**अनामी रिपोर्ट- 8 का संक्षेप:** 1. **कामाख्या मंदिर की पूजा**: असम के गुवाहाटी रेलवे स्टेशन के पास नीलांचल पहाड़ी पर स्थित कामाख्या मंदिर, देवी कामाख्या को समर्पित है। यह शक्तिपीठ सती के योनिभाग के गिरने के स्थल पर बना है। मंदिर में योनिकुंड है, जिससे निरंतर जल निकलता है, और यहां योनि की पूजा की जाती है। तांत्रिक और सिद्धि हासिल करने वाले लोग यहां आकर तंत्र मंत्र की दीक्षा प्राप्त करते हैं। 2. **पंडारक गांव का नाटक**: बिहार के बाढ़ जिले के पंडारक गांव में नाटक की पुरानी परंपरा है, जो सौ वर्षों से भी अधिक पुरानी है। गांव में नाटक मंचन की शुरुआत 1922 में हुई थी और आज यहां के कलाकारों की पहचान पूरे बिहार में है। पंडारक ने नुक्कड़ नाटक की शुरुआत की, जिससे ग्रामीणों में देशभक्ति की जागृति फैली। यहां के कलाकार हर साल सैकड़ों नाटक प्रस्तुत करते हैं। 3. **जारवा आदिवासी**: अंडमान-निकोबार के जारवा आदिवासियों की संख्या घट रही है, जो अब 400 से कम रह गई है। ये आदिवासी मुख्य धारा से अलग हैं और बुनियादी जरूरतों की कमी का सामना कर रहे हैं। ग्रेट अंडमानी जनजाति की संख्या भी सौ से कम रह गई है। दो दशक पहले ये लोग निर्वस्त्र रहते थे, लेकिन अब कुछ बदलाव आए हैं। इस रिपोर्ट में भारतीय संस्कृति, नाटक परंपरा, और आदिवासी जीवन की चुनौतियों का जिक्र किया गया है। गजब है दुनिया Anami Sharan Babal द्वारा हिंदी पत्रिका 2.1k 2.5k Downloads 9k Views Writen by Anami Sharan Babal Category पत्रिका पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण असम के गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से मात्र 10 किलोमीटर दूर नीलांचल पहाड़ी पर स्थित है देश का सबसे अधिक शक्तिशाली शक्तिपीट कामाख्या मंदिर है। यह मंदिर देवी कामाख्या को समर्पित है। यह सबसे पुराना शक्तिपीठ है। जब सती के पिता दक्ष ने भगवान शंकर को यज्ञ में अपमानित किया था। जिससे दुःखी होकर सती ने आत्म-दाह कर ली थी। तब भगवान शंकर ने सती कि मॄत-देह को उठा कर संहारक नृत्य किया। जिसमें सती के शरीर के 51 हिस्से अलग-अलग स्थान पर जाकर गिरे। जिसे ही 51 शक्ति पीठ माना जाता है। लोकमान्यता है कि सती का योनिभाग कामाख्या में गिरा। उसी स्थल पर कामाख्या मन्दिर का निर्माण हुआ। मंदिर के गर्भगृह मेंयोनि के आकार का एक कुंड है जिसमे से निरंतर जल निकलता रहता है। इसे योनिकुंड कहा जाता है। लाल कपडे व फूलो से योनिकुंड ढका रहता है। यहां केवल योनि की पूजा होती है, और तमाम तांत्रिक अघोरी और सिद्धी हासिल करने वाले हजारों सिद्धि इसी मंदिर में योनि सिद्दि के बूते ही तंत्र मंत्र की दीक्षा में पारंगत होते है। More Likes This इतना तो चलता है - 3 द्वारा Komal Mehta जब पहाड़ रो पड़े - 1 द्वारा DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR कल्पतरु - ज्ञान की छाया - 1 द्वारा संदीप सिंह (ईशू) नव कलेंडर वर्ष-2025 - भाग 1 द्वारा nand lal mani tripathi कुछ तो मिलेगा? द्वारा Ashish आओ कुछ पाए हम द्वारा Ashish जरूरी था - 2 द्वारा Komal Mehta अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी