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इनसीडियस

मूसलाधार बारिश हो रही थी। रह-रहकर तेज़ बिजली के साथ बादल गरज रहे थे। रात के घुप्प अंधेरे में वह भाग रहा था। चारों तरफ़ से सांय-सांय की आवाज़ें आ रही थीं। उसे महसूस हुआ जैसे कोई उसका पीछा कर रहा था। अचानक एक ज़ोरदार ठोकर लगी और वह नीचे गिर पड़ा। उसकी पैंट घुटने से फट गई और वहां से खून बहने लगा। उससे उठा नहीं जा रहा था जैसे दोनों पैरों की जान निकल गई हो। वह बहुत कोशिश करके उठा। उसके दोनों पैर बुरी तरह कांप रहे थे। बड़ी मुश्किल से जेब से रुमाल निकाल कर उसने अपने घुटने पर बांधा। खून रुकने का नाम नहीं ले रहा था। रुमाल के साथ पैंट का निचला हिस्सा भी खून में तर हो गया था। अचानक पीछे से दो हाथों ने उसकी गर्दन को पकड़ लिया। उसने गर्दन छुड़ाने की बहुत कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हुआ।

"आहह...आहहह....उफ़्फ़।" उसके मुंह से एक तेज चीख़ निकली।

वह उठ कर बैठ गया। बिस्तर से उठकर बोतल से गिलास में पानी लेकर पिया। फिर घड़ी की तरफ नजर डाली। रात के दो बज रहे थे। वह पसीने से तरबतर हो गया था।

"कैसा बुरा ख्वाब था?" उसने सोचा।

उसकी नींद उचाट हो गई। वह बाकी रात जागकर इस ख़्वाब के बारे में ही सोचता रहा।

पिछली रात भी उसने एक डरावना ख़्वाब देखा था। सुबह उठकर वह कैम्प ऑफिस चला गया। दिनभर उसका मूड थोड़ा अपसेट रहा। रात में थोड़ा खाना खाकर वह अपने बेड पर आ गया।

पढ़ते-पढ़ते आदत के मुताबिक उसने सिगरेट जलाई। सिगरेट अभी आधी ही ख़त्म हुई थी कि उसे नींद आ गई। अचानक उसे लगा कि उसने जलती हुई आग में पैर रख दिया हो। वह हड़बड़ा कर उठा। उसके बिस्तर ने अधजले सिगरेट से आग पकड़ ली थी। उसने बड़ी मुश्किल से आग पर क़ाबू पाया।

"पिछले तीन दिन से मेरे साथ यह क्या हो रहा है?" वह बुदबुदाया।

राहुल फ़िलिप्स और अजय डोनाल्ड बहुत ही गहरे दोस्त थे। दोनों ही पढ़ाई में तेज़ होने के साथ खेलों में भी बहुत आगे थे। दोनों की एथलेटिक्स में बड़ी रुचि थी। शहर के एक बड़े स्कूल 'सेंट ज़ेवियर्स' में पढ़ते थे। राहुल हमेशा पढ़ाई और खेलों में फर्स्ट आता तो अजय भी बहुत पीछे नहीं रहता, लेकिन वह सेकंड आता। अजय को किसी भी तरह की कोई परेशानी होती तो राहुल उसे फौरन हल करता।

राहुल के पापा जैकब बैंक मैनेजर और मम्मी एनी फ़िलिप्स एक स्कूल में अंग्रेजी की लेक्चरर थी। जबकि अजय के पापा पोस्टमैन और मां आदर्श गृहिणी।

दोनों बारहवीं में थे। कॉलेज के वार्षिक समारोह की तैयारियां चल रही थीं।

"तू किस ड्रामे में पार्ट लेने की सोच रहा है?" अजय ने पूछा।

"मैं तो देश भक्ति के किसी अच्छे से ड्रामे में पार्ट लूंगा।" राहुल ने कहा।

'तेरे ऊपर तो हमेशा देशभक्ति का ही भूत चढ़ा रहता है। पिछले साल भी तूने मेरा कहा नहीं माना था। इस बार फिर पैट्रिऑटिज़्म।" अजय ने चिढ़ते हुए कहा।

"पैट्रिऑटिज़्म इज़ माई पैशन। यू नो इट।" राहुल ने दोनों हाथ ऊपर की ओर फैलाते हुए मुस्कुराकर कहा।

इतनी देर में रोज़ी भी वहां आ गई। वह इन दोनों की क्लासमेट थी और तीनों की आपस में ख़ूब पटती थी।

"आईए...आईए...मिस रोज़ी फ़र्नांडिस। आप ही की कमी थी। समझाइए इस देशभक्त को। इस बार तो यह रोमांटिक ड्रामे में पार्टिसिपेट कर ले। मेरी तो मानता ही नहीं। शायद आपकी मान जाए।" अजय ने उसकी तरफ़ इशारा करते हुए कहा।

"नो...मैं इस सबके बीच नहीं आने वाली। इट्स ए वेरी पर्सनल मैटर।" रोज़ी ने कहा।

"हां भई, तुम क्यों मेरी बात मानोगी? तुम्हें तो इसी का साथ देना है।" अजय ने हताश होते हुए कहा।

"तुम किस ड्रामे में पार्ट लेने की सोच रहे हो?" रोज़ी ने अजय से पूछा।

"मैंने तो अभी नहीं सोचा है, लेकिन तुम बताओ तुम कौन सा ड्रामा कर रही हो?" अजय ने उल्टे उससे ही सवाल किया।

"आर प्लस जे, माई ऑल टाइम फेवरेट।" रोज़ी ने झूमते हुए कहा।

"मतलब।" अजय ने उलझते हुए पूछा।

"तुम्हें इसका मतलब नहीं पता बुद्धु। रोमियो एंड जूलियट। शेक्सपियर का
ड्रामा और मैं बनूंगी जूलियट।" रोज़ी ने चहचहाते हुए कहा।

"तो मैं भी तुम्हारे साथ यही ड्रामा करुंगा। इसे भी समझाओ। यह भी इसी में हमारा साथ दे।" अजय ने कहा।

"जब यह जूलियट बनेगी, तो मैं रोमियो। तू क्या टिबोल्ट बनेगा?" राहुल ने हंसते हुए कहा।

"अबे मैं तेरा दोस्त हूं। टिबोल्ट क्यों? मैं तो मरक्यूश्यो बनूंगा।" अजय ने राहुल के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।

"नहीं यार मुझे तो शहीद भगत सिंह या शहीद अशफाक़ उल्ला खान जैसे रोल ही अपील करते हैं। तू ही रोमियो बन। मुझे नहीं है कोई शौक़। अब इस टॉपिक पर कोई बात नहीं होगी। चलो, कैंटीन में चलकर कुछ खा पी लिया जाए।" राहुल ने कहा।

तीनों ने कैंटीन में जाकर कोल्ड ड्रिंक और चिप्स ले लिए।

उनका दोस्ताना देखकर उनके परिवारों में भी एक दूसरे से अच्छी जान पहचान हो गई थी। राहुल और रोज़ी एक ही कॉलोनी में रहते थे, जबकि अजय का घर उनसे थोड़ी दूर था।

कॉलेज के एनुअल फंक्शन में सबने जमकर खूब मस्ती की। सबसे आखिर में दिल रोक देने वाली घड़ी आ गई। जब पुरस्कारों की घोषणा होनी थी। सभी के दिलों की धड़कन तेज़ हो गई।

"सबसे पहले बेस्ट ड्रामा 'रोमियो एंड जूलियट' के लिए पूरी टीम मंच पर आ जाए और अपना पुरस्कार ग्रहण कर ले।" एंकरिंग कर रही सिस्टर फ़ारिया की आवाज़ गूंजी।

पूरी टीम ने मंच पर जाकर अपना इनाम लिया।

"बेस्ट फीमेल किरदार के लिए 'रोमियो एंड जूलियट' की जूलियट रोज़ी फर्नांडीस, प्लीज़ कम ऑन द स्टेज।" सिस्टर फ़ारिया की खनखनाती आवाज़ दोबारा इको सिस्टम पर सुनाई दी।

ज़ोरदार तालियों से पूरा हाल गूंज गया।

"अब बारी है बेस्ट मेल कैरेक्टर की। यह हमारे जजेज़ के लिए बहुत मुश्किल भरा फैसला रहा और इसमें दो नाम आए हैं। रोमियो एंड जूलियट के रोमियो, अजय डोनाल्ड और वीर अब्दुल हमीद के कैप्टन हमीद, राहुल फ़िलिप्स के। लेकिन जैसा कि आप लोग जानते ही हैं देशभक्ति हमेशा रोमांस पर भारी पड़ती है, तो फर्स्ट प्राइज़ जाता है राहुल फ़िलिप्स को। इस कड़े मुकाबले में पहली बार निर्णायकों के फैसले पर फर्स्ट रनर अप बनते हैं अजय डोनाल्ड।" सिस्टर फ़ारिया ने पूरे जोश से कहा।

एक बार फिर ज़ोरदार तालियों से हाल गूंज उठा। प्रोग्राम खत्म होने पर तीनों अपने प्राइज़ लेकर बातें करते हुए कॉलेज से बाहर आ गए।

कुछ दिन बाद ही उनके एग्ज़ाम्स शुरु हो गए। तीनों ने खूब मेहनत से पढ़ाई करके अपने एग्ज़ाम्स दिए। आख़िरी पेपर देने के बाद राहुल कॉलेज गेट से बाहर निकला।

रोज़ी ने अपने क्लास से बाहर निकलकर अजय से पूछा "राहुल कहां है?"

"मैंने उसे गेट की तरफ़ जाते हुए देखा था। उसे आवाज़ भी दी लेकिन स्टूडेंट्स के शोर में शायद उसने सुना नहीं।" अजय ने जवाब दिया।

"ज़रा उसे अंदर तो भेजना। देखो कहीं घर ना चला जाए।" रोज़ी ने दोबारा कहा।

"अच्छा अभी बुलाता हूं।" कहकर अजय गेट की तरफ दौड़ा।

वह कुछ ही पल बाद राहुल को लेकर लौटा। अजय अपने कुछ दोस्तों के साथ पेपर डिस्कस करने लगा।

"पेपर देने के बाद तुमने मिलना भी गवारा नहीं किया। इतनी जल्दी क्या है घर जाने की?" रोज़ी ने नाराज़ होते हुए राहुल से पूछा।

"आज अंग्रेजी का पेपर था। तुम्हें तो पता ही है कि यह मम्मी मुझे पढ़ाती हैं। उन्हें पेपर देखने का इंतज़ार होगा कि उनका पढ़ाया हुआ आया या नहीं। इसलिए जल्दी जा रहा था।" राहुल ने सफ़ाई देते हुए कहा।

"तो हम कौन सा तुम्हें पूरी रात यहां रुकने के लिए कह रहे हैं, लेकिन कुछ टाइम तो दे दो।" रोज़ी ने कहा।

"हां...ठीक है बताओ।" राहुल ने लापरवाही से कहा।

"तो चलो कैंटीन तक चलते हैं। अजय हम कैंटीन में हैं, तुम वहीं आ जाना।" रोज़ी ने कहा।

दोनों कैंटीन की ओर चल दिए।

रास्ते में रोज़ी ने कहा "पता है राहुल। मैं काफ़ी दिनों से तुमसे एक बात कहना चाह रही थी, लेकिन समझ नहीं आ रहा कैसे कहूं?"

"जो भी कहना है साफ़-साफ़ और जल्दी कहो। घर पर मम्मी इंतज़ार कर रही होंगी।" राहुल ने फिर उसी लापरवाही से कहा।

"यह तुम हर बात में इतना एटीट्यूड क्यों दिखाते हो?" रोज़ी ने गुस्से से कहा।

"अरे बाबा एटीट्यूड नहीं दिखा रहा हूं। अच्छा अब बोलो भी।" उसने दोनों हाथ जोड़ते हुए कहा।

"मैं तुम्हें पसंद करती हूं राहुल। मुझे तुमसे प्यार हो गया है।" रोज़ी ने राहुल का हाथ अपने हाथ में लेकर उसे चूमते हुए कहा।

"तुम्हें पता है न... मेरी एक महबूबा पहले से ही मेरे दिल में है।" राहुल ने उसकी आंखों में देखते हुए कहा।

"क्या? कौन है वह? मुझे बताया क्यों नहीं अब तक?" रोज़ी ने ताज्जुब से आंखें फाड़कर उसे देखते हुए कहा।

"मेरा वतन।" उसने कुछ पल रुक कर मुस्कुराते हुए कहा।

"तब तो ठीक है। महबूबा वही रखो। मुझे बीवी बना लेना।" रोज़ी ने भी मुस्कुराते हुए कहा।

दोनों कैंटीन के अंदर गए। कुछ देर बाद ही अजय भी वहां आ गया। वह तीनों कोल्ड ड्रिंक्स और पेटीज़ लेकर कैंटीन के बाहर लॉन में बैठ गए।

"अजय आर्मी के फॉर्म्स आ गए हैं। मैं इसी हफ़्ते फॉर्म भर लूंगा तुझे भरना है?" राहुल ने पूछा।

"नहीं यार तू ही भर फॉर्म। घर में आजकल कुछ तंगी चल रही है। वैसे भी मुझे आर्मी में जाने का कोई शौक़ नहीं है। कंपटीशन क्रैक करने के लिए कोचिंग भी लेना होगा। इतने पैसे नहीं है मेरे पास।" अजय ने जवाब दिया।

"अरे यार, तू हर बार पैसों की बात क्यों करता है? मैं हूं ना। अपने साथ ही तेरा भी फॉर्म ले लूंगा। दोनों साथ में तैयारी करेंगे। कुछ परेशानी आएगी तो यह है न जीनियस रोज़ी फर्नांडिस हमारे साथ। इससे हेल्प ले लेंगे।" राहुल ने रोज़ी की तरफ़ इशारा करते हुए कहा।

अगले हफ़्ते राहुल ने अपना और अजय का फॉर्म भरकर पोस्ट कर दिया।

"तुम हमारे इकलौते बेटे हो। क्या सनक सवार है तुम्हारे ऊपर देशभक्ति की। टीचर बन जाओ। आईएएस बन जाओ। टीचर भी तो देशभक्त होता है। वह भी तो देश की सेवा करता है। उसके पढ़ाए बच्चे भी तो अलग-अलग नौकरियों में जाकर देश सेवा ही करते हैं।" एनी ने गर्व से कहा।

"अरे मम्मी, इतनी समझदार होकर भी आप ऐसी बातें कर रही हैं। देश के लिए सीमा पर लड़ते हुए जान देने से बढ़कर भी कोई बात होती है भला?" उसने जोश में भर कर कहा।

"अब इसे कौन समझाए? आप ही कुछ कहिए न जैकब।" उन्होंने राहुल के पापा की तरफ़ इशारा करते हुए कहा।

"सही तो कह रहा है वह। तुम क्यों इतना ज़ोर दे रही हो?" पापा ने राहुल की तरफ़ मुस्कुरा कर देखते हुए कहा।

"हां, आप मेरा साथ क्यों देने लगे? एक मैं ही तो ग़लत हूं। बाकी सब तो जैसे...।" मां की बात अधूरी रह गई।

"अरे छोड़ो भी अब इस बात को। खाना लाओ बड़ी भूख लगी है।" पापा ने उनकी बात काटते हुए कहा।

अब दोनों कंपटीशन की तैयारी में लग गए। दोनों ने बहुत ही बढ़िया पेपर किया। कुछ समय बाद उनका रिज़ल्ट आया। जिसमें राहुल की पांचवी और अजय की बारहवीं रैंक आई।

दोनों ट्रेनिंग के लिए साथ-साथ रवाना हो गए। उनके परिवार उन्हें स्टेशन तक छोड़ने आए। उनके साथ ही रोज़ी की फ़ैमिली भी थी।

धीरे-धीरे कई साल गुज़र गए। इसी बीच अजय के डैडी का हार्ट अटैक से देहांत हो गया। अब राहुल प्रमोशन पाकर कैप्टन हो गया। घर वाले उस पर शादी का दबाव देने लगे।

एक बार जब वह घर आया तो उसकी मम्मी ने कहा "बेटा अब शादी का वक्त आ गया है। तुम शादी कर लो ताकि घर में बहू आ जाए तो हमारा भी घर में दिल लगे। अकेला घर काटने को दौड़ता है।"

"कोई लड़की देखी है आपने? या ऐसे ही....।" राहुल ने कहा।

"लड़की देखने की क्या ज़रूरत है? वह है ना अपनी रोज़ी। पसंद करती है वह तुझे। अब उसका एम ए फाइनल है। बस तू हां बोल।" एनी ने कहा।

"क्या मां, आप भी न बस...।" राहुल ने मुस्कुरा कर कहा।

"अब कुछ नहीं सुनना मुझे। तुम अब पच्चीस बरस के होने जा रहे हो। बात करती हूं मैं उसकी फ़ैमिली से। अगली बार जब तुम आओगे तो मैं तुम्हारी शादी कर दूंगी।" एनी ने अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा।

कुछ दिन घर पर रहकर राहुल वापस चला गया। अब अजय भी कैप्टन हो गया था। दोनों की पोस्टिंग भी साथ में थी। छह महीने बाद राहुल छुट्टी लेकर घर आया।

घर आने से पहले उसने अजय से कहा "तू भी छुट्टी लेकर साथ में चल। अगले हफ़्ते मेरी शादी है यार। तू नहीं होगा तो मज़ा नहीं आएगा।"

"आई एम सॉरी यार। मैं ज़रूर चलता लेकिन इधर बॉर्डर पर टेंशन लगातार बढ़ रही है। तूने तो एक महीने की छुट्टी ले ली। हम दोनों को एक साथ छुट्टी मिल भी नहीं पाएगी। तू जा, इंजॉय कर। मैं बाद में भाभी से मिल लूंगा।" अजय ने मुस्कुरा कर कहा।

"अब तू भी जल्दी से कर ले शादी।" राहुल ने उससे कहा।

"पहले बहन की हो जाए। उसके बाद मैं भी कर लूंगा।" अजय ने कहा।

एक हफ़्ते बाद राहुल और रोज़ी की धूमधाम से शादी हो गई। राहुल उसे पाकर बेहद खुश था तो रोज़ी भी उसके साथ सातवें आसमान पर थी। घर में उसकी खूब आवभगत हो रही थी।

शादी के पन्द्रह दिन बाद अचानक राहुल के पास मैसेज आया "इट्स वेरी अर्जेंट। रिपोर्ट इमिडिएटली एट हेडक्वार्टर विद इन टवेन्टी फ़ोर आवर्स।"

उसने फ़ौरन बैग पैक कर जाने की तैयारी कर ली।

"अरे! अभी तो एक महीना भी पूरा नहीं हुआ। पूरा एक हफ़्ता बाक़ी है।" मां ने कहा।

"अर्जेंट है मां। फ़ौरन जाना है।" उसने जवाब दिया।

"तभी मना करती थी लेकिन तुमने भी रट लगा रखी थी। फौज में जाना है... फौज में जाना है। चैन से भी नहीं बैठने देते मेरे बच्चे को यह फौजी।" एनी ने नाराज़ होते हुए कहा।

"तुम भी न, क्या लेकर बैठ जाती हो हर वक्त। वह जा रहा है। उसे हंसते हुए विदा करो।" पापा ने कहा।

"अपना ख़्याल रखना और हां फोन करना मत भूलना।" रोज़ी ने उसे रुख़सत करते हुए कहा।

बॉर्डर पर टेंशन बहुत ज़्यादा बढ़ गई थी। दुश्मन सेना की तरफ़ से लगातार गोलीबारी हो रही थी। बॉर्डर के पास के सभी गांव खाली कराए जा चुके थे। राहुल ने हेड क्वार्टर पर रिपोर्ट किया। फ़ौरन ही अजय और राहुल को उनकी यूनिट के साथ बॉर्डर पर भेज दिया गया।

राहुल के घर से जाने के तीसरे दिन ही उसके घर मैसेज आया। जिस पर अंग्रेज़ी में लिखा था "देश का यह बेटा बहुत बहादुर था। देशसेवा करते हुए शहीद हो गया।"

यह ख़बर मिलते ही घर में मातम छा गया। मां-बाप का बुरा हाल हो गया। उनका इकलौता बेटा उन्हें छोड़कर चला गया। रोज़ी का भी अपने होशो हवास पर क़ाबू ना रहा। बीस दिन में ही वह विधवा हो गई।

दूसरे दिन पूरे राजकीय सम्मान के साथ राहुल का चर्च के पास वाले कब्रिस्तान में अंतिम संस्कार कर दिया गया। तीनों की मानों दुनिया ही उजड़ गई। घर में हंसी-खुशी की जगह एक अजीब से सन्नाटे ने ले ली। घर को जैसे किसी की नज़र लग गई।

रोज़ी को हर वक्त महसूस होता जैसे राहुल उसके आस-पास ही है। वह एक पल भी उसकी यादों के घेरे से नहीं निकल पा रही थी।

धीरे-धीरे दिन बीतने लगे। दो महीने गुज़र गए। बॉर्डर के हालात भी सामान्य हो गए। अजय छुट्टी लेकर घर आ गया। शाम को वह राहुल के घर आया।

"आओ बेटा बैठो।" एनी ने उसे बैठने का इशारा करते हुए कहा।

"कैसे हैं आप लोग?" अजय ने पूछा।

"बस कट रही है बेटा। राहुल के बिना सब सूना-सूना हो गया है।" एनी ने एक ठंडी सांस छोड़ते हुए कहा।

"मुझे भी बहुत अफ़सोस हुआ। उस वक्त वह मेरे साथ ही था। हम दोनों अपनी अपनी यूनिट के साथ फायरिंग करते हुए आगे बढ़ रहे थे। वह अपनी यूनिट के साथ आगे चल रहा था और मैं पीछे-पीछे। वह काफ़ी आगे निकल गया। मैंने उसे इतना आगे बढ़ने के लिए मना भी किया, लेकिन आपको तो मालूम है वह सुनता तो था ही नहीं। अचानक उसके एक गोली लगी। वह नीचे गिर गया। मैं उसके लिए पानी लेकर दौड़ा कि तभी उसके दूसरी गोली लगी। वह हमें छोड़कर चला गया आंटी... हमेशा के लिए।" अजय ने रुक रुक कर पूरी बात बताई।

उसके साथ ही घर के सभी लोगों की आंखों में आंसू आ गये।

कुछ देर रुक कर उसने दोबारा बोलना शुरू किया "लेकिन वह बहुत बहादुर था। गोली लगने के बाद भी वह पीछे नहीं मुड़ा आगे ही बढ़ता गया। दोनों गोलियां उसके सीने पर लगीं... बहुत बहादुर था वह।"

अजय फफक कर रोने लगा।

"हमने अपने जज़्बातों पर क़ाबू पाना सीख लिया है बेटा। शायद होनी को यही मंजूर था। सब्र करो। मैं रोज़ी से भी यही कहता हूं।" पापा ने कहा।

"घर पर मम्मी कैसी हैं?" एनी ने माहौल को हल्का करने के लिए कुछ देर बाद पूछा।

"मम्मी की तबीयत ठीक नहीं रहती। पापा के बाद से वह अकेली हो गई हैं। बहन की शादी के बाद और भी अकेली हो जाएंगी।" अजय ने कहा।

"तो अब तुम भी कर लो शादी।" एनी ने कहा।

"हां, मैं बताना ही भूल गया। तीन दिन बाद बहन की शादी है। उसके बाद मैं भी कर लूंगा। आप सब लोग आइएगा शादी में।" उसने अपने बैग से कार्ड निकाल कर टेबल पर रखते हुए कहा।

इतने में रोज़ी चाय लेकर आ गई।

"कितने दिन के लिए आए हो?" रोज़ी ने उससे पूछा।

"दो महीने की छुट्टी लेकर आया हूं। बीच में बुलावा आ गया तो जाना भी पड़ सकता है।" उसने रोज़ी की तरफ़ देखते हुए जवाब दिया।

"इतने दिन रुके हो तो बीच-बीच में आते रहना।" एनी ने उससे कहा।

सभी लोग चाय पीने के दौरान बातें करते रहे। उसके बाद अजय विदा लेकर चला गया।

"बेटा रोज़ी, तुमसे एक बात पूछूं।" जैकब ने कहा।

"जी पूछिए।" रोज़ी ने नरमी से कहा।

"तुम्हें अजय कैसा लगता है?" जैकब ने सवाल किया।

"मतलब।" रोज़ी ने पूछा।

"मतलब यह बेटा, अभी तुम्हारे सामने पहाड़ सी ज़िंदगी पड़ी है। अकेले कैसे गुज़ारोगी। हम भी कब तक ज़िंदा रहेंगे। अगर तुम कहो तो अजय की मम्मी से तुम्हारे लिए बात की जाए।" जैकब ने कहा।

रोज़ी बिना जवाब दिए अपना सिर झुका कर वहां से चली गई।

जैकब ने रोज़ी के पापा-मम्मी से उसकी अजय के साथ शादी की रज़ामंदी ले ली। तीन दिन बाद सभी लोग उसकी बहन की शादी में शामिल हुए। शादी वाले दिन ही एनी और जैकब ने रोज़ी की अजय के साथ शादी की बात भी उसकी मम्मी से कह दी।

तीन-चार दिन बाद अजय, राहुल के घर आया।

थोड़ी देर बातचीत के बाद एनी ने पूछा "तुम्हारी और रोज़ी की शादी के बारे में तुम्हारी मम्मी की क्या राय है?"

"जो आपकी है। मम्मी कोई आपसे अलग थोड़ी हैं।" उसने मुस्कुराकर जवाब दिया। फिर कुछ पल रुक कर पूछा "आपने रोज़ी से तो पूछ लिया है न, वह तो तैयार है?"

"वह हमारी प्यारी बेटी है। जैसा हम कहेंगे, वह वैसा ही करेगी।" जैकब ने फ़ख़्र से कहा।

"लेकिन तुमसे एक बात कहनी है। हम कोई बात छुपाना नहीं चाहते। शी इज़ प्रेगनेंट फॉर टू मंथ्स।" एनी ने कहा।

यह बात सुनकर अजय कुछ देर ख़ामोश बैठा रहा।

"ओके, आई एम रेडी।" कुछ देर सोचने के बाद उसने कहा।

उसका जवाब सुनकर जैकब और एनी खुश हो गए।

"अच्छा अब मैं चलता हूं। आप लोग शादी की तारीख़ तय करके बताइए।" कहकर वह तेज़ी से उठ कर चल दिया।

पन्द्रह दिन बाद चर्च में एक सादे समारोह में अजय और रोज़ी की शादी हो गई। अजय उसे विदा कराकर अपने घर ले आया।

घर आने पर अचानक अजय की मम्मी को सांस लेने में परेशानी होने लगी। उनकी तबीयत ख़राब हो गई।

"तुम यहीं रुको। मैं अभी मम्मी को हॉस्पिटल से दिखा कर आता हूं।" अजय ने कहा।

वह कार से मम्मी को लेकर हॉस्पिटल चला गया। तबीयत ज़्यादा बिगड़ने पर उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट कर दिया। रोज़ी अपने रूम में आ गई। वहां उसकी नज़र दीवार पर पड़ी। जहां अजय और राहुल की दसवीं क्लास की तस्वीर टंगी थी। राहुल, अजय के कंधे पर हाथ रखे हुए था। दोनों ही मुस्कुरा रहे थे। उसे महसूस हुआ कि राहुल तस्वीर में उसे कुछ कहने की कोशिश कर रहा था।

मौसम अचानक रहस्यमयी ढंग से बदल गया। गरज के साथ बारिश होने लगी। तेज़ हवा चलने लगी और पंखे से भी अजीब सी आवाज़ आने लगी। कमरे की खिड़कियां भी तेज़ हवा की वजह से आवाज़ें करने लगीं। अचानक अलमारी के ऊपर से काले कपड़े की एक छोटी गठरी उसके सामने गिरी। उसने गठरी को खोल कर देखा। उसमें राहुल और अजय के बहुत सारे फोटो के साथ एक डायरी भी थी। उसने डायरी खोली। पहले पेज पर काले मोटे स्केच पेन से लिखा था 'ब्लैक चैप्टर'।

उसने अगला पेज पलटा। उस पर तारीख़ पड़ी थी
7 जनवरी 2008: आज मैं बहुत खुश हूं। उसे पहली बार तकलीफ़ में देखकर। आज उसका पैर टूट गया।

यह देखते ही रोज़ी का चेहरा पीला पड़ गया।

"यह तो आठवीं क्लास की बात है। जब राहुल के पैर में फ्रैक्चर हो गया था।" उसने सोचा।

उसने तेज़ी से एक-दो पेज पलटे।

तारीख़ 18 जून 2010: आज हाईस्कूल का रिज़ल्ट आया। वह मुझसे पांच नंबर ज़्यादा लेकर आया। मैं बहुत गुस्से में हूं आज मैंने पूरा दिन बहुत मुश्किल से गुज़ारा।

कुछ पेज बाद-
20 जनवरी 2012: आज एनुअल फंक्शन में भी वह मुझसे बाज़ी मार ले गया। मैं फिर सेकण्ड रह गया। आज रोज़ी के साथ उसका स्टेज शेयर करना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं आया।

फिर अगले पेज पर-
27 अप्रैल 2012: आज मेरा मूड बहुत ख़राब है। आज हमारे एग्ज़ाम्स ख़त्म हुए। रोज़ी ने उसे प्रपोज़ किया। उस पगली बेवकूफ़ को यह नहीं पता कि मैं उसे कितना पसंद करता हूं। मेरा दिल चाह रहा है कि मैं राहुल को गोली मार दूं।

फिर आगे-
4 मई 2012: आज फिर उसने मुझ पर एहसान किया। मेरा आर्मी का फॉर्म उसने अपने पैसों से भरकर पोस्ट किया। वह मुझे नीचा दिखाने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ता। अब मेरी कोचिंग की फ़ीस भी वही भरेगा। मैं उसका कोई अहसान नहीं लेना चाहता।

रोज़ी तेज़ी से डायरी के पेज पलटती जा रही थी। उसके चेहरे पर नफ़रत और गुस्से के भाव बढ़ते जा रहे थे।

तारीख़ 22 जून 2012: आज हमारा इंटर का रिज़ल्ट आया। वह फिर मुझसे आगे निकल गया। उसकी पांचों सब्जेक्ट में डिस्टिंक्शन आई और मुझे सिर्फ चार में। उसके मुझसे पच्चीस नंबर ज़्यादा आए। मैं बहुत गुस्से में हूं।

22 फरवरी 2013: आज हमारा कंपटीशन का रिजल्ट आया। उसे पांचवी रैंक मिली और मुझे बारहवीं। मैं इतनी मेहनत करता हूं लेकिन वह हमेशा मुझसे आगे रहता है। मेरा गुस्सा अब नफ़रत में बदलता जा रहा है।

कुछ पेज बाद-
22 सितंबर 2017: आज उसका प्रमोशन हो गया। वह कैप्टन बन गया। एक बार फिर उसने मुझे हरा दिया। मैं कैंप में हूं। मुझे उसे देखकर बेहद नफ़रत हो रही है।

06 अगस्त 2018: आज मुझे थोड़ी खुशी मिली। आज सीओ साहब ने उसकी डांट लगाई। वह कल देर रात नो मैंस लैंड में जाकर दुश्मन पर फायरिंग कर आया।

04 जनवरी 2019: आज मुझे ऐसा महसूस हो रहा है जैसे मेरी पूरी दुनिया लुट गई। आज उसकी रोज़ी के साथ शादी है। आज उसने मुझे पूरा बर्बाद कर दिया, लेकिन मैं उससे इसका बदला लेकर ही रहूंगा।

21 जनवरी 2019: आहहहह!... आखिरकार आज मुझे सुकून मिल ही गया। आज वह इस दुनिया में नहीं रहा। आज मैं बहुत खुश हूं। मेरा बदला पूरा हो गया।

18 अप्रैल 2019: आज मैं रोज़ी को अपना बना लूंगा। अब मैं बिल्कुल सुकून से हूं। आज मेरी ज़िंदगी का 'ब्लैक चैप्टर' हमेशा के लिए बंद हो गया।

पूरी डायरी पढ़ने के बाद रोज़ी की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे? एक-एक पल उसकी नज़रों के सामने किसी फ़िल्म की तरह घूम रहा था। वह एकटक राहुल के फोटो को देख रही थी। उसकी आंखों से लगातार आंसू जारी थे।

वह निढाल होकर बिस्तर पर लेट गई। बाहर का मौसम भी अब तक ठीक हो गया था। थोड़ी देर बाद अजय घर वापस आ गया।

"रोज़ी...रोज़ी।" वह आवाज़ देता हुआ कमरे में आया।

"मैं कब से तुम्हें आवाज़ दे रहा हूं और तुम हो कि...।" कमरे में घुसते ही उसकी आवाज़ गले में ही रह गई।

रोज़ी के हाथ में अपनी डायरी देखकर वह भौंचक्का रह गया।

"यह.. यह तुम्हारे पास कैसे?" उसने हकलाते हुए पूछा।

"अजय... तुमने ऐसा क्यों किया? आख़िर क्यों...?" रोज़ी ने डायरी अजय की तरफ फेंकते हुए चीख़ कर कहा।

वह कुछ देर ख़ामोश खड़ा उसे देखता रहा। फिर उसने बोलना शुरू किया "नफ़रत हो गई थी मुझे उससे। बेइंतहा नफ़रत करता था मैं उससे। उसे हर वह चीज़ मिल जाती थी, जो वह चाहता था। मैं बर्दाश्त करता रहा। लेकिन... लेकिन उसने तुमसे शादी कर ली। मैं तुमसे बहुत प्यार करता था रोज़ी। तुम्हारी उससे शादी मुझसे बर्दाश्त नहीं हुई।"

"क्या किया था तुमने उसके साथ? बोलो क्या बदला लिया था तुमने?" रोज़ी ने अपना आपा खोकर उसका कॉलर पकड़कर खींचते हुए कहा।

अब झूठ बोलने की उसके पास कोई वजह नहीं थी।

"बॉर्डर पर वह अपनी यूनिट के साथ आगे बढ़ रहा था। मैं उसके पीछे था। दोनों तरफ़ से गोलियों की बौछार हो रही थी। मुझे इससे अच्छा मौक़ा नहीं मिलने वाला था। मैंने ही उसकी पीठ पर दो गोलियां मारीं।" अजय ने अपना माथा पकड़ कर ज़मीन पर बैठते हुए बताया।

"मुझे तो पहले ही समझ जाना चाहिए था, जब तुमने हमसे झूठ बोला कि दुश्मन की गोलियां उसके सीने में लगीं। ऐसा हुआ ही नहीं था। हुआ तो यह था कि उसने अपने जिगरी दोस्त की गोलियां पीठ पर खाई थीं। ऐसा दोस्त जिस पर वह अपनी जान छिड़कता था। तुमने ब्लैक चैप्टर नहीं अपनी जिंदगी का गोल्डन चैप्टर अपने हाथों से ख़त्म कर दिया। ब्लैक चैप्टर तो तुम थे उसकी जिंदगी का।" रोज़ी ने चीख़ते हुए कहा।

वह ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी।

"खुशियां तो मेरे नसीब में वैसे भी कम ही थीं।" अजय ने कहा।

"खुशियां तो तुम्हारे नसीब में थीं अजय, लेकिन तुमने उनसे खुश होने की बजाय राहुल की खुशियां छीनने की कोशिश की। नफ़रत करती हूं मैं तुमसे। इतनी नफ़रत जितनी तुमने उससे नहीं की होगी।" रोज़ी ने गुस्से से कहा।

वह तेज़ी से जमीन से उठा।

"तुम मुझे मार डालो... मार डालो मुझे। मैं तुम्हारी नफ़रत लेकर नहीं जी सकता।" उसने दराज़ खोलकर अपना रिवाल्वर निकालकर रोज़ी के हाथ में देते हुए कहा।

"तुम्हें मार कर मुझे अपने हाथ गंदे नहीं करने हैं। तुम तो मेरी नफ़रत के क़ाबिल भी नहीं हो। जिसने तुम्हें इतना प्यार दिया। हर पल तुम्हारा ख़्याल रखा। जब तुम उसी के नहीं हुए। तो मेरे क्या होगे?" रोज़ी ने नफ़रत भरे लहजे में कहा।

"मुझे ज़िंदा रहने का कोई हक़ नहीं। मैं तो तुमसे माफ़ी मांगने के लायक भी नहीं रहा, लेकिन हो सके तो मुझे माफ़ कर देना रोज़ी। राहुल ने तो मुझे माफ़ नहीं किया, शायद इसीलिए यहां आने से पहले मुझे कई रात डरावने ख़्वाब भी दिखाई दिए।" उसने कुछ पल रुक कर कहा "तुमने इस डायरी में एक बात नोट की रोज़ी। जब भी वह खुश होता तो वह दिन फ्राइडे का होता। मैं जब भी खुश होता वह दिन मंडे का होता और आज मंडे नहीं है रोज़ी। आज 19 अप्रैल है, फ्राइडे... उसके खुश होने का दिन।"

रोज़ी की नज़र कैलेंडर पर गई। अचानक 'धांय' की आवाज़ हुई और अजय के सिर से खून का फ़व्वारा छूट गया।

रोज़ी को महसूस हुआ जैसे फोटो से राहुल एक धुएं की लकीर बन कर निकल गया। अजय की मां का भी रात में सांस रुक जाने से देहांत हो गया। दूसरे दिन उस घर से दो जनाज़े उठे।

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(समाप्त)

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