Rakshabandhan ke bahane book and story is written by Rita Gupta in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Rakshabandhan ke bahane is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. रक्षाबंधन के बहाने Rita Gupta द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 12 2.7k Downloads 8k Views Writen by Rita Gupta Category सामाजिक कहानियां पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण रक्षाबंधन पिछले तीन-चार या शायद उस से भी अधिक महीनों से भैया ने मुझे फोन नहीं किया था। गाहे बगाहे मैं जब फोन करती, भैया से बातें हो नहीं पाती। भाभी अलबत्ता उनकी व्यस्तता का रोना रोती रहतीं। रक्षाबंधन आ रहा था, मुझे बार बार अपनी बचपन वाली 'राखी' याद आ रही थी। कितना बड़ा त्यौहार होता था तब ये। रक्षा बंधन के लिए मम्मी हमदोनों भाई-बहन के लिए नए कपड़े खरीदती। बाज़ार में घूम घूम भैया की कलाई के लिए सबसे स्पेशल राखी खरीदना। सुनहरी किरणों से सजी, वो मोटे से स्पंज नुमा फूल पर 'मेरे भैया' लिखा होना। समय के साथ राखी के स्वरुप और डिज़ाइन More Likes This बेजुबान - 1 द्वारा Kishanlal Sharma खामोशी का रहस्य - 1 द्वारा Kishanlal Sharma अकेलापन जिंदगी - 1 द्वारा Wow Mission successful सनम बेवफा - 3 द्वारा Kishanlal Sharma धोखा या इश्क - 1 द्वारा aruhi कामवासना से प्रेम तक - भाग - 5 द्वारा सीमा कपूर My Devil Hubby Rebirth Love - 23 द्वारा Naaz Zehra अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी