देव आनंद एक सदाबहार अभिनेता हैं, जिन्होंने भारतीय सिनेमा में अपने रोमांटिक व्यक्तित्व के लिए पहचान बनाई। 1948 में फिल्मी करियर की शुरुआत के बाद, उन्होंने दिलीप कुमार और राज कपूर के साथ मिलकर हिंदी सिनेमा को एक ठोस आधार दिया। उस समय का सिनेमा स्वतंत्रता आंदोलन और द्वितीय विश्वयुद्ध से प्रभावित था, और दर्शकों ने ट्रैजिक और रोमांटिक फिल्मों के प्रति एक समान उत्साह दिखाया। देव आनंद की प्रमुख फिल्मों में "जिद्दी", "बाजी", "गाइड" और "टैक्सी ड्राइवर" शामिल हैं। उन्होंने अपनी अनूठी शैली के साथ करोड़ों भारतीयों को सपने और आदर्श प्रदान किए। उनकी और उनके समकालीनों की फिल्मों ने आम आदमी के संघर्ष को दर्शाया, जिससे दर्शकों में गहरी भावनाओं का संचार हुआ। Sadabahar Dev Anand (Biography) Vinod Viplav द्वारा हिंदी जीवनी 7 10.3k Downloads 24.1k Views Writen by Vinod Viplav Category जीवनी पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण यह पुस्तक भारतीय सिनेमा के इतिहास में सदाबहार अभिनेता के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले रोमांटिक छवि वाले देव आनंद के जीवन एवं फिल्मी कैरियर पर आधारित है। देव आनंद के अलावा दिलीप कुमार और राजकपूर की त्रिमूर्ति ने अभिनय की जिस आधारशीला की स्थापना की वह आज हालांकि काफी विस्तृत हो गयी है लेकिन आज भी इन तीनों की शैलियों का अनुसरण आज के नायक कर रहे हैं। ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार और भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े शो मैन माने जाने वाले अभिनेता-निर्देषक राज कपूर के साथ मिलकर देव आनंद ने हिंदी सिनेमा को एक मजबूत आधार दिया जिसपर आज पूरा का पूरा बॉलीवुड खड़ा है जिसका विस्तार देश की सरहदों से आगे निकल चुका है और जिसका अरबों रुपये का कारोबार है। आजाद भारत के उभरते हुये हिंदी सिनेमा की त्रिमूर्ति का अहम हिस्सा देव थे। देव आनंद, दिलीप कुमार, राज कपूर की इस त्रिमूर्ति ने करोड़ों भारतीयों को हसीन सपने और आदर्श दिये। अभिनय की विशिष्ट शैली का सृजन करने वाले देव आनंद अभिनय अदायगी के खास अंदाज की बदौलत देखते ही देखते लोगों के दिल की धड़कन बन गए थे। भारतीय सिनेमा के संभवतः सबसे सुंदर अभिनेता देव आनंद ने झुकी हुयी गर्दन, आँखों के एक कोने से प्यार भरी नजर, स्टाइलिश कपड़े और मासूमियत से भरे चेहरे के जरिये हजारों लड़कियों को अपना दिवाना बना लिया। अपनी मुस्कुराहट, खास तरह की हंसी, हंसने पर दाई ओर नजर आने वाले दांतों के बीच के छोटे से गैप, बेतकुल्लफी से छलकती आंखें और बोलने के अपने अंदाज के जरिये देव आनंद आम लोगों के दिलों में खास तौर पर महिलाओं और लड़कियों के दिलों में बस गये। कहा जाता है कि काले कोट में वह इतने आकर्षक लगते थे कि जब वह सड़क पर चलते तो लड़कियां कूद कर उनके सामने आ जाती। देव आनंद यौवन, स्फूर्ति, स्मार्टनेस और खूबसूरती के प्रतीक थे। देव आनंद के किरदार ने आजाद भारत के युवकों को प्यार और नैतिकता के लिये ‘‘हारने और मरने’’ के बजाय हर हाल में ‘‘जीतना और जीना’’ सिखाया। उम्मीद है कि उस सदाबहार रोमांटिक नायक के व्यक्तित्व और कृतित्व पर आधारित यह पुस्तक पाठकों को पसंद आयेगी जिसने आजाद भारत के लोगों को ‘‘जिंदगी का साथ निभाने तथा हर फिक्र को धुंये में उड़ाने’’ की फिलाॅसफी सिखायी। More Likes This छावां - भाग 2 द्वारा Little Angle मंजिले - भाग 5 द्वारा Neeraj Sharma छह बिंदियाँ - 1 द्वारा अजय भारद्वाज डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम भाग - 1 द्वारा अजय भारद्वाज भक्त श्री शोभा द्वारा Renu यादों की अशर्फियाँ - पूर्वभूमिका द्वारा Urvi Vaghela गोमती, तुम बहती रहना - 1 द्वारा Prafulla Kumar Tripathi अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी