कहानी "जलतरंग" एक व्यक्ति के मन की गहराईयों में उतरती है, जो घोर उदासी और अस्तित्व के सवालों से जूझ रहा है। वह समय की कठिनाइयों और अपने टूटते रिश्तों के बीच खुद को खोया हुआ महसूस करता है। अपने पिता और माँ के प्रति उसके भावनात्मक संघर्ष को दर्शाते हुए, वह देखता है कि कैसे अविश्वास और टूटे रिश्ते उसे अकेला कर देते हैं। वह अपने अतीत की यादों में खो जाता है, जब उसके पिता के शब्द और माँ की चुभती नज़रें उसे प्रभावित करती हैं। वह अपने जीवन की दिशा खो चुका है और उसे समझ नहीं आता कि वह अपने सपनों को कैसे पूरा कर सकेगा। अंततः, वह इन जटिलताओं और भावनाओं के बोझ को लेकर दिल्ली की ओर बढ़ता है, जहां वह बेशकीमती रिश्तों की सड़ी लाश को अपने साथ लेकर चलता है। कहानी में गहरी भावनाएँ, सवाल और अस्तित्व की खोज दिखाई देती हैं, जो पाठक को सोचने पर मजबूर करती हैं। जलतरंग Pratibha द्वारा हिंदी लघुकथा 2.1k 2k Downloads 10.6k Views Writen by Pratibha Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण जलतरंग जब कोई अपने को समज नहीं पाता तब मन मै जो विचार का वृन्द खड़ा होता है, वह खूबी से समजाती हुई अद्भूत साहित्यिक रचना, जलतरंग. पढ़िए, पूरे रस के साथ. More Likes This यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan बड़े बॉस की बिदाई द्वारा Devendra Kumar Age Doesn't Matter in Love - 23 द्वारा Rubina Bagawan ब्रह्मचर्य की अग्निपरीक्षा - 1 द्वारा Bikash parajuli Trupti - 1 द्वारा sach tar अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी