उपन्यास "जयशंकर प्रसाद की जीवन-कथा" के दूसरे खंड में लेखक श्याम बिहारी श्यामल ने महाकवि जयशंकर प्रसाद और उनकी रचनाओं के प्रति गहरे सम्मान और उनकी अद्वितीयता का वर्णन किया है। निराला, जो प्रसाद के करीबी हैं, उनकी रचनाओं के अधूरेपन पर चर्चा करते हैं और बताते हैं कि कैसे यह अधूरापन कला के विकास में मददगार होता है। निराला खुद को प्रसाद का अनुज मानते हैं और उनकी रचनाओं की गहराई को समझते हैं। लेखक श्यामल ने महाकवि प्रसाद के जीवन और उनके साहित्यिक योगदान पर आधारित एक महत्वपूर्ण कृति 'कंथा' लिखी है, जो कि तीन वर्षों तक एक प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका में प्रकाशित हुई। श्यामल ने विभिन्न साहित्यिक विधाओं में लेखन किया है और वर्तमान में वे पत्रकारिता में सक्रिय हैं। Jaishankar Prasad Ki Jeewan-katha Part-2 Shyam Bihari Shyamal द्वारा हिंदी फिक्शन कहानी 1.9k Downloads 7.6k Views Writen by Shyam Bihari Shyamal Category फिक्शन कहानी पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण महाकवि जयशंकर प्रसाद के जीवन और युग पर आधारित उपन्यास कंथा का अंश। खंड- 2 More Likes This DARK RVENGE OF BODYGARD - 1 द्वारा Anipayadav वाह साहब ! - 1 द्वारा Yogesh patil मेनका - भाग 1 द्वारा Raj Phulware बेवफाई की सजा - 1 द्वारा S Sinha RAJA KI AATMA - 1 द्वारा NOMAN क्लियोपेट्रा और मार्क एंथनी द्वारा इशरत हिदायत ख़ान राख की शपथ: पुनर्जन्मी राक्षसी - पाठ 1 द्वारा Arianshika अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी