Lokhit newspaper book and story is written by Siddharth in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Lokhit newspaper is also popular in Anything in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. लोकहित अखबार Siddharth द्वारा हिंदी कुछ भी 1.1k Downloads 2.9k Views Writen by Siddharth Category कुछ भी पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण यह सिगार दिख रहा है? यह तब तक जिंदा है जब तक इसमें नशा है,पागलपन है,जुनून है फिर यह ज़ालिम इंसान इस नशे को आग लगा देता है,आशा देता है हवा में तैरने की,धुआं बनने की और यह नादान उसमें जलता जलता राख हो जाता है,ऊपर देखता है तो दिखता है धुआं नहीं मेरा नशा था...जो मर गया। पंडत ने एक और सिगार फूंक दिया,उस राख की बददुआ से पंडत के होठ काले पड़ गए थे । "पंडत" बनारस के एक पुजारी परिवार मैं पला बढ़ा,उसका असली नाम देवराज भरद्वाज था मगर उसके दोस्त उसे "पंडत" बुलाते थे,उसके पिता सीधे More Likes This मेरे विचार... जीवन के पार द्वारा Krayunastra SK Arya राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा - 17 द्वारा Kishanlal Sharma साहित्यिक साझा मानसिक मी टू `बतर्ज़ सबरीमाला ब्ला ---ब्ला --- - 1 द्वारा Neelam Kulshreshtha रेल सेवा:कुछ यादें, कुछ किस्से-एक द्वारा Kishanlal Sharma अदालत-मुकदमा और वकील - 1 द्वारा Kishanlal Sharma ड्रैगन प्रिंस यश - 1 द्वारा Isolated Life इतिहास से छेड़छाड़.. - 3 द्वारा Mini Kumari अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी