इस भाग में श्रीभगवान ज्ञान की महिमा का वर्णन करते हैं और बताते हैं कि परम ज्ञान को जानने से मुनिजन संसार से मुक्त होकर सिद्धि को प्राप्त होते हैं। इस ज्ञान के आधार पर जीव पुनः जन्म नहीं लेते और प्रलय में भी व्याकुल नहीं होते। भगवान अर्जुन को समझाते हैं कि उनकी मूल प्रकृति सभी जीवों की उत्पत्ति का स्रोत है, और वे सभी प्राणियों के लिए पिता के समान हैं। भगवान तीन गुणों—सत्त्व, रजस, और तामस—का वर्णन करते हैं। सत्त्वगुण प्रकाशमान और सुख का अनुभव कराता है, रजोगुण कामना और कर्म से संबंधित है, जबकि तमोगुण अज्ञान और प्रमाद को जन्म देता है। इन गुणों के प्रभाव से जीवात्मा शरीर में बंधी रहती है। अंत में, सत्त्वगुण सुख में ले जाता है, रजोगुण कर्म में, और तमोगुण ज्ञान को छुपाकर प्रमाद में डालता है। श्रीमद् भगवद् गीता - अध्याय १४ MB (Official) द्वारा हिंदी आध्यात्मिक कथा 2 2.8k Downloads 15k Views Writen by MB (Official) Category आध्यात्मिक कथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण Shrimad Bhagwat geeta Adhyay 14 Novels श्रीमद् भगवद् गीता (दोनों सेनाओं के प्रधान—प्रधान शूरवीरों की गणना और सामर्थ्य का कथन) धृतराष्ट्र उवाच धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः । मामकाः पाण्... More Likes This सुपर फ्रेंडशिप - 1 द्वारा Chaitanya Shelke छावां - भाग 1 द्वारा Little Angle मुक्त - भाग 1 द्वारा Neeraj Sharma महाभारत की कहानी - भाग 1 द्वारा Ashoke Ghosh बुजुर्गो का आशिष - 3 द्वारा Ashish स्पंदन - 1 द्वारा Madhavi Marathe भगवान् के चौबीस अवतारों की कथा -8 द्वारा Renu अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी