फ़ासले भी ज़रूरी थे - भाग 1 Dimpal Limbachiya द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

Faasle bhi Jaruri The द्वारा  Dimpal Limbachiya in Hindi Novels
दिल्ली, शाम के 6:20।
ऑफिस बस से उतरकर माया पैदल अपने घर की ओर चलने लगी। हाथ में भारी लैपटॉप बैग था और मन में राहुल की खामोशी। सड़क पर चाय की दुकान से...

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