Aibi of Bibi book and story is written by Alok Mishra in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Aibi of Bibi is also popular in Comedy stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. बीबी के ऐ जी Alok Mishra द्वारा हिंदी हास्य कथाएं 5 1.3k Downloads 4.7k Views Writen by Alok Mishra Category हास्य कथाएं पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण बीबी के" ऐ जी" सुरेन्द्र शर्मा बड़ा भला सा नाम था उनका छैल- छबीले, बांके जवान उन्होंने शादी क्या की जैसे अपना नाम ही खो दिया जब उनकी पत्नी उन्हें ऐ जी........., सुनते हो जी............ से संबोधित करने लगी उन्हें भी ये संबोधन अपने उपनाम सा लगने लगा ।पड़ोसी की पत्नि भी अपने पति को ‘ऐ जी’ कहकर बुलाती तो सुरेन्द्र शर्मा जी आता हॅूं कह कर चल देते।इस चक्कर में मोहल्ले के लोग सुरेन्द्र शर्मा जी के चरित्र पर शक करने लगे । ये ‘‘ऐ जी............’’ का संबोधन प्रारंभ से उन्हें अत्यंत ही प्रिय लगता था परंतु समय के साथ-साथ इसे सुनते ही उन्हें लगता कि वो परेड में खड़े है और सावधान होने का निर्देश मिला है । अब वे ‘‘ऐ जी..........’’ सुनकर सावधान हो जाते खॅूटी पर टंगे थैले को उठाने के बाद ही बोलते ‘‘भागवान.......... बाजार से क्या लाना है’’ पत्नी खुश ’’भागवान’’ जो कहा । वो भागवान का अर्थ भाग्यवान से लेती है । सुरेन्द्र शर्मा जी भी खुश वे भागवान का अर्थ भागने का आव्हान करने वाली से लेते है । ऐसा भी नहीं कि सुरेन्द्र शर्मा जी जीवन पर्यंत ऐसी ही बने रहे । अब विवाह हुआ था सो उन्हें दो से तीन होना ही था बस उनके घर में मुन्ना आ गया । मुन्ने के नामकरण के साथ ही साथ शर्मा जी को भी दूसरा नाम मिल गया । अब उनकी भागवान उन्हें ‘‘मुन्ने के पापा’’ कह कर संबोधित करने लगी । सुरेन्द्र शर्मा जी ने गौर किया तो पाया कि अकेले में ‘‘ऐ जी............’’, ‘‘सुनते हो जी ...........’’ और ‘‘ओ जी ...........’’ पहले की तरह था परंतु बाहर मेले, विवाह और पार्टियों में वे ‘‘मुन्ने के पापा’’ हो जाते । उनकी पत्नी अक्सर ही जब किसी भद्र महिला से उन्हें रस भरी बातों मे मग्न देखती तो ‘‘मुन्ने के पापा...............’’ संबोधन द्वारा ही उनकी तन्मयता को तोड़ती है । अब वह संबोधन एक तीर से दो निशानों को साधता । एक तो शर्मा जी को याद दिला देता कि भागने का आव्हान हो चुका है दूसरा उस भद्र महिला को भी सचेत कर दिया जाता कि शर्मा जी न केवल विवाहित वरन् मुन्ने के पापा भी है । इन परिस्थितियों में शर्मा जी केवल झुंझला कर रह जाते । उन्होनें कई बार यह समझाने की कोशिश की कि ऐसे अवसर पर उन्हें पढ़ी- लिखी महिला की तरह उनके नाम से या शर्मा जी कहकर संबोधित किया करे । उनकी बीबी कहाँँ मानने वाली थी कहती मै तुम्हारा नाम नहीं ले सकती । ऐसा नहीं कि शर्मा जी के यहाँँ मुन्ने के बाद कोई और न आया हो उसके बाद मुन्नी और गुडडू भी हुए परंतु शर्मा जी मुन्ने के पापा ही रहे । धीरे-धीरे शर्मा जी के वे दिन भी आए कि बालाएँँ उन्हें अंकल बोलने लगी । उनके सर के बीचो-बीच एक हवाई पटटी के आकार का निर्माण होने लगा । दाढ़ी, मूॅछ और सर के बाल सफेद होने लगे । अब बीबी मुन्ने के पापा कहती तो सुरेन्द्र शर्मा के इंजीनियर पुत्र को उनसे अधिक बुरा लगता । अब मुन्ना बुरा मानने योग्य जो हो गया है । वो भी अपने इस उपनाम के सार्वजनिक होने में शर्म महसूस करता है । धीरे-धीरे शर्मा जी की बीबी को यह लगने लगा कि यह संबोधन उचित नहीं है । इसलिये कभी-कभी धीरे-धीरे से बुढढा, खडूस और बुढऊ संबोधन का प्रयोग करने लगी । शर्माजी को प्रारंभ में आपत्तिजनक लगा लेकिन पुराने संबोधन की ही तरह उन्होने इसे भी स्वीकार ही लिया। हमारे शर्मा जी बदले हुए संबोधनों के साथ जीवन जीने को विवश रहे उनकी इस विवशता का कारण भी उनकी एक और केवल एक अदद पत्नी रही । वे मरते दम तक बुढ़ऊ बने रहे वे जब अंतिम सांस भी ले रहे थे तो बस एक ही आस थी कि उनकी बीबी एक बार कह दे ‘‘बुढ़ऊ बहुत हुआ नाटक चल उठकर बैठ जा।’’ सच कहता हॅूं उनकी बीबी अगर एक बार ऐसा कह देती तो वे चटपट घबराकर उठ कर बैठ जाते और आज उनकी फोटो पर माला न टंगी होती । आलोक मिश्रा More Likes This मैं मंच हूँ द्वारा Dr Mukesh Aseemit प्यार बेशुमार - भाग 8 द्वारा Aarushi Thakur राज घराने की दावत..... - 1 द्वारा pooja कॉमेडी कहानी 3 दोस्तों की - 1 द्वारा Roshan baiplawat समानांतर दुनिया - 1 द्वारा Mansi बाबू जी की मुक्त शैली पिटाई - 1 द्वारा संदीप सिंह (ईशू) चरणनंदन का अभिनंदन - 1 द्वारा Tripti Singh अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी