Indian knowledge tradition book and story is written by vivekanand rai in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Indian knowledge tradition is also popular in Magazine in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. भारतीय ज्ञान परंपरा vivekanand rai द्वारा हिंदी पत्रिका 2.1k 13k Downloads 37.7k Views Writen by vivekanand rai Category पत्रिका पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण अनेक बार यह कहा जाता है कि- 'न मूलं लिख्यते किञ्चित।' ऐसे लोगों से जब प्रश्न पूछिये कि आखिर मूल कहते किसे हैं? तो उनके पास कोई उत्तर नहीं होता। वास्तव में मनुष्य और जीव का मष्तिष्क और उस मष्तिष्क के वाह्य या स्थूल जगत के साहचर्य से उपजा बुद्धि और विवेक ही वास्तविक मूल है। मष्तिष्क की निर्माण प्रक्रिया और निर्माण प्रक्रिया का कर्ता और करण ही मूल है। बाकी जिसको- जिसको आप मूल समझते हैं, वह मूल नहीं! मूल का फलन या प्रतिफल या परिणाम है अर्थात वह मूल की कृपा एवं क्रिया से उपजा उत्पाद है। वह More Likes This इतना तो चलता है - 3 द्वारा Komal Mehta जब पहाड़ रो पड़े - 1 द्वारा DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR कल्पतरु - ज्ञान की छाया - 1 द्वारा संदीप सिंह (ईशू) नव कलेंडर वर्ष-2025 - भाग 1 द्वारा nand lal mani tripathi कुछ तो मिलेगा? द्वारा Ashish आओ कुछ पाए हम द्वारा Ashish जरूरी था - 2 द्वारा Komal Mehta अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी