कहानी "कर्मभूमि" के इस अध्याय में सुखदा एक जेल में समय बिता रही है। वह जेल के जनाने वार्ड में एक वृक्ष के नीचे खड़ी होकर बाहर के संसार को देखती है। उसे बाहर की दुनिया की झलक पाने के लिए घंटों वहीं खड़े रहना पड़ता है। सुखदा अपने बच्चों और अपने जीवन के बारे में चिंतन करती है, और उसे महसूस होता है कि उसकी भावनाएं पहले से बदल गई हैं। एक दिन लेडी मेट'न उसे बताती है कि उसके ससुर उससे मिलने आए हैं। सुखदा जल्दी से अपने बच्चे मुन्ने के साथ मिलती है और मुलाकात के लिए बाहर निकलती है। जब वह अपने ससुर लाला समरकान्त से मिलती है, तो वह खुशी से भर जाती है। समरकान्त ने उसके लिए मिठाई, खिलौने और कपड़े लाए हैं। सुखदा उनके चरणों पर गिर पड़ती है और आनंद के आंसू बहाने लगती है, यह दर्शाते हुए कि वह विपत्ति के बावजूद खुशी महसूस कर रही है। समरकान्त सुखदा से कहते हैं कि यदि उसे कोई परेशानी है, तो वह मेट'न साहब से बात कर सकती है, और वह यह भी बताते हैं कि मुन्ना अब शाम को बाहर खेला करेगा। कर्मभूमि अध्याय 5 Munshi Premchand द्वारा हिंदी फिक्शन कहानी 5.3k 4.1k Downloads 16.4k Views Writen by Munshi Premchand Category फिक्शन कहानी पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण कर्मभूमि प्रेमचन्द का राजनीतिक उपन्यास है जो पहली बार १९३२ में प्रकाशित हुआ। प्रेमचन्द की रचना कौशल इस तथ्य में है कि उन्होंने इन समस्याओं का चित्रण सत्यानुभूति से प्रेरित होकर किया है कि उपन्यास पढ़ते समय तत्कालीन राष्ट्रीय सत्याग्रह आन्दोलन पाठक की आँखों के समक्ष सजीव हो जाता हैं। छात्रों तथा घटनाओं की बहुलता के बावजूद उपन्यास न कहीं बोझिल होता है न कहीं नीरस। प्रेमचन्द हर पात्र और घटना की डोर अपने हाथ में रखते हैं इसलिए कहीं शिथिलता नहीं आने देते। आदर्शोन्मुख यथार्थवाद से ओतप्रोत कर्मभूमि उपन्यास प्रेमचन्द की एक प्रौढ़ रचना है जो हर तरह से प्रभावशाली बन पड़ी है। Novels कर्मभूमि कर्मभूमि प्रेमचन्द का राजनीतिक उपन्यास है जो पहली बार १९३२ में प्रकाशित हुआ। अमरकांत बनारस के रईस समरकांत के पुत्र हैं। वे विद्यार्थी- जीवन से ही... More Likes This DARK RVENGE OF BODYGARD - 1 द्वारा Anipayadav वाह साहब ! - 1 द्वारा Yogesh patil मेनका - भाग 1 द्वारा Raj Phulware बेवफाई की सजा - 1 द्वारा S Sinha RAJA KI AATMA - 1 द्वारा NOMAN क्लियोपेट्रा और मार्क एंथनी द्वारा इशरत हिदायत ख़ान राख की शपथ: पुनर्जन्मी राक्षसी - पाठ 1 द्वारा Arianshika अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी