मधु अपने पति श्याम की नौकरी मिलने से अत्यंत खुश थी। श्याम, जो एक होनहार छात्र था, ने कई प्रतियोगिता परीक्षाओं में सफलता हासिल की, लेकिन साक्षात्कार में असफल रहा। एक दिन उसे एक प्लेसमेंट सर्विस का विज्ञापन मिला, जिसके लिए उसे पंजीकरण के लिए पांच हजार रुपये की जरूरत थी। मधु और श्याम ने अपने पिता से मदद मांगी, जिन्होंने उनकी मां का एकमूल्य जेवर बेचकर पैसे जुटाए। श्याम ने नौकरी की तैयारी के लिए मधु से सामानों से भरा बड़ा बैग लिया। मधु ने अपने पति को विदाई देते समय सोचा कि वह अपनी पहली तनख्वाह से अपने परिवार के लिए उपहार खरीदेगी। उसे अपने पति के जाने का कोई दुख नहीं था, क्योंकि उसे विश्वास था कि श्याम नौकरी कर घर लौटेगा। नौकरी का दंश Dr Pradeep Gupta द्वारा हिंदी लघुकथा 2 1.1k Downloads 5.2k Views Writen by Dr Pradeep Gupta Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण This is a story More Likes This नेताजी की गुप्त फाइलें - भाग 1 द्वारा Shailesh verma पायल की खामोशी द्वारा Rishabh Sharma सगाई की अंगूठी द्वारा S Sinha क्या यही है पहला प्यार? भाग -2 द्वारा anmol sushil काली किताब - भाग 1 द्वारा Shailesh verma Silent Desires - 1 द्वारा Vishal Saini IIT Roorkee (अजब प्रेम की गज़ब कहानी) - 2 द्वारा Akshay Tiwari अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी