यह कहानी सुबोध और माया के जीवन की है, जिसमें सुबोध आई.ए.एस. की परीक्षा की तैयारी कर रहा है। माया उसके लिए घर के कामकाज में व्यस्त रहती है और उसे सपोर्ट करती है। सुबोध का सपना है कि वह आई.ए.एस. अधिकारी बनेगा और माया को रानी की तरह जीवन जीने का आश्वासन देता है। माया, जो केवल नौंवी पास है, अपनी समर्पित भूमिका निभाती है, और सुबोध के प्रति उसकी भक्ति उसे एक आदर्श पत्नी बनाती है। कहानी में माया की मेहनत और सुबोध के सपनों के लिए उसकी पूजा-अर्चना का जिक्र है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि माया का सुख सुबोध की सफलता में निहित है। दोनों के बीच का प्यार और समर्पण कहानी का मुख्य आकर्षण है। धूल के गुबार में एक एहसास Pramila Verma द्वारा हिंदी लघुकथा 6.4k 1.5k Downloads 6.9k Views Writen by Pramila Verma Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण संवेदनाओं से भरी एक मार्मिक कहानी.. बच्चो ने देखा... बाबू धूल के गुबार में एक एहसास बन चुकें हैं. More Likes This रागिनी से राघवी (भाग 1) द्वारा Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन द्वारा Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) द्वारा Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 द्वारा Soni shakya शनिवार की शपथ द्वारा Dhaval Chauhan बड़े बॉस की बिदाई द्वारा Devendra Kumar Age Doesn't Matter in Love - 23 द्वारा Rubina Bagawan अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी