उड़ान(प्रेम, संघर्ष और सफलता की कहानी)पहली मुलाकात:-अरे आप, आप तो राजिम से हैं ना, मेरे ख्याल से आप पी.एस.सी. कोचिंग के लिए लक्ष्य अकादमी में आती थी, मेरा नाम प्रथम है।हाँ, मैं लक्ष्य अकादमी जाती थी, मेरा नाम अनु है अनुप्रिया।आप मुझे कैसे जानते हैं ?एक्चुअली, मैं भी वहाँ जाता था।पढ़ने के लिए। अनु ने पूछा।हाँ, दोनों पढ़ने और पढ़ाने के लिए, चलो अच्छा है हम दोनो को पी.एस.सी. के लिए एक ही सेंटर मिला, हिन्दू हाई स्कूल।आप अकेले आई हैं परीक्षा दिलाने ?हाँ बस से आ गई, शाम को बस से लौट जाऊँगी।टिफिन लाई है क्या ?नहीं।मैं भी नहीं
Full Novel
उड़ान, प्रेम संघर्ष और सफलता की कहानी अध्याय-1
उड़ान(प्रेम, संघर्ष और सफलता की कहानी)पहली मुलाकात:-अरे आप, आप तो राजिम से हैं ना, मेरे ख्याल से आप पी.एस.सी. के लिए लक्ष्य अकादमी में आती थी, मेरा नाम प्रथम है।हाँ, मैं लक्ष्य अकादमी जाती थी, मेरा नाम अनु है अनुप्रिया।आप मुझे कैसे जानते हैं ?एक्चुअली, मैं भी वहाँ जाता था।पढ़ने के लिए। अनु ने पूछा।हाँ, दोनों पढ़ने और पढ़ाने के लिए, चलो अच्छा है हम दोनो को पी.एस.सी. के लिए एक ही सेंटर मिला, हिन्दू हाई स्कूल।आप अकेले आई हैं परीक्षा दिलाने ?हाँ बस से आ गई, शाम को बस से लौट जाऊँगी।टिफिन लाई है क्या ?नहीं।मैं भी नहीं ...और पढ़े
उड़ान, प्रेम संघर्ष और सफलता की कहानी - अध्याय 2
खाने पर चर्चा:- अरे आईये प्रथम जी। ये मेरे पापा है। नमस्ते अंकल। और ये मेरी मम्मी है। नमस्ते बस खाना तैयार ही है आप अंदर आ जाइये और हाँथ धोकर डाइनिंग टेबल पर बैठ जाइये। ठीक है हाथ किधर धोऊँ। बस यहीं किचन से होकर आइये ना पीछे के आगंन में। बेसिन उधर है हाथ धो लिजिए। ये तो सरकारी क्वार्टर, है ना ? प्रथम ने पूछा।हाँ हम लोग तो जीवन भर ऐसे ही सरकारी क्वार्टर मे रहते आए हैं। सब एक ही जैसा होता है।प्रथम हाथ धोते-धोते अनु की ओर तिरछी नजर से बार-बार देख रहा था।अनुप्रिया असल में लंबी कद काठी की, गेहूआ रंग लिए, ...और पढ़े
उड़ान, प्रेम संघर्ष और सफलता की कहानी अध्याय-3
प्रणय निवेदन :-दूसरे दिन प्रथम ठीक 11 बजे मंदिर पहुँच गया। पूजा शुरू हो चुकी थी । आइये बैठिए जी। अनु ने कहा । लिजिए थोड़ा चावल और फूल हाथ में ले लिजिए। अच्छा दीजिए, यहीं बैठ जाऊँ।हाँ बैठ जाइए। प्रथम बैठ गया और चावल और फूल हाथ में ले लिया। पूजा चल रही थी और बीच-बीच में हवा से अनु की साड़ी का आँचल उड़ उड़कर प्रथम के चेहरे से टकरा रहा था और प्रथम के शरीर में रह रहकर सिहरन पैदा हो रहा था । पूजा खत्म हुई तो अनु ने प्रथम से कहा आईए उधर सीढ़ियों पर बैठते हैं । हाँ चलिए। कैसे आए ...और पढ़े
उड़ान, प्रेम संघर्ष और सफलता की कहानी - आधाय-4
शाम के 5 बजे ठीक स्कूल के सामने गाड़ी खड़ी नजर आई। प्रथम सिर झुका के गाड़ी के ड्राईवर पर बैठा था। उसकी आँखे लाल थी। वह सारी रात सो नहीं सका था उसे लग रहा था कि उससे इतनी बड़ी भूल हो गई है जो क्षम्य नहीं है। पता नही अनु जी कैसे रियेक्ट करेंगी। अचानक गेट खुला प्रथम चैक गया। अनु आकर पीछे सीट पर बैठ गई।प्रथम ने शीशे में चुपके से देखा अनु का चेहरा कठोर दिखाई दे रहा था। चलिए कहाँ चलना है? अनु ने कहा। आप जहाँ कहें अनु जी। मैं क्यों बताऊंगी, आप का जहाँ मन करे ...और पढ़े
उड़ान, प्रेम संघर्ष और सफलता की कहानी - आधाय-5
शाम के 5 बजने में 2 मिनट शेष रह गये थे, वह चैक गया और एसटीडी से फोन लगाया। मालूम था कि अनु फोन के पास खड़ी होगी।हैलो, हाँ अनु तुम ठीक हो।हाँ आप कैसे हो।मैं भी ठीक हूँ अनु, आज स्कूल नहीं जाना था क्या? 5 बजे का टाइम दिया था तुमने ?नहीं स्कूल तो गई थी बस तुमसे बात करनी थी करके जल्दी आ गई।तो मुझे बताना था मैं वहीं आ जाता।रोज-रोज देर से आउंगी ना तो घर वाले नाराज होंगे। मेरे भाई को तो थोड़ा शक भी हो गया है।कुछ बोल रहा था कया तुमको ?हाँ, ...और पढ़े
उड़ान, प्रेम संघर्ष और सफलता की कहानी - आधाय-6
राजधानी:-सुबह-सुबह प्रथम तैयार हो कर बस में बैठा और निकल गया, अपने नवजीवन के सफर पर।रायपुर बस स्टैण्ड पहुँचकर रिक्शा लिया और पहुँच गया मयंक के पास।सुंदर नगर के पास रोड पर ही किसी श्रीवास्तव जी के मकान में मयंक ने एक रूम किराये पर ले रखा था। तीन और परिवार उस घर में किराए में रहते थे और सभी के लिए एक ही टाॅयलेट और एक ही बाथरूम था।अरे आइये सर आपका स्वागत है। मयंक ने बोला।मयंक कैसे हो भाई ? प्रथम ने कहा।ठीक हूँ सर, आप कैसे हैं ?बढ़िया हूँ। बस तुम्हारे साथ जीवन से लड़ने मैं ...और पढ़े
उड़ान, प्रेम संघर्ष और सफलता की कहानी - अध्याय-7
निजी महाविद्यालय में नौकरी :-प्रथम निकल गया। एक घंटे में वो दुर्ग पहुँच गया। सारा सामान ऊतारा और ड्राईवर साथ ऊपर कमरे तक लेकर गया।नमस्ते भैया, मेरा नाम गोलू वर्मा है, लाईये मैं ले लेता हूँ इसे।अरे नही भाई।नहीं लगता भैया, दीजिए मुझे।अच्छा ठीक है मैं बाकी सामान ले आता हूँ।भैया आप कहाँ काम करते हैं ?मैं यार वो बालोद रोड पर जो कॉलेज है ना वहाँ पढ़ाता हूँ।अरे वहीं तो बाजू वाले भैया भी जाते हैं।अच्छा क्या नाम है उनका ?धीरज श्रीवास्तव।अच्छा वो हैं क्या अभी रूम में।नहीं, अभी शायद कॉलेज गए होंगे। शाम को आते हैं तो ...और पढ़े
उड़ान, प्रेम संघर्ष और सफलता की कहानी - अध्याय-8
वह उठा तैयार हुआ और रायपुर की ओर निकल पड़ा। वह 10:30 बजे ही उनके घर के आस-पास ही गया था। परंतु एक घंटे तक वहीं घर के आस-पास घूमता रहा। उसकी जान अटकी हुई थी कि क्या होगा ? बार-बार घर की ओर जाने की हिम्मत करता फिर रूक जाता। जब 12 बजने में सिर्फ 10 मिनट रह गये थे तब उसको अनु का ख्याल आया कि वह कुछ गलत हरकत ना कर ले इसलिए फाईनली घर के बाहर पहुँच गया। उसकी मनःस्थिति चरम पर थी पर उसके हाथ में कुछ नहीं था। उसने घंटी बजाई अनु का ...और पढ़े
उड़ान, प्रेम संघर्ष और सफलता की कहानी - अध्याय-9
परिस्थितियों से संघर्ष:-दो दिन बाद जब प्रथम कॉलेज में था तो अनु आ गई।प्रथम तक सूचना पहुंची तो वह गया।बैठो अनु। तुम ठीक हो।हाँ मैं ठीक हूँ। आप ठीक हो ? हाँ मैं भी ठीक हूँ । यहीं बैठोगी कि विभाग में चलोगी क्योंकि मेरी एक क्लास बची है। उसको ले लेता हूँ फिर चलते है। ठीक विभाग में ही चलिए। चलो। वो प्रथम के क्लास लेते तक बैठी रही। फिर वहाँ से घर के लिए निकल गए।घर मे बता कर आई हो ?हाँ, बता दी हूँ। क्या बोले ?नाराज हैं और क्या। वो तो पहले ही बोले थे कि तुम्हारी मर्जी तो और ...और पढ़े
उड़ान, प्रेम संघर्ष और सफलता की कहानी - अध्याय-10
फिर वो लोग निकल गए।महीने का आखिरी दिन था।सुनो जी सिलेण्डर खत्म हो गया। नया लाओगे तभी कुछ बन अनु ने कहा अच्छा ठीक है मैं दूसरा भरवा कर लाता हूँ।प्रथम ने पर्स निकाला और देखा कि उसमे तो सिर्फ 200 रूपये थे। जबकि सिलेण्डर 450 रूपए में आता था। बैंक अकाऊँट में भी पैंसे नहीं थे।कुछ मंगवा कर खा ले क्या अनु। प्रथम ने पूछा।क्यो? सिलेण्डर लाने में क्या दिक्कत है।दिक्कत है ना, मेरे पास पैसे नहीं है। प्रथम थोड़ा उदास होते हुए बोला। और फिर कहाकल मिल जाएगी तनख्वाह तो कल ले आऊँगा सिलेण्डर।क्या गारंटी है कि आपकी ...और पढ़े
उड़ान, प्रेम संघर्ष और सफलता की कहानी - अध्याय -11
पिता का देहावसन -क्यों जी आप घर खरीदने का क्यों नहीं सोचते। एकात छोटा मोटा घर खरीद लेते। कब किराए के घर में रहेंगे ?तुम ठीक कहती हो अनु खोजते है जब मिल जाएगा तो खरीद लेंगे। अभी तो तुम घर पर ही रहती हो तुम क्यों पढ़ाई नहीं करती ? तुम पी.एस.सी. की तैयारी करो ना ? अब तो बेटा भी पाँच साल का हो गया है। अब क्या दिक्कत है ? इतनी पढ़ी लिखी हो अनपढ़ जैसे घर में क्यों घुसी रहती हो। प्रथम बोला। देखो जी, मुझे पढ़ने-वढ़ने का कोई मन नहीं है और आपको मेरे साथ ...और पढ़े
उड़ान, प्रेम संघर्ष और सफलता की कहानी - अध्याय-12 - अंतिम भाग
तैयारी:- इस बार फिर प्रथम ने दोनो का पीएससी फार्म भरा, और तैयारी में जुट गए ।आज स्कूल में पढ़ी कि नही ? प्रथम ने पूछा नही आज ज्यादा टाईम नही मिला। आपने अपना हिस्सा पढ़ लिया ? अनु पूछी। हाँ मैने तो पढ़ लिया। तो मुझे पढ़ाओ। क्या ?संविधान ? हाॅ, अनुच्छेद 70 से 80 बता दो।अच्छा ठीक है तुम चाय बनाओ मैं बताते जाता हूँ जहां समझ ना आए पूछ लेना। प्रथम अनु को पढ़ाने लगा। रूको थोड़ा मै वाशरूम से आती हूँ, अनु बोली। मैं सुनाते रहता हूँ तुम वही सुन लेना। ठीक है जोर-जोर से पढ़ो। अनु बोली। इस तरह प्रथम और अनु के जीवन में ...और पढ़े