rishta pyar ka books and stories free download online pdf in Hindi

रिश्ता प्यार का

सिम्मी सिसकती हुई अपना सामान पैक करते हुए बीच-बीच मे सुशांत को देख भी रही थी,इस आस में की अभी सुशांत उठकर उसके हाथ पकड़कर उसे अपने मायके जाने से रोक लेगा।
लेकिन सुशांत तो शराब के नशे में कब का गहरी नींद में सो चुका था,उसे खुद भी पता नही था।
कुछ देर पहले उठा भी था तो उसने सिम्मी को बेहोशी की हालत में ही दो चार गालियां देते हुए ' जा चली जा यहां से वरना मेरे से बुरा कोई नही होगा' कहकर फिर सो गया।
सिम्मी अपना सारा सामान पैक करके अपने मायके के लिये निकल चुकी थी। इधर सुशांत इन सब बातों से बेखबर सोया ही रहा। जब उसकी नींद खुली तो सिम्मी को न देखकर इक पल को उदास जरूर हुआ लेकिन अगले ही पल खुशी से झूम उठा ये सोच कर के अब उसे आवारागर्दी करने और उसकी माशूका के साथ घूमने फिरने,रंगरेलियां मनाने से कोई नही रोक सकता है।
सुशांत की शादी भले सिम्मी से हुई थी लेकिन उसने उसे हमेशा एक पति के प्यार से वंचित ही रखा। शादी को छह महीने भी नही हुए थे,अक्सर दोनो में लड़ाइयां होती रहती थी।कभी कभी सुशांत बड़ी बेरहमी से सिम्मी की पिटाई भी कर देता और पूरी रात घर से बाहर अपनी प्रेमिका के साथ जाकर किसी फाइव स्टार होटलों में रंगरेलियां मनाता। सिम्मी इन सब से तंग आकर हमेशा के लिये उसे छोड़ने का फैसला ले चुकी थी।उसकी बैंक में अच्छी खासी जॉब भी थी लेकिन शादी के कुछ दिनों बाद ही पति के कहने पर उसने जॉब भी छोड़ दिया था।
मायके में माँ-बाप का बोझ न बने ये सोचकर उसने घर पर ही छोटे छोटे बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया।

एक दिन 30-32 साल का एक युवक अपने बच्चे को लेकर सिम्मी के घर पर आया और कहने लगा- " मैंम ये मेरा छोटा सा बेटा है इसे भी पढ़ा दीजिये। ये स्कूल से आने के बाद दिन भर घर पर बदमाशी ही करता है, बड़ा नटखट है।
मैं आप ही के कॉलोनी में गुप्ता जी के दुकान के जस्ट बगल वाले मकान में रहता हूँ,मैं यहाँ नया हूँ, IT सेक्टर में जॉब करता हूँ।

सिम्मी उस युवक को देख कर बस देखती ही रह गई,उसे उसकी बातों से कुछ पुरानी भूली बिसरी बातें याद आ रही थी लेकिन वो बहुत देर सोचने के बाद भी उसे अच्छी तरह से पहचान नही पाई।
उसके जाने के बाद उसने जब उस बच्चे से उसका नाम पूछा तो उस बच्चे ने अपनी तोतली भाषा में जवाब दिया- " मेला नाम लाज है "
सिम्मी ने फिर पूछा - " क्या कहा बाबू तुम्हारा नाम लाज है ...?" राज..??
उस बच्चे ने हाँ में सिर हिलाया।
सिम्मी ने जब उसकी कॉपी खोलकर देखा तो उसमें उस बच्चे का नाम राज सहगल लिखा था।

सिम्मी उस बच्चे के कॉपी में राज सहगल नाम पढ़ने के बाद उस युवक को याद करते हए बहुत कुछ सोचने लगी। उसे उसके स्कूल के दिनों की याद आने लगी।

स्कूल के वो पुराने दिन और उन दिनों में हमेशा स्कूल में उसके साथ दिखने वाला वो वीर सहगल...!!
वीर था तो उससे एक क्लास जूनियर लेकिन दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती थी। दोनो सुबह भी जल्दी स्कूल आ कर एक दूसरे के साथ मिलकर कही बैठे बाते करते रहते। लंच के समय में एक साथ ही लंच करते। छुटियाँ होती तो दोनों एक साथ ही घर जाते।
पूरे स्कूल में उन दोनों की दोस्ती की चर्चा होने लगी थी।
लेकिन कब दोनो की दोस्ती प्यार में बदल गई कुछ पता ही नही चला। यहां तक कि सिम्मी और वीर को भी अपने दोस्ती को प्यार में बदलते हुए का पता नही चल पाया और दोनो एक दूसरे से बेहद प्यार करने लगे थे।
यही नही दोनो ने शादी करके एक दूसरे के साथ ही जीवन बिताने की भी कसम खा चुके थे। शादी के बाद बच्चे के नाम से लेकर उसकी पढ़ाई लिखाई से लेकर हर चीज के बारे मे वे दोनों अपनी शादी होने से पहले स्कूल के दिनों में ही सोच लिये थे। एक ही जगह रहने के कारण उन दोनों की फैमिली में भी अच्छी दोस्ती थी जिससे परिवार वालों को भी इनकी शादी से कोई एतराज नही था।
मगर किसी कारण से दोनों के फैमिली में जितनी ही अच्छी दोस्ती थी उतनी ही दुश्मनी हो गई। कुछ दिनों बाद सिम्मी का परिवार उस शहर को छोड़ कर हमेशा के लिये दूसरे शहर में शिफ्ट हो गया था। इस तरह सिम्मी और वीर का प्यार भी हमेशा के लिये खत्म हो गया।

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