देख रहा था शायद उसे नींद का इंजेक्शन दिया गया था।। वो नींद में जा रही थी, तभी मेरा ध्यान अंकल पर गया, उनके आँख में पानी था...मै समझ गया था की उन्हें कितनी शर्मिंदगी हो रही होगी अपने बेटे के वजह से, पर उसमे उनकी तो कोई गलती नहीं थी, हर बार बच्चो की गलतियों का दोष हम माँ बाप को नहीं दे सकते. हर माँ बाप अपने ...और पढ़े
अनैतिक - २२
दिन की शिफ्ट होने के कारन मुझे सबेरे जल्दी उठना पड़ा, फटाफट नाश्ता कर मै अपने काम में लग पापा भी घर का सामान लाने बाहर चले गये, माँ किचेन में थी तभी मुझे रीना का कॉल आया.. थैंक्स यार.. मैंने कहा क्यूँ? कल तूने जो किया, आज बात हुए थी माँ से उन्होंने बाते मुझे, कैसे तूने कशिश को हॉस्पिटल ले जाने में पापा की मदद की अच्छा तो अब हमारे दोस्ती में थैंक्स एंड सॉरी भी होने लगा ऐसी बात नहीं पर, पर अगर तू ना होता तो शायद पापा को कशिश को हॉस्पिटल ...और पढ़े
अनैतिक - २३
पापा भी घर आ चुके थे, हम सब ने खाना खाया और मै अपने रूम में आ गया.. हाँ बुरा लगा था निकेत को ऐसे कशिश का हात पकड़ कर बात कटे हुए, पर वो पति था उसका और मै सिर्फ एक दोस्त, वो भी ४ महीने पहले मीला हुआ. २ दिन से नींद नहीं हुई थी, जैसे ही बेड पर लेता आँखे बंद होने लगी, रीना का मेसेज आया पर मै अभी कुछ बात करने की हालत में नहीं था, मैंने फ़ोन साइड में रखा और सो गया, जब सबेरे उठा तो कई सारे ...और पढ़े
अनैतिक - २४
टेबल पर २ चेयर खाली थी एक कशिश के साइड वाली और दूसरी अंकल के साइड वाली, मै अंकल साइड वाली चेयर पर जाकर बैठ गया, कशिश की आँखे लगातार मेरे बदले स्वभाव का पीछा कर रही थी, पर मैंने एक बार भी उसकी तरफ नहीं देखा, मै जानता था जो कुछ हुआ उसमे उसकी गलती नहीं थी पर मै निकेत को उसके इतने करीब देख कर अन्दर ही अन्दर उस पर नाराज़ होने लगा, हाँ वो पति था उसका पर....नहीं..ये पर का जवाब मेरे पास भी नहीं था... कशिश ने मुझे खाते वक़्त भी कई ...और पढ़े
अनैतिक - २५
तू नहीं चलेगा साथ? नहीं अंकल, आज बहोत काम है, रीना है ना।। वो संभाल लेगी. कहना तो भी चाहता था की निकेत उसका पति है तो उसे ले जाओ पर माँ की परवरिश ने रोक लिया. वो चले गये..मै भी अन्दर आ गया. अब मेरा मन यहाँ नहीं लग रहा था..मै यहाँ से दूर फिर जर्मनी जाना चाहता था और फिर कभी कशिश की सूरत नहीं देखना चाहता था..तभी मेरे दिमाग में एक विकल्प आया. दोपहर का वक़्त था।। माँ खाना बना रही थी और पापा, मै डायनिंग टेबल पर माँ की राह देख रहे ...और पढ़े
अनैतिक - २६
मै रूम में वेब सीरीज देख रहा था की मुझे फिर कशिश के घर से झगड़ने की आवाज़े आने पर इस बार मैंने ध्यान देना ज़रूरी नहीं समझा पर जब मुझे रीना की रोने की आवाज़े आने लगी तो मेरा मन नहीं माना मै रूम से बाहर निकला, माँ ने कहा, "किधर जा रहा.." आवाज़े नही सुनी आपने? सुनी है पर उनके घर का झगडा है, हमें बिच में नहीं जाना चाहिए माँ, पर रीना की रोने की आवाज़ आ रही है, माँ जानती थी की बचपन से मै और रीना कितने ...और पढ़े
अनैतिक - २७
कल जो हुआ उसने हम सबको अन्दर से झंझोलकर दिया..अब माँ पापा, उनके घरवालो से कम बाते करने लगे दिन उन्होंने खाने पर बुलाया पर पापा ने मना कर दिया, अंकल को बहोत बुरा लगा।। इसीलिए मैंने पापा को समझाया. इसमे उनकी गलती नहीं पापा, और वैसे भी आप दोनों को थोड़े दिन ही यहाँ रहना है फिर तो हम सब जर्मनी में ही जाएंगे, मेरे समझाने पर पापा मान गये और आज का डिनर हमने उनके यहाँ करने का पक्का किया. रात को हम उनके यहाँ पहोचे तो निकेत वाहा नहीं था, पापा के ...और पढ़े
अनैतिक - २८
नहीं कशिश हम ये नहीं कर सकते, तुम किसीकी पत्नी हो.. उसने कहा, क्या तुम जानते हो? केतन ने आज तक हात भी नहीं लगाया, वो तो बस मारने के लिए मेरे रूम में आता है, और वो जब भी मेरे करीब आया, मैं हमेशा भाग कर आंटी के रूम में चली जाती.. पर इसका ये मतलब तो नहीं की हम कुछ गलत कर बैठे ...मैंने उसे समझाया पर वो समझना नहीं चाहती थी ... उसने कहा," उस दिन जो मैंने कहा उसके लिए सॉरी, पर मेरे वजह से किसी को परेशानी में नहीं डालना चाहती थी, मै जानती ...और पढ़े
अनैतिक - २९
अब मै अपने जर्मनी जाने की तयारियाँ करने लगा, मुझे ५ महीने हो गये थे और माँ पापा की वीजा अंकल ने करवा दिए थे. माँ सारी चीजे याद से रख लेना, और पापा के कपडे तो आपने रखे ही नहीं हाँ सब रख रही हूँ पापा कहा है? सारे दुकान वालो के पैसे चुकाने गये है..मैंने पेपर वाले, दूध वाले सबको बोल दिया है की हम १५-२० दिन में जा रहे..पर बेटा.. माँ, मै जानता हूँ, और मुझे भी बुरा लग रहा अपना घर छोड़कर जाते हुए पर आप दोनों को अब अकेले तो नहीं रहने दे सकता ...और पढ़े
अनैतिक - ३०
पापा, अंकल जल्दी चलो हमें कही जाना है.. अरे पर कहा बेटा, और क्या हुआ..तू रो क्यूँ रहा है... मै रास्ते में बतात हूँ, पहले जल्दी चलो.. किशोर इन सब का ध्यान रखना कहकर मै उन्हें लेकर सीधा अंकल की कार में निकल गया.. पर हुआ क्या है? पापा ने पूछा पापा वो... अंकल ने कहा बेटा बता भी क्यूँ डरा रहा है...बता हुआ क्या है? मेरे दोस्त केशव का कॉल आया था, वो किसी काम से गाँव से बाहरजा रहा था की तभी उसे रोड पर भीड़ जमी दिखी जब उसने पास जाकर देखा तो एक लड़के का ...और पढ़े
अनैतिक - ३१
मैंने ऑफिस से २-३ दिन की छुट्टी निकला ली।। माँ, पापा, अंकल आंटी को घर भेज दिया था, केशव चला गया. मैंने रीना से कहा कशिश को भी घर ले जाओ..मै और किशोर दोनों हॉस्पिटल में थे. आज ऑपरेशन हुए एक दिन हो गया था पर अब एक निकेत को होश नहीं आया.. अगले दिन जो हुआ वो मै ज़िन्दगी भर नहीं भूल सकूँगा. अगले दिन रात को कशिश, रीना, किशोरे और मै हम सब ऑपरेशन के बहार सो रहे थे, रात का वक़्त था मैंने कशिश और रीना से घर जाने को कहा पर वो नहीं जाना चाहते ...और पढ़े
अनैतिक - ३२ - अंतिम भाग
आज एक महीने बाद... चलो जल्दी, सामान लेकर बाहर आ जाओ.. अंकल ने रोते हुए कहा, बेटा सही कर रहे है ना हम? अंकल आपको मुझ पर भरोसा है? बचपन से लेकर आज तक मैंने कभी आप में और मेरे पापा में, या माँ और आंटी में कोई फर्क किया है क्या? आज निकेत भैय्या नहीं है तो क्या हुआ? मै हूँ ना आपका बेटा. अब हमें यहाँ नहीं रहना चाहिए, पुरानी बाते याद कर के ज़िन्दगी भर हम सबको दर्द होगा।। मैंने एक बड़ा घर देखा है जर्मनी में..आप, पापा, माँ, आंटी, किशोर, रीना और मै ...और पढ़े