Saral Nahi tha Yah Kam - 2 book and story is written by डॉ स्वतन्त्र कुमार सक्सैना in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Saral Nahi tha Yah Kam - 2 is also popular in Poems in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
सरल नहीं था यह काम - 2
डॉ स्वतन्त्र कुमार सक्सैना
द्वारा
हिंदी कविता
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विवरण
सरल नहीं था यह काम 2 काव्य संग्रह स्वतंत्र कुमार सक्सेना 11 अम्बेडकर दलितों में बनके रोशनी आया अम्बेडकर गौतम ही उतरे जैसे लगता नया वेश ध्र नफरत थी उपेक्षा थी थे अपमान भरे दंश लड़ता अकेला भीम था थे हर तरफ विषधर सपने में जो न सोचा था सच करके दिखाया हम सबको चलाया है उसने नई राह पर ये कारवॉं जो चल पड़ा रोका न जाएगा नई मंजिलों की ओर है मंजिल को पारकर हर जुल्म पर हर जब पर सदियों से है
1 तनी बंदूकों के साए
तनी बंदूकों के साए हों, भय के अंधि...
तनी बंदूकों के साए हों, भय के अंधि...
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