poem book and story is written by Chintu Tyagi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. poem is also popular in Poems in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. कविता Jitin Tyagi द्वारा हिंदी कविता 2 2.1k Downloads 5.3k Views Writen by Jitin Tyagi Category कविता पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण छुआ था। जब तुमने रूमानी होकर मुझे पहली बारसहम सी गई थी मैं, सिमट सी गई थी मैंछलक सी गई थी मैं, और एक जगह जड़ सी हो गई थी मैंवो अजीब सी छुअन, ना जाने कैसी छुअन थीपर पहले जैसे छूते थे। तुम, वैसी नहीं थी वोछुआ था जब रूमानी होकर, तुमने मुझे पहली बारबदन पर वस्त्रों का बोझ लग रहा था।, उन्हें खुद से अलग होने के इंतज़ार में थी। मैंगालों पर लाली उभर रही थी।, आखों में शरारत भरने को तैयार थी।, मैंमंद-मंद मुस्कान होटों पर बिखर रही थी, कानों में एक वाघ संगीत गूंज रहा था।सीने More Likes This Shyari form Guri Baba - 4 द्वारा Guri baba मन की गूंज - भाग 1 द्वारा Rajani Technical Lead मी आणि माझे अहसास - 98 द्वारा Darshita Babubhai Shah लड़के कभी रोते नहीं द्वारा Dev Srivastava Divyam जीवन सरिता नोंन - १ द्वारा बेदराम प्रजापति "मनमस्त" कोई नहीं आप-सा द्वारा उषा जरवाल कविता संग्रह द्वारा Kaushik Dave अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी