कहानी "प्रेमा" में लाला बदरीप्रसाद और मुंशी धनपतराय के परिवारों के बीच दो बच्चों के विवाह की बातचीत चल रही थी। मुंशी धनपतराय की मृत्यु के बाद, उनकी इच्छा के अनुसार अमृतराय और प्रेमा का विवाह होना तय था। हालांकि, अमृतराय ने वकालत कर ली थी और अंग्रेजी संस्कृति को अपनाया था, जिससे उनकी प्रतिष्ठा प्रभावित हुई। बदरीप्रसाद, जो पक्के हिंदू थे, प्रेमा के लिए एक योग्य पति की तलाश में थे। प्रेमा की सुंदरता और गुणों के कारण उसे सभी चाहते थे, लेकिन पुराने हिन्दू लोग अमृतराय के ईसाई होने के कारण इस विवाह के खिलाफ थे। पाँच सालों की खींचतान के बाद, विवाह की तैयारियाँ शुरू हुईं, लेकिन अचानक खबर आई कि अमृतराय ईसाई हो गया है और किसी मेम से शादी कर रहा है। यह समाचार बदरीप्रसाद के लिए एक बड़ा धक्का था, जिससे वे बेहोश हो गए। इस स्थिति ने पूरे परिवार में हड़कंप मचा दिया और सभी लोग इस खबर को लेकर चिंतित हो गए। प्रेमा की मां, जो बीमार थी, जल्द से जल्द शादी कराने की जिद कर रही थी, लेकिन यह नई स्थिति सब कुछ बदल देती है।
प्रेमा - 2
Munshi Premchand
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
Four Stars
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विवरण
प्रेमा प्रेमचंद का पहला उपन्यास था जो १९०७ में हिन्दी में प्रकाशित हुआ था। अध्याय 2 विषयसार - जलन बुरी बाला है
संध्या का समय हैए डूबने वाले सूर्य की सुनहरी किरणें रंगीन शीशो की आड़ सेए एक अंग्रेजी ढ़ंग पर सजे हुए कमरे में झॉँक रही हैं जिससे सारा कमरा रंगीन हो रहा...
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