दुर्घटना संध्या समय की चंचलता अपने मोहक वातावरण मे सूर्य की लाली संग एक अद्धभुत नजारे मे ढल रही हैँ इस समय एक खामोश सडक पर सुभाष अपनी मंजिल की ओर बेखौफ बड़े जा रहा हैँ वो अपनी गाड़ी मे अपनी ही धुन मे मग्न था और उसकी तेज रफ़्तार उसका जोश बढ़ाए जा रही थी सड़क के दोनों छोरो पर दूर तक फैला घना जंगल समय से पहले ही अंधकार मे डूबा हुआ मालूम हो रहा था अचानक सुभाष को एक सुन्दर कोमल युवती दिखी वो सुंदरी एक विशाल वृक्ष से टेक लगा

Full Novel

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प्रेम मोक्ष - 1

दुर्घटना संध्या समय की चंचलता अपने मोहक वातावरण मे सूर्य की लाली संग एक अद्धभुत नजारे मे ढल रही इस समय एक खामोश सडक पर सुभाष अपनी मंजिल की ओर बेखौफ बड़े जा रहा हैँ वो अपनी गाड़ी मे अपनी ही धुन मे मग्न था और उसकी तेज रफ़्तार उसका जोश बढ़ाए जा रही थी सड़क के दोनों छोरो पर दूर तक फैला घना जंगल समय से पहले ही अंधकार मे डूबा हुआ मालूम हो रहा था अचानक सुभाष को एक सुन्दर कोमल युवती दिखी वो सुंदरी एक विशाल वृक्ष से टेक लगा ...और पढ़े

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प्रेम मोक्ष - 2

सुभाष के कानो मे जैसे ही ये शब्द पड़े वो दुविधा और शंका को अपनी आँखों मे भर उस की और घूरने लगा सुंदरी भी सुभाष को एक रहस्यमय मुस्कान के साथ देखने लगी और अगले ही क्षण गाड़ी मिस बैलेंस हो कर एक चट्टान से जा भिड़ी और बुरी तरहा तहस नहस हो गई उसको देख के कोई भी बोल सकता था के गाड़ी मे सवार लोगों का जिन्दा बचना असंभव हैँ ............... गाड़ी का बोनट बुरी तरह से एक मजबूत पेड़ मे जा धसा, अगले दिन कुछ यात्रियों ने पुलिस को खबर कर दी,दुर्घटना स्थल पर ...और पढ़े

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प्रेम मोक्ष - 3

इस लड़की के कपडे और गहने बेहद प्राचीन हैँ बल्कि ये समझिये इनकी गिनती चुनिंदा चीजों मे होती हैँ की माने तो ये 16 सदी के राजा महाराजाओ के हैँ अब इस लड़की को ये कहाँ से मिले ये कहना मुश्किल हैँ इन कपड़ो पर एक विशेष किस्म का पाउडर लगा हैँ ताकि समय का इन पर कोई दूरप्रभाव ना पड़े इसलिए ये कपडे आज भी सुरक्षित हैँ ये 16 सदी का एक गुप्त रूप से उपयोग होने वाला बड़ा ही अनूठा तरीका हुआ करता था खेर अब ये पता लगाना आपका काम हैँ के आखिर ये इसके पास आये कहाँ ...और पढ़े

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प्रेम मोक्ष - 4

कैसे तैसे कर के अविनाश अपनी वीरान हवेली पर पंहुचा अभी रास्ते मे घटी अद्धभुत घटना से उभरा भी नहीं था | के हवेली पर पहुंच उसको एक और झटका लगा, हवेली बरसो से खाली पड़ी थी, इसकी देख भाल के लिए कई बार नौकर रखे थे मगर कोई टिक ना पाता, लेकिन आज हवेली विचित्र रूप मे ढली पड़ी थी? उसकी दीवारे एक दम साफ, ना कोई जाला ना ही कही धूल,हवेली के बाग़ की अच्छे से छटाइ करदी गई थी | हवेली अब वीरान खण्डर नहीं थी, बल्कि उसमे एक नई जान एक नई सुंदरता एक विरला आकर्षन ...और पढ़े

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प्रेम मोक्ष - 5

अजाब सिंह ने जी तोड़ मेहनत कर नेहा के माता पिता के बारे मे बहूत कुछ पता लगा लिया जैसे की जब उसने नेहा के आस पड़ोस मे पूछताछ करवाई तो सबने नेहा के माता पिता के गुणगान किये मगर कोई भी उनको नेहा के जन्म से पहले से नहीं जनता था कियोकि उस जगह वो नेहा के जन्म लेने के 2 वर्ष पश्चात आये थे, और ताज्जुब की बात ये थी के पुरे मोह्हले मे कोई नहीं जनता था के यहाँ आने से पहले वो कहाँ से थे, बस इसी बात ने अजाब को अपनी और विशेष रूप से आकर्षित कर ...और पढ़े

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प्रेम मोक्ष - 6

अजाब सिंह को जी तोड़ मेहनत करने के बाद ज्ञान चंद का पता चलता हैँ | अजाब को ज्ञान से भारी उम्मीदे थी उसको लगता था यही एक मात्र कड़ी हैँ | जो इस पहेली को सुलझा सकती हैँ |मगर वहाँ पहुँच कर पता चला, के दो वर्ष पूर्व ही सेठ ज्ञान चंद का स्वर्ग वास हो गया हैँ | इस दुखद समाचार ने अजाब को काफ़ी निराश कर दिया था, किन्तु इस निराशा के अंधकार मे भी अजाब को एक आशा की लौ नज़र आ गई, जिस प्रकार से डूबते को तिनके का सहारा होता हैँ | ठीक उसी प्रकार से ...और पढ़े

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प्रेम मोक्ष - 7

दिलबाग सिंह दिलबाग सिंह उस हवेली के बारे मे लोगो से बहुत सी ऊट पटाग बातें सुन चूका था उसने हवेली की छान बिन सुबह सुबह की थी अजाब से फ़ोन पर बातें कर वापिस आते समय जब उसकी दुरी शहर से कुछ की.मी. बची थी तभी उसकी नजर अविनाश पर पड़ी, उस समय अविनाश हवेली के लिए निकल चूका था, दिलबाग सिंह को ना जाने क्यों अविनाश पर शक हुआ और उसने किसी से पूछे बिना ही उसका ये सोच कर पीछा किया के यक़ीनन इसका पीछा कर मैं इम्पोर्टेन्ट एविडेंस पा लूंगा, अविनाश का ...और पढ़े

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प्रेम मोक्ष - 8

अजाब सिंह ने दिलबाग से जिस दिन आने का वादा किया था। उस दिन अजाब दिलबाग के पास ना कर नेहा के माता पिता की छान बिन में जुट जाता है। छान बिन करते समय अजाब के हाथ एक ऐसा ठोस सबूत लगता है। जिस से उसको इस गुथी का एक सिरा मिल जाता है। इसलिय वो सीधा नेहा के माता पिता के पास पहुँच गया।अजाब एक ओर कुर्सी पर बेठा हुआ अपने सामने बैठे नेहा के पिता किशोर यादव की ओर संदेह दृष्टि से देखे जा रहा था तभी नेहा की माता चाय ले कर आती है। और दोनों ...और पढ़े

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प्रेम मोक्ष - 9

सर्दियों का खिला हुआ समां था, जोरदार ठण्ड मे अमृत समान धुप अपने चरम ताप पर थी। खेती मे जी तोड़ मेहनत कर रहे थे। उनकी औरते भी गीत गुनगुना कर अपने पतियों का उत्साह बढ़ाते हुए उनका हाथ बटा रही थी। दूर तक फैली धुप मे चमकती फसले किसानो के दिलो को ख़ुशी से गुद गुदा रही हैं। पिछले दो वर्षो मे जो सूखा पड़ा और उसके कारण होने वाली मृत्यु का सारा शोक विलाप इस वर्ष की भारी ऊपज के निचे दब गया। किसान अपना दुख भूल कर सुख के आनंद मे डूबे हुए अपने काम मे व्यस्त ...और पढ़े

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प्रेम मोक्ष - 10

सदियों से दुनिया मे राजगद्दी को लेकर कई युद्ध हुए है।मनुष्य के भीतर सिंहासन का लगाव खून के सम्बधों भी भारी साबित होता है। इतिहास साक्षी है किस प्रकार से राज्याधिकार के लोभ ने भाई को भाई के बेटे को बाप के और बाप को बेटे के विरुद्ध ला खड़ा किया था,ठीक इसी प्रकार से राजा सूर्य प्रताब सिंह का छोटा पुत्र रणबीर अपने भीतर सिंहासन को पाने की मंशा लिए अपने बड़े भाई के प्रति बेर भाव रखता था।कुछ वर्षों पूर्व एक विशाल सुंदर समृद्ध राज्य हुआ करता था, जिसपर राजा सूर्य प्रताब सिंह का राज था।राजा की ...और पढ़े

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प्रेम मोक्ष - 11 - अंतिम भाग

अविनाश को जब होश आया तब उसने खुदको तेख़ाने में बंधा पाया साथ मे चंद्रिका भी बेहोश पड़ी थी, पास की चीजों को देख कर अविनाश समझ गया कि इस समय वो हवेली के तेख़ाने में है।वो पहले खुद को छुड़ाने का प्रयास करता है फिर थक कर चंद्रिका को उठाने का,इसी बीच चमड़े के जूतों की टक टक करके उसकी ओर किसी के आने की आवाज आती है। जैसे जैसे वो व्यक्ति पास आता जाता है अविनाश का डर बढ़ता जाता है। और जब वो व्यक्ति ठीक अविनाश के सामने आया तो अविनाश हकाबका रह गया और बोला" ...और पढ़े

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