Pati ka Arakshan book and story is written by Yogesh Kanava in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Pati ka Arakshan is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. पति का आरक्षण Yogesh Kanava द्वारा हिंदी फिक्शन कहानी 1 894 Downloads 2k Views Writen by Yogesh Kanava Category फिक्शन कहानी पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण आज अचानक ही रोहन की नजर अखबार के साहित्य पन्ने पर पड़ी और अपने मित्र लेखक कवि की एक कविता पर कविता की पंक्तियां थी अपने इरादों को सुरों की झंकार दो उठो बस तुम गांडीव को टंकार हो अजय तुम बस उठो पार्थ बनो दुश्मन सामने है सिंह हुंकार दो तेरे कांधों पर है अब यह बोझ सारा शेषनाग सा ले धरती को वार दो तुझे धरा पुकारती ओ सुत भारती अपने हाथों से हरा श्रृंगार दो किसी रोते हुए नन्हे बच्चे को बस नन्ही सी थपकी से बस तुम पुचकार दो । अपने भीतर के दर्द को More Likes This अंधकार का देवता - 1 द्वारा Goku सर्वथा मौलिक चिंतन - भाग 1 द्वारा Brijmohan sharma मेरा रक्षक - भाग 1 द्वारा ekshayra अम्मा का मटकी भर सोना और प्लेनचिट - 1 द्वारा Neelam Kulshreshtha न देखा, न सुना - 1 द्वारा Brijmohan sharma दूध का क़र्ज़ - 1 द्वारा S Sinha खेल खेल में - जादूई - भाग 1 द्वारा Kaushik Dave अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी