कहानी "उड़ान" में वीनू, एक युवा एयर-होस्टेस, बंबई से दिल्ली लौट रही है। उसे इस यात्रा के दौरान घर की याद आती है, लेकिन घर की स्थिति और उसके परिवार की चिंताओं को लेकर वह उदास महसूस करती है। उसके पिता उसे एयर-होस्टेस बनने पर गर्व महसूस कराते हैं, लेकिन वीनू को अपने घर की दयनीय हालत और उसके बीते समय की यादें परेशान करती हैं। वह अपने पुराने जीवन के बारे में सोचती है, जहां उसे अपने परिवार और दोस्तों को छोड़कर अकेले बंबई में रहने की मजबूरी झेलनी पड़ी। वीनू अपनी सहेली नीलम के साथ अपनी स्थिति पर विचार करती है और भाग्य के बारे में संदेह व्यक्त करती है। कहानी में वीनू का संघर्ष, उसके भीतर की उथल-पुथल और उसकी पहचान बनाने की यात्रा का चित्रण किया गया है। वह अपने अतीत और वर्तमान के बीच के द्वंद्व से जूझती है, जिससे उसकी मानसिक स्थिति और भी जटिल हो जाती है। अंत में, वह एक लड़के के द्वारा घूरने का अनुभव करती है, जो उसके लिए एक नई चुनौती हो सकती है। कुल मिलाकर, "उड़ान" वीनू की आत्म-खोज, अपने परिवार और समाज से जुड़ाव की एक भावनात्मक कहानी है। उड़ान Tejendra sharma द्वारा हिंदी लघुकथा 4.2k 1.9k Downloads 7.6k Views Writen by Tejendra sharma Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण गाड़ी फिर रुक गयी है। बाहर स्टेशन नहीं दीख रहा। अंधेरा कुछ अधिक ही है-बाहर भी और भीतर भी। कुछ भी सुझायी नहीं दे रहा। राजू, नीलम, पिताजी, माँ, बांद्रा, चाँदनी चौक, दिल्ली, बंबई -सब एक फ़िल्म-से बन गये हैं। गाड़ी के अंधेरे में यह फिल्म सुचारु रूप से जारी है। अंधेरे में भी वह लड़का मुझे बिल्लीनुमा ऑंखों से घूर रह है। बिलकुल झपटने को तैयार है अपने शिकार पर। एयरलाइन में ऐसी बहुत-सी ऑंखों से मैं परिचित हूँ...जो कि मौका मिलने ही अपने शिकार को शिकंजे में जकड़ लेती हैं। मैं भी उनके लिए एक नया बकरा ही थी। कोई मेरी ऑंखों की प्रशंसा करता, तो कोई किसी-न-किसी बहाने छूने की चेष्टा करता। मैं सोचती, कितना कृत्रिम है यहाँ का वातावरण! किसी में कहीं भी सहजता नहीं। बनावट-ही-बनावट है। इतनी ठसाठस भरी हुई गाड़ी में अकेलापन मुझे बुरी तरह से कचोट रहा है। कभी भीड़ से भरी बंबई नगरी में भी अकेलापन मुझे यूँ ही जकड़ लेता था। More Likes This अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan बड़े बॉस की बिदाई द्वारा Devendra Kumar Age Doesn't Matter in Love - 23 द्वारा Rubina Bagawan ब्रह्मचर्य की अग्निपरीक्षा - 1 द्वारा Bikash parajuli अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी