Shuny se Shuny tak - 77 book and story is written by Pranava Bharti in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Shuny se Shuny tak - 77 is also popular in Love Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
शून्य से शून्य तक - भाग 77
Pranava Bharti
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
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विवरण
77=== आशिमा भी आशी को देख चुकी थी और जल्दी से भाई के कमरे में जाकर उसने भाई, भाभी को बता दिया था| सब जैसे अचानक सकते में आ गए| अनन्या इतनी घबरा गई थी कि उसके मुँह पर हवाइयाँ उड़ने लगीं, वह खड़ी थी, कुर्सी पर बैठ गई| उसकी मम्मी भी तैयार होकर अनन्या के कमरे में आ गईं थीं | मनु ने अनन्या के कंधे पर सांत्वना से हाथ रखा और दीना जी के कमरे की ओर बढ़ आया| “आशी ! तुम?” दीनानाथ चौंक उठे| “अरे भूत नहीं आपकी बेटी हूँ—आशी----”उसने अपनी टोन में कहा| “ओ !
माउंट आबू के उस अंतिम छोर पर स्थित एक छोटे से आश्रम में अपने कमरे के बाहर लॉबी में एक कुर्सी पर बैठी आशी दूर अरावली के पर्वतों की शृंखला को न जाने कब...
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